Personalities

राजा राममोहन राय

raja ram mohan ray i

भारत : सती प्रथा के निवारक

जन्म : 1772

मृत्यु : 1833

राजा राममोहन राय ने तत्कालीन भारतीय समाज की कट्टरता, रूढ़िवादिता एवं अंध विश्वासों को दूर करके उसे आधुनिक बनाने का प्रयास किया, इसीलिए उन्हें आधुनिक भारतीय समाज का जन्मदाता कहा जाता है। राममोहन राय को मूर्तिपूजा एवं परंपराओं के विरोध के कारण अपना घर भी छोड़ना पड़ा था। उन्होंने तिब्बत यात्रा की तो उनके क्रांतिकारी विचारों के कारण वहाँ के लामा भी उनके विरोधी हो गए थे। एकेश्वरवादी राममोहन राय ने जैन, इस्लाम आदि धर्मों का अध्ययन किया था तथा वे अरबी-फारसी के भी ज्ञाता थे। उन्होंने वेदों और उपनिषदों का बंगला में अनुवाद किया। वेदांत के ऊपर अंग्रेजी में लिखकर उन्होंने यूरोप तथा अमेरिका में भी बहुत ख्याति अर्जित की।

वे आधुनिक शिक्षा के समर्थक थे तथा उन्होंने गणित एवं विज्ञान पर अनेक लेख तथा पुस्तकें लिखीं। 1821 में उन्होंने ‘यूनीटेरियन एसोसिएशन’ की स्थापना की। हिन्दू समाज की कुरीतियों के घोर विरोधी होने के कारण 1828 में उन्होंने ब्रह्म समाज नामक नए प्रकार के समाज की स्थापना की।

राजा राममोहन राय के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि थी- सती प्रथा का उन्मूलन। उन्होंने ही अपने अथक प्रयासों से सरकार द्वारा इस कुप्रथा को गैरकानूनी तथा दंडनीय घोषित करवाया।

राजा राममोहन राय का जन्म 1772 में पश्चिम बंगाल के एक आध्यात्मिक रुचि सम्पन्न परिवार में हुआ था। अरबी, फारसी एवं अंग्रेजी का अध्ययन उन्होंने प्रारंभ से ही किया था। अतः युवावस्था में उन पर अंग्रेजी भाषा का पर्याप्त प्रभाव रहा। उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी में नौकरी भी की परंतु 1814 में छोड़ दी। 27 सितंबर, 1833 में इंग्लैंड में उनकी मृत्यु हो गई।

About the author

हिंदीभाषा

Leave a Comment

You cannot copy content of this page