Personalities

सरदार वल्लभभाई पटेल

सरदार वल्लभभाई पटेल

भारत के लौह पुरुष

जन्म 1875 मृत्यु 1950

वल्लभभाई पटेल को सभी भारतवासी सम्मान के साथ के ‘लौह पुरुष’ के रूप में याद करते हैं। उनका जन्म गुजरात के खेड़ा जिले के नाडियाड में झवेर भाई पटेल और लाडबाई के घर 31 अक्तूबर, 1875 को हुआ था। जब वह 25 वर्ष के थे, तभी जिला अधिवक्ता के रूप में रोज़गार से जुड़ गए। 1910 में वह इंग्लैंड गए तथा फरवरी 1913 में पूरी तरह बैरिस्टर बनकर लौटे और क्रिमिनल लायर के रूप में प्रैक्टिस शुरू कर दी। 1917 में जब उन्होंने जन कार्य शुरू किए, तो प्रैक्टिस छोड़ दी। इसी बीच 1919 में वह गांधी जी के सम्पर्क में आए और उनके अनुयायी बन गए। वल्लभभाई पटेल बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। इससे पूर्व 1918 में उन्होंने किसानों के हित की लड़ाई लड़कर ख्याति अर्जित की। 1924 में वह अहमदाबाद की नगरपालिका के अध्यक्ष निर्वाचित हुए और 1928 तक इसी पद पर बने रहे। इस दौरान उन्होंने अपनी सारी ऊर्जा नगर विकास के लिए समर्पित कर दी।

बल्लभभाई पटेल ने गुजरात सभा के सेक्रेट्री के रूप बंधुआ मजदूर समस्या पर प्रश्न उठाया। बाद में उनके ही प्रयत्नों से मज़दूरी के लिए भुगतान का सिलसिला शुरू हुआ। जब ‘बोरसाद की जनता पर दंडात्मक टैक्स लगाया गया, तो उन्होंने डटकर इसका विरोध किया। बाद में अंग्रेज़ों को इस टैक्स को समाप्त करना ही पड़ा। इस सफलता से गांधी जी बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें ‘किंग ऑफ़ बोरसाद’ की उपाधि से विभूषित किया।

इसके बाद उन्होंने बारदोली सत्याग्रह को सफल बनाया। स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में यह मील का पत्थर माना जाता है। 1931 में वह कराची में कांग्रेस अधिवेशन के सभापति बने और उन्होंने गांधी-इरविन पैक्ट की स्वीकृति के लिए सहयोग किया। बाद में 4 जनवरी, 1932 को गांधी और पटेल दोनों को यर्वदा जेल में बंद कर दिया गया।

स्वतंत्रता के बाद सरदार पटेल ने देश की छोटी-बड़ी 562 रियासतों को बहुत तेज़ी से भारत के संघ गणराज्य में मिलाने का रेखांकित किया जाने वाला कार्य किया। 1950 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक संभावित युद्ध सरदार पटेल की मध्यस्तता के कारण टल गया।

About the author

हिंदीभाषा

Leave a Comment

You cannot copy content of this page