इंग्लैंड : ‘शर्लाक होम्स’ के जनक
जन्म : 1859 मृत्यु : 1930
सर कॉनन डॉयल ने ‘शर्लाक होम्स’ जैसे जासूसी चरित्र की रचना करके विश्व में अपार लोकप्रियता अर्जित की तथा मनोरंजक साहित्य के प्रेमी पाठकों को विस्मय-विमुग्ध कर दिया। ‘शर्लाक होम्स’ एक शांत, प्रतिभाशाली तथा तर्क बुद्धिसम्पन्न चरित्र है, जो इतना वास्तविक प्रतीत होता है कि पाठक भूल ही जाते हैं कि वह एक काल्पनिक पात्र है। उनकी पहली कहानी ‘ए स्टडी इन स्कार्लेट’, ‘स्टेंड मैगज़ीन’ में धारावाहिक रूप में प्रकाशित हुई थी। उसके बाद ‘द साइन ऑफ़ फोर’ तथा ‘द हाउंड ऑफ़ द बास्करविलेज़’ का प्रकाशन हुआ। तत्पश्चात् उन्होंने ‘शर्लाक होम्स’ को केन्द्र बनाकर बड़ी संख्या में जासूसी तथा रोमांचक कहानियां लिखीं जो ‘द एडवेंचर्स ऑफ़ शर्लाक होम्स’ नाम से पाँच खण्डों में संकलित हैं। एक ग्रन्थ में उन्होंने शर्लाक होम्स की जीवन लीला समाप्त कर दी थी परंत जनता की भारी मांग पर उसे पनः ‘जीवित’ कर दिया गया। उनके अमर पात्र शर्लाक होम्स पर 175 से अधिक फ़िल्में बन चुकी हैं।
सर डॉयल का जन्म स्कॉटलैंड में हुआ था। वे पेशे से एक डॉक्टर थे और अनेक वर्ष दक्षिणी इंग्लैंड में चिकित्सा कार्य करते रहे। वे अध्यात्म तथा मृत्यु उपरान्त आत्माओं से संपर्क, उनके आह्वान, आदि में रुचि रखते थे। अनेक प्रेम-प्रसंगों तथा साहसिक कार्यों के साथ भी उनका नाम जोड़ा जाता है। वे एक अच्छे क्रिकेट खिलाड़ी थे और एम.सी.सी. की टीम में प्रथम श्रेणी मैच खेलने के अतिरिक्त मुक्केबाजी भी करते थे। एक बार श्री डॉयल ने क्रिकेट के मूर्धन्य खिलाड़ी डब्ल्यू. जी. ग्रेस का विकेट भी लिया था ।
सर आर्थर कॉनन डॉयल एक लोकप्रिय तथा रोचक व्यक्तित्व के स्वामी थे तथा विभिन्न कार्यों में संलग्न रहते थे। एक बार उन्होंने एक हत्या के अभियुक्त, ऑस्कर स्लेटर नामक व्यक्ति का मुक़दमा फिर से खुलवाया और अंत में पता चला कि उस पर हत्या का झूठा आरोप लगाया गया था। इस प्रकार अनेक अवसरों पर सर डॉयल ने अपनी जासूसी प्रतिभा का, ठीक शर्लाक होम्स की ही भांति यथार्थ जीवन में भी सदुपयोग करके अपनी मानवता का परिचय दिया।