Personalities

सर विंस्टन चर्चिल

ब्रिटेन: राजनीतिज्ञ, योद्धा, चित्रकार तथा लेखक

जन्म : 1874 मृत्यु : 1965

विंस्टन चर्चिल को यदि बीसवीं शताब्दी का विलक्षण बहुमुखी व्यक्तित्व कहा जाए, तो अतिशयोक्ति न होगी। उनकी प्रसिद्धि का केंद्र था द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मित्र देशों का सफलतापूर्वक नेतृत्व।

चर्चिल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऐसे समय में बने, जब सिर्फ ब्रिटेन ही नाजुक दौर से नहीं गुजर रहा था, पूरा यूरोप या तो जर्मनी नाजियों के डर से सहमा हुआ था, या फिर उनके बूटों तले रौंदा जा रहा था। ऐसे में चर्चिल ने घोषणा की कि वे किसी भी तरह से शत्रु के सामने समर्पण नहीं करेंगे। छह वर्षों के लगातार संघर्ष के बाद आखिर चर्चिल के नेतृत्व में मित्र देशों को विजय श्री प्राप्त हुई।

विंस्टन चर्चिल का पूरा नाम था सर विंस्टन लियोनार्ड स्पेंसर चर्चिल । 30 नवंबर 1874 में जन्मे वे लॉर्ड रैन्डाल्फ चर्चिल के पुत्र थे। क्योंकि वे पढ़ाई में उतने अच्छे नहीं थे, इसलिए उन्होंने जीवनवृत्ति के लिए सेना को चुना। वे ब्रिटिश सेना के साथ क्यूबा, भारत तथा मिस्र के युद्धों में गये। फिर वे ‘बोरवार (1899-1900) में ‘मॉर्निंग पोस्ट’ के संवाददाता बनकर अफ्रीका गये। वहाँ वे पकड़े गए, भाग कर वे इंग्लैंड पहुँचे, जहाँ उनका एक वीर नायक के रूप में स्वागत हुआ। 1906 में उपप्रधानमंत्री बन गये। 1911 में वे ‘फर्स्ट लॉर्ड ऑफ द ऐडमिरेलिटी’ (सैन्य प्रमुख) बने । विश्वयुद्ध के बाद उन्हें ब्रिटिश राज्य ने संयुक्त पार्टियों के प्रमुख के रूप में आमंत्रित किया। यहाँ 14 मई, 1940 को उन्होंने ब्रिटिश पार्लियामेंट में अपना प्रसिद्ध और चर्चित भाषण दिया: ब्लड, टिअर्स एंड स्वेट’ (खून, आंसू और पसीना)। युद्ध के बाद छह वर्षों तक वे विपक्ष के नेता रहे। अपने दल के पुनः सत्ता में आने के बाद वे 1955 तक मंत्रिपद पर आसीन रहे।

चर्चिल ने छह खंडों में ‘द्वितीय विश्वयुद्ध की यादें’ लिखीं, जिस पर 1953 में उन्हें साहित्य में नोबल पुरस्कार मिला। उनकी अन्य पढ़ने योग्य पुस्तकें हैं- ‘द वर्ड क्राइसिस’ और ‘गेदरिंग स्ट्रोम एंड आफ्टर मैथ’।

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