कबीर
- अँधियारा मिटना- अज्ञान समाप्त होना।
ईश्वर स्मरण से मन का अँधियारा मिट जाता है।
- मंत्र न लगना – उपाय काम न आना।
पारिवारिक मतभेद के कारण भाइयों एकता स्थापित करने के प्रयास व्यर्थ हो गए और कोई भी मंत्र न लग सका।
- अपना घर जलाना – सर्वस्व न्योछावर कर देना।
अपना घर जलाकर दूसरों का भला करने वाले संसार में बहुत कम हैं।
मीरा
लाज रखना – सम्मान की रक्षा करना।
कृष्ण ने द्रौपदी की लाज रखी थी।
वीरेन डंगवाल
मुँह बंद होना – शांत हो जाना।
जिस दिन से वह रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया, उस दिन से उसका मुँह बंद हो गया है।
कैफ़ी आज़मी
- मौत से गले मिलना – सहर्ष बलिदान देना।
देश की रक्षा के लिए सैनिकों को मौत से गले मिलने में भी खुशी की अनुभूति होती है।
- सिर पर कफ़न बाँधना- बलिदान के लिए तैयार रहना।
सैनिक सिर पर कफ़न बाँधकर देश की रक्षा के लिए तैयार रहते हैं।
बड़े भाई साहब
- प्राण सूखना – डर लगना।
परीक्षा में विज्ञान का प्रश्नपत्र देखते ही मेरे प्राण सूख जाते हैं।
- पहाड़ होना बड़ी मुश्किल होना।
कक्षा में अव्वल आना मेरे लिए पहाड़ था।
- हँसी-खेल होना – छोटी-मोटी बात।
100 मीटर की दौड़ में प्रथम आना कोई हँसी-खेल नहीं है।
- गाढ़ी कमाई – मेहनत की कमाई।
कुछ छात्र अपने माता-पिता की गाढ़ी कमाई को सार्थक रूप देते हैं।
- खून जलाना – कष्ट उठाना।
मेरे माता-पिता मुझे सुख-सुविधा देने के लिए दिन-रात खून जलाते हैं।
- आँखें फोड़ना – ध्यान से पढ़ना।
वह रात-रातभर पढ़ाई में आँखें फोड़ता रहा इसलिए अपनी कक्षा में अव्वल आया है।
- पास फटकना – नज़दीक आना।
पहले के समय में डर के मारे छात्र अपने शिक्षकों के पास नहीं फटकते थे।
- जिगर के टुकड़े-टुकड़े होना – दिल पर भारी आघात लगना।
युद्ध में बेटे के शहीद होने का समाचार सुनकर पिता के जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो गए।
- लगती बात कहना – चुभती बात कहना।
पिताजी हमेशा लगती बात कहती है, जिससे मैं कभी-कभी उदास हो जाता हूँ।
- हाथ डालना – काम आरंभ करना।
राकेश जिस काम में हाथ डालता है, उसे लाभ ही होता है।
- हिम्मत टूटना – साहस टूटना।
शेयर मार्केट में हुए घाटे की खबर सुनकर राजीव की हिम्मत टूट गई।
- जी तोड़ मेहनत करना – खूब मेहनत करना।
रमेश कक्षा में प्रथम आने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा है।
- नक्शा बनाना – योजना बनाना।
आलसी लोग काम पूरा करने के लिए रोज़ नक्शा बनाते हैं, पर उसे पूरा नहीं कर पाते।
- दबे पाँव आना – चोरी-चोरी आना।
उमेश दबे पाँव कमरे में आया और माँ का मोबाइल उठाकर चला गया।
- साये से भागना – नाम से ही डरना।
आजकल ऑफिस में बॉस जी इतने अधिक क्रोधित हैं कि सभी उनके साये से भी दूर भागते हैं।
- घुड़कियाँ खाना – डाँट-डपट सहना।
पिता जी की घुड़कियाँ लगभग सबको खानी पड़ती हैं।
17.आड़े हाथों लेना- कठोरतापूर्ण व्यवहार करना।
अधिकारी के सही तरह से काम पूरा न करने पर जनता ने अधिकारी जी को आड़े हाथों लिया।
- घाव पर नमक छिड़कना – दुखी को और दुखी करना।
दुख की घड़ी में दुष्टों की बातें घावों पर नमक छिड़कने का काम करती हैं।
19 .तीर मारना – बड़ी सफलता पाना।
परीक्षा परिणाम सुनकर राजीव इयतना प्रसन्न हुआ मानो उसने कोई तीर मार लिया हो।
- 2 तलवार खींचना – लड़ाई के लिए तैयार रहना ।
जयदाद के बँटवारे पर विवाद होते ही दोनों सगे भाइयों ने तलवारें खींच लीं।
- हेकड़ी जताना – घमंड दिखाना।
वह कम अंकों से उत्तीर्ण होने पर भी मेधावी महेश के सामने हेकड़ी जता रहा है।
22.टूट पड़ना- तेज़ी से झपटना।
भारतीय सेना शत्रुओं पर टूट पड़ी।
- 23. नामोनिशान मिटाना- सब कुछ नष्ट करना।
सैनिकों ने जंगल मे छिपे अपराधियों का नामोनिशान मिटा दिया।
- 24. चुल्लू भर पानी देने वाला न होना – कठिन समय कोई साथ देने वाला न होना।
कभी पूरे क्षेत्र में चौधरी जी का वर्चस्व था, परंतु आज उसे कोई चुल्लू भर पानी देने वाला नहीं है।
- 25. दीन-दुनिया से जाना – कहीं का न रहना।
समझदारी के साथ कार्य करो अन्यथा दीन-दुनिया से जाओगे।
- 26. सिर फिरना- घमंड होना।
जब से उसकी सरकारी नौकरी लगी है, उसका सिर फिर गया है।
27.अंधे के हाथ बटेर लगना – बिना प्रयास के संयोग से कोई महत्त्वपूर्ण वस्तु मिलना।
राजीव को मेडिकल में प्रवेश मिलना अंधे के हाथ बटेर लगने जैसा है।
- हाथ लगना – प्राप्त होना।
बड़ी मुश्किल से यह कोंट्रेक्ट मेरे हाथ लगा है।
- दाँतों पसीना आना – अधिक परेशानी होना।
प्रश्नपत्र हल करने में मुकेश को दाँतों पसीना आ गया।
- चक्कर खाना – भ्रम में पड़ना।
गणित के प्रश्न देखकर दिमाग चक्कर खा जाता है।
- बे सिर-पैर की बातें करना – बेकार की बातें करना।
सतीश की बे सिर-पैर की बातें सुनकर मैं ऊब गया हूँ।
- अपनी राह लेना – चले जाना।
अगर तुम्हारा काम हो गया है, तो समय न गँवाते हुए अपनी राह लो।
- पन्ने रंगना – बेकार में लिखना।
परीक्षा में पन्ने रंगने से अंक नहीं मिलते हैं।
- आटे-दाल का भाव मालूम होना – कठिनाई का सामना करना।
जब नौकरी करोगे, तब तुम्हें आटे-दाल का भाव मालूम होगा।
- ज़मीन पर पाँव न रखना – बहुत खुश होना।
जब से वह अमेरिका से आया है, वह ज़मीन पर पाँव नहीं रख रहा है।
- गिरह बाँधना – सदा याद रखना।
यह बात गिरह बाँध लो कि ईमानदारी का रास्ता ही सर्वश्रेष्ठ है।
- हाथ से जाना चूकना।
यह मौका हाथ से मत जाने दो, अन्यथा पछताओगे।
- शब्द चाटना – अच्छी तरह से पढ़ना।
गौरव को पढ़ने का इतना अधिक शौक है कि वह पुस्तक का एक-एक शब्द चाट जाता है।
- मुठभेड़ होना – सामना होना।
आज सुबह घर से निकलते ही वर्मा जी से मेरी मुठभेड़ हो गई।
- हाथ-पाँव फूल जाना – परेशानी देखकर घबरा जाना।
ओड़िशा के बालासोर की ट्रेन दुर्घटना में घायल लोगों को देखकर मेरे हाथ-पाँव फूल गए।
42.पैसे-पैसे को मुहताज होना – अधिक गरीब और मजबूर होना।
दिनेश की नौकरी छूट गई और वह पैसे-पैसे को मुहताज हो गया।
43.मुँह चुराना – शर्म के मारे बचना।
उधार न चुकाने के कारण पीयूष सबसे मुँह चुराता फिरता है।
44.ज़हर लगना – बहुत बुरा लगना।
आजकल पारिवारिक संस्कारों की बातें बच्चों को ज़हर लगती हैं।
- जी ललचाना – मन में लोभ आना।
जलेबियों से उठती महक से मेरा जी ललचाने लगा।
डायरी का एक पन्ना
- रंग दिखाना – असली प्रभाव या स्वरूप दिखाना।
अधिकारी द्वारा समझाए जाने पर भी लिपिक ने अपना रंग दिखा ही दिया।
- ठंडा पड़ना – ढीला पड़ना, शांत हो जाना।
न्याय व्यवस्था अपराधियों को सज़ा देने के मामले में न जाने क्यों ठंडी पड़ जाती है?
- टूट जाना – बिखर जाना या निराश हो जाना।
अंग्रेज़ी अत्याचार के समक्ष देशभक्तों का टूट जाना असंभव था।
- जुल्म ढाना – अत्याचार करना।
अंग्रेज़ों ने भारतीय जनता पर अनगिनत जुल्म ढाए थे।
तताँरा-वामीरो कथा
- सुध-बुध खोना – अपने वश में न रहना।
वामीरो का गीत सुनकर तताँरा अपनी सुध-बुध खो बैठा था।
- आँखों में तैरना – मन में सदा मौजूद रहना।
वामीरो का चेहरा तताँरा की आँखों में तैरता रहता था।
- खुशी का ठिकाना न रहना – अधिक खुशी होना।
वामीरो को अपने पास देखकर तताँरा की खुशी का ठिकाना न रहा।
- आग-बबूला होना- बहुत क्रोधित होना
बेटे को मनमानी करते देख पिता आग-बबूला हो गए।
- राह न सूझना – उपाय न मिलना।
मैं वाद-विवाद में ऐसा उलझ गया कि उससे निकलने की कोई राह नहीं सूझ रहा था।
- सुराग न मिलना – पता न मिलना।
अपराधियों का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला।
- आवाज़ उठाना- विरोध करना।
आज की जनता शोषण के विरुद्ध आवाज़ उठाने लगे हैं।
- एक-एक पल पहाड़ होना- प्रतीक्षा का समय मुश्किल से बीतना।
शहर से अपने पुत्र के आने की खबर सुनने के बाद माँ के लिए एक-एक पल पहाड़ हो रहा था।
- एकटक निहारना – देखते ही रह जाना।
विदेशी पर्यटक ताजमहल को एकटक निहारते रहते हैं।
- अपना राग अलापना – अपनी ही बात कहना।
अहंकारी रावण ने विभीषण की बात भी नहीं सुनी, वह अपना राग अलापता रहा।
अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले
- दीवार खड़ी करना – बाधा उत्पन्न करना।
रवि मेरा दुश्मन है इसलिए मैं जो भी काम करता हूँ, वही मेरे सामने दीवार खड़ी कर देता है।
- डेरा डालना – अस्थायी रूप से कहीं पर रहना।
वज़ीर अली को पकड़ने के लिए अंग्रेज़ी फ़ौज ने एक वर्ष से गोरखपुर के जंगल में डेरा डाल रखा है।
- मारे-मारे फिरना – परेशान रहना।
आजकल ग्रेजुएट नौकरी की तलाश में साल से मारे-मारे फिर रहे हैं।
पतझर में टूटी पत्तियाँ
- हवा में उड़ना – यथार्थ/सच्चाई से दूर होना।
अभी सुमित हवा में उड़ रहा है। बाद में उसे सब कुछ समझ में आ जाएगा।
कारतूस
- ‘बुरा-भला कहना – खरी-खोटी सुनाना।
कंपनी के वकील ने वज़ीर अली को बुरा-भला कह दिया।
- जान-बख़्श देना – जीवनदान देना।
वज़ीर अली ने कर्नल कालिंज की जान बख़्श दी।
- हक्का-बक्का रहना – आश्चर्यचकित होना।
वज़ीर अली की बहादुरी देखकर कर्नल हक्का-बक्का रह गया।
4.कूट-कूटकर भरना – पूरी तरह से भरना।
वज़ीर अली के मन में अंग्रेज़ों के प्रति नफ़रत कूट-कूट कर भरी थी।
5.काम तमाम कर देना – मार देना।
वज़ीर अली ने कंपनी के सरकारी वकील का काम तमाम कर दिया।
- हाथ न आना – पकड़ा न जाना।
कई सालों की खोज के बाद भी वज़ीर अली हाथ न आया।
7.मुट्ठी भर – थोड़े से।
मुट्ठी भर लोग भी यदि दृढ़-संकल्प कर लें, तो समाज में क्रांति ला सकते हैं।
- नज़र रखना – निगरानी करना।
आजकल प्राय: हर जगह सीसीटीवी से लोगों पर नज़र रखना ज़रूरी है।
संचयन (पूरक पुस्तक)
हरिहर काका
- मुँह खोलना – रहस्योद्घाटन करना।
सुधीर ने अपने शरारती मित्रों से अध्यापक के सामने मुँह खोल देने की धमकी दी।
- गूँगेपन का शिकार होना – भयवश बोल न पाना।
हरिहर काका अपने भाइयों और महंत की करतूतों की वजह से गूँगेपन का शिकार हो गए।
- फूटी आँखों न सुहाना – अच्छा न लगना।
जवान बेटों को अपनी बूढ़ी माँ अब फूटी आँखों नहीं सुहाती है।
- खोज-खबर लेना जानकारी प्राप्त करना।
तीन भाइयों ने अपने गुमशुदा भाई हरिहर की खोज-खबर लेनी शुरू कर दी।
- धमा-चौकड़ी मचाना – शोर-शराबा करना।
अध्यापक के कक्षा से बाहर आते ही छात्रों ने धमा-चौकड़ी मचानी शुरू कर दी।
- तन-बदन में आग लगना – क्रोधित होना।
निरपराध पर अत्याचार होते देख मेरे तन-बदन में आग लग गई।
- कान खड़े होना – सचेत होना।
रात को कदमों की आहटें सुनकर हम सब के कान खड़े हो गए।
- हाथ से निकलना – अवसर चूकना।
महंत किसी भी सूरत में 15 बीघे ज़मीन हाथ से निकलने नहीं देना चाहता था।
- भनक तक न लगना – आभास भी न होना।
भाइयों की गुप्त योजना के बारे में हरिहर काका को भनक तक न लगी।
- जी-जान से जुटना – सख्त मेहनत करना।
महंत जी अपनी योजना को पूर्ण रूप देने के लिए जी-जान से जुट गए।
- खून खौलना – क्रोधित होना।
अपने भाई को लहू-लुहान देखकर रमेश का खून खौल उठा
- पर्दाफाश होना – भेद खुलना।
एक-न-एक दिन महंत के षड्यंत्र का पर्दाफाश हो ही जाएगा।
- दूध की मक्खी होना – अनावश्यक होना।
बुढ़ापे में माँ-बाप परिवार वालों के लिए दूध की मक्खी हो जाते हैं।
- पाँव पखारना – चापलूसी करना।
ज़मीन के लालच में महंत हरिहर के पाँव पखारने लगे।
- गिद्ध-दृष्टि होना- लालची दृष्टि होना।
हरिहर काका की ज़मीन पर महंत गिद्ध-दृष्टि जमाए बैठे थे।
- आँख भर जाना- आँसू आना।
बच्चे को पीड़ा से बिलखते देख मेरी आँखों में आँसू आ गए।
सपनों-के-से दिन
- तार-तार होना – बिखर जाना।
उस निर्धन बालक के कपड़े तार-तार हो गए थे।
- तरस खाना – दया करना।
अनिल ने भिखारी पर तरस खाकर उसे ऊनी कपड़े दे दिए।
- आँख बचाना- छिपाना/छिपना।
चोर ने आँख बचाकर बटुआ उठाने की कोशिश की, लेकिन पकड़ लिया गया।
- ढाढ़स बँधाना- तसल्ली देना।
पिता की मृत्यु से दुखी श्याम को ढाढ़स बँधाने वालों की लाइन लग गई।
- दिन गिनना – अधीर होना।
विदेश में नौकरी करने वाला सुनील भारत लौटने के लिए दिन गिन रहा है।
- सस्ता सौदा – आसान काम।
पहले ज़माने में बच्चे होमवर्क करने की बजाय अध्यापकों की मार को सस्ता सौदा समझते थे।
- खाल खींचना – बुरी तरह पिटाई करना।
पीटी मास्टर प्रीतम चंद परेड में गलती करने वाले छात्रों की खाल खींच लेते थे।
- चमड़ी उधेड़ना- बहुत पीटना।
पीटी मास्टर प्रीतम चंद परेड में गलती करने वाले छात्रों की चमड़ी उधेड़ देते थे।
- छाती धक्-धक् करना – भयभीत होना।
परीक्षा के नाम से मेरी छाती धक्-धक् करने लगती है।
टोपी शुक्ला
- दिल फड़कना – बेचैन होना।
जब पोते की शादी के दिन आए, तो गाने-बजाने के लिए दादी का दिल फड़कने लगा।
- दिल मसोसकर रहना – इच्छा को मन में दबाकर रहना।
मैं शिमला जाना चाहथा था पर पिताजी के मना करने के कारण मुझे दिल मसोसकर घर ही रहना पड़ा।
- बरस पड़ना – एकदम से क्रोधित हो जाना।
शिक्षक बच्चों के अत्यधिक शोर मचाने के कारण उन पर बरस पड़े।
- मुँह न लगाना – प्यार न करना।
उदंड गौरव को मुहल्ले में कोई भी मुँह नहीं लगाता।
- जुल्म ढाना – अत्याचार करना।
अंग्रेज़ों ने भारतीयों पर बहुत जुल्म ढाए थे।
- आत्मा में उतरना – गहराई में उतरना।
लालबहादुर शास्त्री की सादगी सभी की आत्मा में उतर गई थी।
- स्वर्ग सिधारना – मृत्यु होना।
इफ़्फ़न की दादी स्वर्ग सिधार गईं।
मुहावरे
- अपना उल्लू सीधा करना – स्वार्थ सिद्ध करना
- अपनी खिचड़ी अलग पकाना – सबसे अलग रहना
- अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना – अपनी प्रशंसा स्वयं करना
- अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना – स्वयं को हाँनि पहुँचाना
- अपने पैरों पर खड़े होना – आत्मनिर्भर होना
- अक्ल पर पत्थर पड़ना – बुद्धि भ्रष्ट होना
- अक्ल के पीछे लट्ठ लेकर फिरना – मूर्खता प्रदर्शित करना
- अँगूठा दिखाना – कोई वस्तु देने या काम करने से इनकार करना
- अँधे की लकड़ी होना – एकमात्र सहारा
- अच्छे दिन आना – भाग्य खुलना
- अंग-अंग फूले न समाना – बहुत खुशी होना
- अंगारों पर पैर रखना – साहसपूर्ण तरीके से खतरे में उतरना
- आँख का तारा होना – बहुत प्यारा
- आँखें बिछाना – अत्यंत प्रेमपूर्वक स्वागत करना
- आँखें खुलना – वास्तविकता का बोध होना
- आँखों से गिरना – आदर कम होना
- आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना
- आँख दिखाना – क्रोध करना या डराना
- आटे-दाल का भाव मालूम होना – बड़ी कठिनाई में पड़ना/ महँगाई का पता चलना
- आग बबूला होना – बहुत गुस्सा होना
- आग से खेलना – जानबूझ कर मुसीबत मोल लेना
- आग में घी डालना – क्रोध भड़काना
- आँच न आने देना – हानि या कष्ट न होने देना
- आड़े हाथों लेना – खरी-खरी सुनाना
- आनाकानी करना – टालमटोल करना
- आँचल पसारना – याचना करना
- आस्तीन का साँप होना – कपटी मित्र
- आकाश के तारे तोड़ना – असंभव कार्य करना
- आसमान से बातें करना – बहुत ऊँचा होना
- आकाश सिर पर उठाना – बहुत शोर करना
- आकाश-पाताल एक करना – कठिन प्रयत्न करना
- आँखों की किरकिरी होना – खटकना
- आँसू पीकर रह जाना – भीतर ही भीतर दुखी होना
- आठ-आठ आँसू गिराना – पश्चात्ताप करना
- इधर-उधर की हाँकना – बेमतलब की बातें करना
- इतिश्री होना – समाप्त होना
- इस हाथ लेना उस हाथ देना – हिसाब-किताब साफ़ करना
- ईद का चाँद होना – बहुत दिनों बाद दिखाई देना
- ईंट से ईंट बजाना – नष्ट कर देना
- ईंट का जवाब पत्थर से देना – कड़ाई से पेश आना
- आँसू पोंछना – सांत्वना देना
- आँखें तरेरना – क्रोध से देखना
- आकाश टूट पड़ना – अचानक विपत्ति आना
- आग लगने पर कुआँ खोदना – ऐन मौके पर उपाय करना
- उँगली उठाना – निंदा करना/लाँछन लगाना
- उन्नीस-बीस का फर्क होना – मामूली फर्क होना
- उल्टी गंगा बहाना – प्रचलन के विपरीत कार्य करना
- उड़ती चिड़िया के पर गिनना – बहुत अनुभवी होना
- उल्लू बनाना – मूर्ख बनाना
- उँगली पर नचाना – वश में करना
- उल्लू सीधा करना – अपना स्वार्थ देखना
- एक और एक ग्यारह होना – एकता में शक्ति होना
- एक लाठी से हाँकना – सबसे एक जैसा व्यवहार करना
- एक आँख से देखना – समदृष्टि होना/भेदभाव न करना
- एड़ी-चोटी का जोर लगाना – बहुत कोशिश करना
- एक ही थाली के चट्टे-बट्टे होना – एक प्रवृत्ति के होना
- ओखली में सिर देना – जानबूझ कर विपत्ति में फँसना
- ओढ़ लेना – जिम्मेदारी लेना
- और का और होना – एकदम बदल जाना
- औने-पौने बेचना – हानि उठाकर बेचना/जैसे-तैसे बेचना
- औघट घाट चलना – सही रास्ते पर न चलना
- कंचन बरसना – चारों ओर खूब धन मिलना
- काट खाना – सूनेपन का अनुभव
- किस्मत ठोकना – भाग्य को कोसना
- कंठ का हार होना – प्रिय बनना
- काम में हाथ डालना – काम शुरू करना
- कूप मंडूक होना – अल्पज्ञ होना
- कुएँ में भाँग पड़ना – सब की बुद्धि मारी जाना
- कन्नी काटना – आँख बचाकर खिसक जाना
- कसौटी पर कसना – परीक्षण करना
- कलेजा मुँह को आना – व्याकुल होना/बहुत परेशान होना
- कलेजा ठंडा होना – संतुष्ट होना
- काम आना – युद्ध में मारा जाना
- कान खाना – शोर करना/परेशान करना
- कान भरना – चुगली करना
- कान में तेल डालना – शिक्षा पर ध्यान न देना/अनसुना करना
- कफन सिर पर बाँधना – लड़ने मरने को तैयार होना
- किंकर्तव्य विमूढ़ होना – कोई निर्णय न कर पाना
- कमर कसना – तैयार होना
- कोल्हू का बैल होना – हर समय श्रम करने वाला
- कलेजा टूक-टूक होना – दुख पहुँचना
- कान कतरना – बहुत चतुराई दिखाना
- काम तमाम कर देना – मार देना
- कीचड़ उछालना – कलंक लगाना/नीचा दिखाना
- कंधे से कंधा मिलाकर चलना – साथ देना
- कच्चा-चिट्ठा खोलना – भेद खोलना
- कौड़ी के मोल बिकना – बहुत सस्ता होना
- कान का कच्चा होना – जल्दी बहकावे में आना
- कान पर जूँ न रेंगना – कोई असर न होना
- खून खौलना – गुस्सा आना
- खून के घूँट पीना – गुस्सा मन में दबा लेना
- खून-पसीना एक करना – बहुत मेहनत करना
- खाक छानना – भटकना/काफी खोज करना
- खेत रहना – युद्ध में मारे जाना
- खाक में मिलना – बर्बाद होना
- खाक में मिलाना – बर्बाद करना
- खून-सूखना – भयभीत होना
- कठपुतली की तरह नाचना – किसी के वश में होना
- कब्र में पाँव लटकना – मौत के करीब होना
- कलम तोड़ना – अत्यधिक मर्मस्पर्शी रचना करना
- कलेजा छलनी करना – ताने मारना/व्यंग्य करना
- कलेजा थामकर रह जाना – असह्य बात सहन कर रह जाना
- कलेजे का टुकड़ा होना – अत्यंत प्रिय/आत्मिक होना
- कागज की नाव होना – क्षण-भंगुर होना
- कागजी घोड़े दौड़ाना – केवल कागजी कार्यवाही करना
- कानों कान खबर न होना – किसी को पता न चलना
- कुत्ते की मौत मरना – बुरी दशा में प्राणों का अंत होना
- कमर टूटना – सहारा न रहना
- कान भरना – किसी के विरूद्ध शिकायत करते रहना
- किसी का घर जलाकर अपना हाथ सेंकना – अपने छोटे से स्वार्थ के लिए दूसरों को हाँनि पहुँचाना
- कटे पर नमक छिड़कना – दुखी को और अधिक दुखी करना
- गुदड़ी का लाल होना – गरीब किंतु गुणवान
- गड़े मुर्दे उखाड़ना – बीती बातें छेड़ना
- गले पड़ना – जबरन आश्रय लेना
- गंगा नहाना – दायित्व से मुक्ति पाना
- गिरगिट की तरह रंग बदलना – अवसरवादी होना/निश्चय बदलना
- गुड़ गोबर होना – काम बिगड़ना
- गुड़ गोबर करना – काम बिगाड़ना/ किया कराया नष्ट करना
- गुलछर्रे उड़ाना – मौज उड़ाना
- गाल बजाना – अपनी प्रशंसा करना
- गागर में सागर भरना – थोड़े में बहुत कुछ कह देना
- गाँठ में कुछ न होना – पैसा पास न होना
- गला काटना – लोभ में पड़कर हाँनि पहुँचाना
- गर्दन पर छुरी फेरना – अत्याचार करना
- घाट-घाट का पानी पीना – स्थान-स्थान का अनुभव होना
- घाव पर नमक छिड़कना – दुखी को और दुखी करना
- घड़ों पानी पड़ना – बहुत लज्जित होना
- घी के दीये जलाना – बहुत खुश होना/खुशियाँ मनाना
- घर फूँक कर तमाशा देखना – अपना लुटाकर भी मौज करना
- घर सिर पर उठाना – बहुत शोर करना
- घोड़े बेचकर सोना – निश्चिंत होना
- घुटने टेक देना – हार मान लेना
- चादर के बाहर पैर पसारना – आय से अधिक व्यय करना
- चंगुल में फँसना – किसी के काबू में होना
- चोली-दामन का साथ होना – घनिष्ट संबंध होना
- चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना – घबरा जाना
- चिकनी-चुपड़ी बातें करना – चापलूसी करना/कपट व धोखा
- चुल्लूभर पानी में डूब मरना – बहुत शर्मिन्दा होना
- चिकना घड़ा होना – अत्यंत बेशर्म
- चूड़ियाँ पहनना – कायरता दिखाना
- चकमा देना – धोखा देना
- चौपट करना – पूर्णरूप से नष्ट करना
- चारों खाने चित्त होना – बुरी तरह हारना
- चैन की वंशी बजाना – आराम से रहना
- चूना लगाना – धोखा देकर ठगना
- चार चाँद लगाना – शोभा बढ़ाना
- चंपत होना – गायब होना
- छठी का दूध याद आना – बड़ी मुसीबत में फँसना
- छाती ठोकना – उत्साहित होना
- छप्पर फाड़कर देना – बिना परिश्रम के बहुत कुछ पा जाना
- छाती पर मूँग दलना – बहुत परेशान करना
- छोटे मुँह बड़ी बात करना – अपनी हैसियत से ज्यादा बात करना
- छाती पर साँप लोटना – अत्यंत ईर्ष्या करना
- छक्के छुड़ाना – पैर उखाड़ देना/बेहाल करना
- छाती पर पत्थर रखना – हृदय कठोर करना
- जले पर नमक छिड़कना – दुखी का दुख बढ़ाना
- जान हथेली पर रखना – मरने की परवाह न करना
- जमीन पर पैर न पड़ना – बहुत गर्व करना
- जान में जान आना – धीरज बँधना/मुसीबत से छुटकारा पाना
- जबानी जमा खर्च करना – गप्पें लड़ाना
- जबान पर लगाम लगाना – बहुत कम बोलना
- जहर का घूँट पीना – कड़वी बात सुनकर सहन कर लेना
- जीती मक्खी निगलना – जान-बूझ कर बेईमानी करना
- जान पर खेलना – साहसपूर्ण कार्य करना
- जूता चाटना – चापलूसी करना
- जहर उगलना – कड़वी बात कहना
- झख मारना – समय नष्ट करना
- झगड़ा मोल लेना – विवाद में जानबूझ कर पड़ना
- जी तोड़ कर काम करना – बहुत मेहनत करना
- जी भर आना – दया उमड़ना/चित्त में दुख होना
- पगड़ी उछालना – अपमानित करना
- टेढ़ी-खीर होना – कठिन काम (कहावत)
- टका-सा जवाब देना – साफ़ इनकार करना
- टेक निभाना – वचन पूरा करना
- टट्टी की आड़ में शिकार खेलना – छिपकर षड्यंत्र रचना
- टाट उलट देना – दिवाला निकाल देना
- टाँग अड़ाना – व्यर्थ दखल देना
- ठगा-सा रह जाना – विस्मित रह जाना
- ठकुरसुहाती बातें करना – चापलूसी करना
- ठिकाने लगाना – नष्ट कर देना
- डूबते को तिनके का सहारा देना – मुसीबत में थोड़ी सहायता भी लाभप्रद
- डकार जाना – हड़प लेना/हजम कर जाना
- डींग हाँकना – झूठी बड़ाई करना
- डूब मरना – शर्म से झुक जाना
- डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना – अपना मत अलग ही रखना
- डंका बजना – प्रभाव होना
- ढिंढोरा पीटना – प्रचार करना/सूचना देना
- ढोल में पोल होना – थोथा या सारहीन
- ढोल पीटना – अत्यधिक प्रचार करना
- तलवे चाटना – खुशामद करना
- तिल का ताड़ करना – छोटी-सी बात को बहुत बढ़ा देना
- तूती बोलना – खूब प्रभाव होना
- तोते उड़ जाना – घबरा जाना
- तेवर चढ़ाना – नाराज होना/त्यौंरी बदलना
- तलवार के घाट उतारना – मार डालना
- तिलांजलि देना – त्याग देना/छोड़ देना
- तितर-बितर होना – अलग-अलग होना
- तारे गिनना – बेचैनी में रात काटना
- तीन-तेरह करना – तितर-बितर करना
- थूक कर चाटना – अपने वचन से मुकरना
- थैली खोलना – जी खोलकर खर्च करना
- थू-थू करना – घृणा प्रकट करना
- दूध का दूध पानी का पानी करना – ठीक न्याय करना
- दौड़-धूप करना – खूब प्रयत्न करना
- दाँत खट्टे करना – परेशान करना/हरा देना
- दाने-दाने को तरसना – बहुत गरीब होना
- दाल में काला होना – छल/कपट होना/संदेहपूर्ण होना
- दीया लेकर ढ़ूँढ़ना – अच्छी तरह खोजना
- दुम दबाकर भागना – डर कर भाग जाना
- दाल गलना – काम बनना
- दिन में तारे दिखाई देना – घबरा जाना
- दाँतों तले उँगली दबाना – आश्चर्यचकित होना
- दो-दो हाथ करना – द्वंद्व युद्ध/अंतिम निर्णय हेतु तैयार होना
- दो टूक जवाब देना – स्पष्ट कहना
- दिन-रात एक करना – खूब परिश्रम करना
- द्रौपदी का चीर होना – अनंत/अंतहीन/ बहुत लंबा होना
- दिमाग आसमान पर चढ़ना – अत्यधिक गर्व होना
- दाँत काटी रोटी होना – अत्यधिक स्नेह होना
- दोनों हाथों में लड्डू होना – सर्वत्र लाभ ही लाभ होना
- दूसरे के कंधे पर रखकर बंदूक चलाना – दूसरे को माध्यम बनाकर काम करना
- दिल छोटा करना – दुखी होना, निराश होना
- दिन फिरना – अच्छा समय आना
- धूप में बाल पकाना – अनुभव हीन होना
- धाक जमाना – रोब जमाना/प्रभाव जमाना
- धूल में मिलाना – नष्ट करना
- धरती पर पाँव न पड़ना – फूला न समाना अभिमानी होना
- धूल फाँकना – दर-दर की ठोकरें खाना
- धज्जियाँ उड़ाना – दुर्गति करना, कड़ा विरोध करना
- बरस पड़ना – बहुत क्रोधित होकर
- नमक-मिर्च लगाना – बात को आकर्षक बनाकर कहना
- नानी याद आना – बड़ी कठिनाई में पड़ना/ घबरा जाना
- निन्यानवे के फेर में पड़ना – धन इकट्ठा करने की चिंता में रहना
- नाम कमाना – प्रसिद्ध होना
- नौ-दो ग्यारह होना – भाग जाना
- नीला-पीला होना – क्रोध करना
- नाक रगड़ना – दीनता प्रदर्शित करना, खुशामद करना
- नाक में दम करना – बहुत परेशान करना
- नाक-भौं सिकोड़ना – घृणा करना
- नाकों चने चबाना – खूब परेशान करना
- नाक कटना – बदनामी होना
- नुक्ताचीनी करना – दोष निकालना
- नाक रख लेना – इज्जत बचाना
- नाम निशान तक न बचना – पूर्णरूप से नष्ट हो जाना
- नचा देना – बहुत परेशान कर देना
- नींव की ईंट होना – प्रमुख आधार होना
- पानी मरना – किसी की तुलना में निकृष्ट ठहरना
- पैर पटकना – खूब कोशिश करना
- पगड़ी उछालना – बेइज्जत करना
- पेट पालना – जीवन निर्वाह करना
- पहाड़ टूट पड़ना – बहुत मुसीबत आना
- पानी पीकर जात पूछना – काम करके फिर जानकारी लेना
- पेट में दाढ़ी होना – लड़कपन में बहुत चतुर होना
- पैरों तले से जमीन खिसकना – बहुत घबरा जाना, अचानक परेशानी आना
- पापड़ बेलना – कड़ी मेहनत करना, विषम परिस्थितियों से गुजरना
- प्राण हथेली पर रखना – जान देने के लिए तैयार रहना
- पिंड छुड़ाना – पीछा छुड़ाना या बचना
- पानी-पानी होना – लज्जित होना
- पेट में चूहे कूदना – तेज भूख लगना
- पाँचों उँगलियाँ घी में होना – सब ओर से लाभ होना
- पीठ ठोकना – शाबाशी देना, हिम्मत बँधाना
- फूँक-फूँक कर कदम रखना – सावधानीपूर्वक कार्य करना
- फूटी आँखों न सुहाना – बिल्कुल पसंद न होना
- फूला न समाना – अत्यधिक खुश होना
- पट्टी पढ़ाना – बहका देना, उल्टी राय देना
- पेट काटना – बहुत कंजूसी करना
- पानीदार होना – इज्जतदार होना
- पाँवों में बेड़ी पड़ जाना – बंधन में बँध जाना
- बाँह पकड़ना – सहायता करना/सहारा देना
- बीड़ा उठाना – कठिन कार्य करने का उत्तरदायित्व लेना
- बाल की खाल निकालना – नुक्ताचीनी करना
- बात बनाना – बहाना करना
- बाँछे खिलना – अत्यधिक प्रसन्न होना
- बाल बाँका न होना – कुछ भी नुकसान न होना
- बाज न आना – आदत न छोड़ना
- बगलें झाँकना – इधर-उधर देखना/निरुत्तर होना
- बाएँ हाथ का खेल होना – सरल कार्य
- मन में लड्डू फूटना – अत्यधिक प्रसन्न होना
- बछिया का ताऊ होना – महामूर्ख होना
- भौंह चढ़ाना – क्रुद्ध होना
- भूत सवार होना – हठ पकड़ना/काम करने की धुन लगना
- भीगी बिल्ली बनना – डरपोक होना
- भाड़-झोंकना – तुच्छ कार्य करना/व्यर्थ समय गुजारना
- भरी थाली को लात मारना – जीविकोपार्जन के साधन ठुकरा देना
- भैंस के आगे बीन बजाना – मूर्ख के समक्ष बुद्धिमानी की बातें करना व्यर्थ
- बाल-बाल बचना – कुछ भी हानि न होना
- दिन-रात एक करना – बहुत परिश्रम करना
- मन खट्टा होना – मन फिर जाना/जी उचाट होना
- मन के लड्डू खाना – कोरी कल्पनाएँ करना
- मुँह में पानी भर आना – इच्छा होना/जी ललचाना
- मुँह में लगाम न लगाना – अनियंत्रित बातें करना
- मुट्ठी गर्म करना – रिश्वत देना, लेना
- मुँह की खाना – हार जाना/हार मानना
- मक्खियाँ मारना – बेकार भटकना/बैठना
- मक्खीचूस होना – बहुत कंजूस होना
- मुँह पर हवाइयाँ उड़ना – चेहरा फीका पड़ जाना
- मन मसोस कर रह जाना – इच्छा को रोकना
- मुँह काला करना – कलंकित होना
- मुँह की खाना – बातों में हारना/अपमानित होना
- मुँहतोड़ जवाब देना – कठोर शब्दों में कहना
- मन मारना – उदास होना/इच्छाओं पर नियंत्रण
- मुँह मोड़ना – ध्यान न देना
- रंग में भंग होना – मजा किरकिरा होना/बाधा होना
- राई का पहाड़ बनाना – बात को बढ़ा-चढ़ा देना
- रंगा-सियार होना – ढोंगी/धोखेबाज
- रोम-रोम खिल उठना – प्रसन्न होना
- रौंगटे खड़े होना – डर से रोमांचित होना
- रफूचक्कर होना – भाग जाना
- रंग दिखाना/जमाना – प्रभाव जमाना
- रंगे हाथों पकड़ना – अपराध करते हुए पकड़े जाना
- लकीर का फकीर होना – परंपरावादी होना/ अंधानुकरण करना
- लोहे के चने चबाना – बहुत कठिन कार्य करना/ संघर्ष करना
- लाल-पीला होना – क्रोधित होना
- लोहा मानना – बहादुरी स्वीकार करना
- खून का घूँट पीना – अपमान सहन करना
- लोहा बजाना – शस्त्रों से युद्ध करना
- लुटिया डूबो देना – काम बिगाड़ देना
- लोहा लेना – युद्ध करना/मुकाबला करना
- खून-पसीना एक करना – कठिन परिश्रम करना
- लंबा हाथ मारना – धोखाधड़ी से बहुत पैसे बनाना
- विष उगलना – किसी के खिलाफ बुरी बात कहना
- शहद लगाकर चाटना – तुच्छ वस्तु को महत्त्व देना
- शैतान के कान कतरना – बहुत चतुर होना
- समझ पर पत्थर पड़ना – अक्ल मारी जाना
- सिर धुनना – पछताना/चिंता करना
- सिर हथेली पर रखना – मृत्यु की चिंता न करना
- सिर उठाना – विद्रोह करना
- सितारा चमकना – भाग्यशाली होना
- सूरज को दीपक दिखाना – अत्यधिक प्रसिद्ध व्यक्ति का परिचय देना
- सब्ज-बाग दिखाना – लोभ देकर बहकाना लालच देकर धोखा देना
- सिर पर कफ़न बाँधना – मरने को प्रस्तुत रहना
- सिर से बला टालना – मुसीबत से पीछा छुड़ाना
- सिर आँखों पर रखना – आदर सहित आज्ञा मानना
- सोने की चिड़िया हाथ से निकलना – लाभपूर्ण वस्तु से वंचित रहना
- सिक्का जमाना – प्रभाव डालना/प्रभुत्व स्थापित करना
- सोने की चिड़िया होना – बहुत धनवान होना
- साँप छछुन्दर की गति होना – दुविधा में पड़ना
- सीधे मुँह बात तक न करना – बहुत इतराना
- सोने में सुगंध होना – एक गुण में और गुण मिलना
- सौ-सौ घड़े पानी पड़ना – अत्यंत लज्जित होना
- सिर-मूँडना – ठगना/ धोखा देना
- हवा से बातें करना – बहुत तेज दौड़ना
- हाथ धोकर पीछे पड़ना – बुरी तरह पीछे पड़ना
- हाथ तंग होना – धन की कमी या दिक्कत होना
- होम करते हाथ जलना – भलाई करने में नुकसान होना
- होंठ काट लेना – क्रोध पी जाना
- हवाई किले बनाना – थोथी कल्पना करना
- हवा हो जाना – भाग जाना
- हाथ पाव मारना – प्रयत्न करना
- हथियार डाल देना – हार मान लेना/आत्मसमर्पण करना
- हाथ पर हाथ धर कर बैठना – निष्क्रिय बनना/बेकार बैठे रहना
- हवा के घोड़ों पर सवार होना – बहुत जल्दी में होना
- हवा का रूख देखना – समय की गति पहचान कर काम करना
- हाथ के तोते उड़ जाना – भौंचक्का रह जाना/होश गँवाना
- हाथ खींचना – सहायता बंद करना
- हाथ पाँव फूलना – घबरा जाना / विपत्ति में पड़ना
- हाथ पैर मारना – मेहनत करना/प्रयत्न करना
- हाथ साफ करना – चोरी करना/ठगना/माल मारना
- हुक्का पानी बंद करना – बिरादरी से बाहर करना
- हथेली पर सरसों जमाना – जल्दबाजी करना
- हाथ खींचना – साथ न देना/मदद बंद करना
- हाथ धो बैठना – गँवा देना
- हाथ पीले करना – विवाह करना
- श्री गणेश करना – आरंभ करना