Prerak Prasang

भगवान से कुछ न माँगो

bhagwan se kuchh n maango hindi short story

बादशाह अकबर के दरबार में एक बार किसी वजीर से कोई कसूर हो गया। उसे क्या सजा दी जाए इसके लिए राजा ने बीरबल की सलाह जाननी चाही। बीरबल ने उस पर दो लाख रुपये का जुर्माना किया। कुछ दिनों बाद बीरबल ने भी उसी प्रकार का कसूर कर दिया। वजीर खुश हुआ कि अब बीरबल को भी उतना ही जुर्माना देना पड़ेगा। बीरबल ने बादशाह से कहा “हुजूर, मैने कुसूर तो किया है। इसके लिए मेरी एक प्रार्थना है। इंसाफ के लिए देहात के नाई बुलाए जाएँ।” बादशाह ने नाइयों को बुलाने का हुकम दिया। जब नाई आए तो अकबर ने उनसे फैसला करने को कहा। नाई आपस में विचार-विमर्श करने लगे कि बीरबल को कितना जुर्माना दिया जाए। उनकी दृष्टि में कसूर बहुत छोटा था। नाई तो बहुत मामूली लोग वे जिनकी औकात ही पाँच-दस रुपये की थी। वे उससे ज्यादा सोच भी नहीं सकते थे। उनमें से एक बोला “चार-पाँच रुपये जुर्माना कर देना चाहिए।” दूसरा बोला ‘अरे, इसके बाल-बच्चे भूखों मर जाएँगे। पाँच रुपया ज्यादा होता है, दो ही काफी है। तीसरा बोला ‘दो भी बहुत ज्यादा है, एक ही रुपया जुर्माना किया जाए। चौथे ने कहा ‘एक भी अधिक है, आठ आना ठीक होगा।” फिर सभी नाइयों ने मिलकर बादशाह से अपनी राय सुनाई ‘हुजूर, इसपर आठ आने का “जुर्माना किया जाए।” बीरबल ने खट् अठन्नी निकालकर पेश कर दी।

तो, तुमलोग भी भगवान के दरबार में उन्हीं नाइयों की तरह हो। क्योंकि भगवान के विशाल एश्वर्य के सामने तुम्हारी बुद्धि और औकात बिलकुल छोटी है। अतः उस दरबार में माँगोगे भी तो वह बड़ी लुट होगी। इसलिए तुम्हें भगवान से सांसारिक वस्तुओं की याचना नहीं करनी चाहिए। यदि उसकी कृपा मिल गई तो सबकुछ मिल गया।

Leave a Comment

You cannot copy content of this page