बुद्धदेव ने अपने शिष्यों से कहा- “मैं तुम्हें एक प्रदेश में किसी विशेष कठिन काम के लिए भेजना चाहता हूँ। अगर उस देश के निवासियों ने तुम्हारी बात न सुनी तो तुम क्या करोगे?” “भगवन् ! हम समझेंगे कि वे लोग बड़े अच्छे हैं। उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी, लेकिन हमें गाली तो नहीं दी।” एक शिष्य तत्परता से बोला।
“और अगर उन्होंने तुम्हें गाली दी तो?”
“तो हम समझेंगे कि वे लोग बड़े अच्छे ही हैं। उन्होंने हमें न मारा, न पीटा।” दूसरे शिष्य ने जवाब दिया।
“और अगर मारा-पीटा तो?”
“जान से तो नहीं मार डाला। बड़े भले लोग हैं वे !”
“और अगर जान से मार डाला तो?”
चौथे शिष्य ने फुर्ती से कहा- “तब भी हम तो समझेंगे कि उस प्रदेश के लोग बहुत ही अच्छे हैं, जिन्होंने हमें भगवान का काम करते हुए भगवान के पास पहुँचाया।”
मुस्कराते हुए बुद्धदेव बोले – “ जाओ, शिष्यो ! तुम परीक्षा में उत्तीर्ण हो गए। अव तुम धर्म प्रचार कर सकते हो।”