यूनान का एक प्रसिद्ध तत्त्ववेत्ता डायोजिनीज, जोकि सुकरात का चेला था, अपना जीवन एक माँद में ही बिता लेता था। वह अपने रहने के लिए घर बनाना आवश्यक नहीं समझता था।
एक बार किसी युवक ने उसे देर तक एक पत्थर की मूर्ति से भीख माँगते देखा। उस युवक ने पूछा – “डायोजिनीज ! भला पत्थर की मूर्ति से तुम क्यों भीख माँगते हो? क्या वह तुमको भीख दे देगी?” डायोजिनीज ने उत्तर दिया- “मैं इस मूर्ति से भीख माँग- कर किसी पुरुष के भीख न देने पर शांतचित्त रहने का अभ्यास कर रहा हूँ।”