Prerak Prasang

महर्षि देवेन्द्र ठाकुर

Devendranath Hindi short story

ज्ञान का सूर्य जिनके हृदय में चमक रहा हो, वे वाद और वितंडा में पड़ना पसंद नहीं करते। पहाड़ की चोटी पर खड़े मनुष्य को नीचे के सभी पेड़-पौधे एक-से ही नजर आते हैं। ब्राह्म समाज के प्रसिद्ध उपदेशक प्रतापचन्द्र मजूमदार एक दिन महर्षि देवेन्द्रनाथ ठाकुर के यहाँ गए। महर्षि की मेज पर उन्होंने ईसाई धर्म की अनेक पुस्तकें रखी देखीं। उनका खयाल था कि ईसाइयत के प्रति महर्षि के मन में तिरस्कार है। अतः वे बहुत विस्मित हुए भौर उन्होंने पुस्तकों की घोर इशारा करके महर्षि से पूछा ये आपकी मेज

पर कैसे आई?”

उत्तर मिला – “जब मैं निचाई पर घूम रहा था, तब मुझे जगह-जगह टेकरियाँ और ऊँची-नीची जमीन दिखती थी। परंतु अब में कुछ ऊपर चढ़ गया हूँ, इसलिए नीचे का क्षेत्र मुझे एक समतल मैदान जैसा दिखाई देता है और एक ही मालिक की देन जैसा लगता है।”

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