Prerak Prasang

बुराई से अच्छाई का रास्ता

Hazarat iisa ki kahani

हजरत ईसा के सामने लोगों ने एक धोबी को पेश किया और शिकायत की कि वह बड़ा ही दुष्ट है, तमाम आदमियों को तंग कर रखा है हज़रत की जुबान से निकला कि वह शाम तक मर जाएगा।

धोबी कपड़े धोने चला गया। उसकी लड़की उसका भोजन लेकर घाट पर गई। उसी समय कोई भूखा फकीर वहाँ जा पहुँचा। धोबी ने उसे एक रोटी खाने को दी। फकीर ने दुआ दी- ‘तेरा भला हो।’ भूखा जानकर धोबी ने दूसरी रोटी दी तब फकीर ने कहा “तेरी अचिन्त्य आफतें दूर हो।’ उसी प्रकार तीसरी रोटी खाकर फकीर ने दुआ दी ‘तेरा दिल बुराइयों से पाक हो।

शाम को धोबी ज़िंदा घर वापस आया। लोग हजरत ईसा से जाकर बोले- धोबी तो अब तक ज़िंदा है। उस समय हजरत ने कहा जिस वक्त उसके लिए हमारी हमारी तरफ से बद्दुआ हुई उसी समय एक काले नाग को उसे डसने का हुक्म हुआ। उसकी गठरी खोलकर देखा जाए, वह काला नाग उसी में पड़ा है। लेकिन उस फकीर की दुआ ने नाग का मुँह बंद कर दिया। अब वह धोबी पहले जैसा तो रहा नहीं। उसका दिल साफ हो चुका है। आगे से अब वह तुम्हें तकलीफ नहीं देगा। मतलब यह कि वर्तमान के अच्छे कर्मों से पूर्व के बुरे कर्मों का निराकरण भी हो जाता है। अतः जब से सूझ जाए, शुभ का रास्ता अख्तियार कर लेना चाहिए।

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