Prerak Prasang

जीवन परिवर्तन

Life change courtsy by getty image

संत हुसैन बसराई के जीवन परिवर्तन की घटना बड़ी ही विचित्र है।

एक दिन एक सुंदर युवती बिना घूँघट के उनके सामने अपने पति की बेवफाई पर नाराज होकर उसकी निंदा करने लगी। हुसैन उसे इस प्रकार बेपर्दा देखकर बोले “पहले अपने कपड़े तो संभाल, माथा तो ढँक, फिर जो कुछ कहना हो सो कहना। इस पर वह स्त्री बोली “अरे भाई, मैं तो प्रभु के विमुख हुए एक प्राणी के प्रेम में सुग्ध होकर बेहोश हो रही हूँ। आप मुझे सचेत न करते तो मैं ऐसे ही उसे खोजने के लिए बाजार में निकल जाती, पर यह कैसी अचरज की बात है कि प्रभु प्रेम में पागल होकर भी आपको इतनी सुध है कि मेरा मुँह खुला है या ढँका?

इस बात का हुसैन के मन पर बहुत प्रभाव पड़ा। उन्हें ख्याल आया कि खुदा की इबादत करते-करते तो इंसान को बेखुद हो जाना चाहिए पर मेरी वैसी स्थिति नहीं है।

दूसरी दफा ऐसा हुआ कि एक बालक हाथ में दीपक लेकर आ रहा था। हुसैन ने उससे

पूछा “अच्छा बेटे, क्या तुम यह बता सकते हो कि इस दीपक में रोशनी कहाँ से आई है?” उस बालक ने झट् से दीपक को अपनी फूँक से बुझाकर उन्हीं से सवाल पूछ दिया कि अच्छा, पहले आप मुझे यह बताओ कि अब ये रोशनी कहाँ चली गई? इस पर हुसैन कुछ जवाब न दे सके। हुसैन को जो कुछ अपने ज्ञान का अहंकार या वह इस छोटे बच्चे के प्रश्न से चूर हो गया।

तीसरी घटना ऐसी हुई कि एक शराबी नशे में चूर लड़खड़ाते हुए कहीं चला जा रहा था। उसे देखकर हुसैन ने कहा “अरे भाई ! पाँव संभालकर चल नहीं तो गिर जाएगा। उत्तर में शराबी बोला “अरे भले मानुष ! तू मुझे कहनेवाला कौन है? पहले अपने पैर तो संभाल ! तू तो धर्मात्मा कहलाता है और मैं हूँ एक शराबी में गिर जाऊँगा तो पानी से शरीर को धोकर साफ कर लूँगा पर कहीं तू फिसल गया तो तेरी शुद्धि होनी मुश्किल हो जाएगी।”

यह सुनकर हुसैन बहुत शर्मिंदा हुए। इन तीनों घटनाओं ने हुसैन के जीवन में अपूर्व परिवर्तन ला दिया।

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