पूना – अस्पताल में महात्माजी का ‘आपरेशन’ हुआ था। स्वर्गीय मोतीलालजी उनसे मिलने गए और बातों-बातों में अपने लाडले बेटे की करतूतों का बयान करने लगे – “जवाहरलाल से एक-दो बातें आपको कहनी ही होंगी। एक तो यह कि वह चना-चबेना खा लेता हे, भरी गर्मी में भी ‘थर्ड क्लास’ में सफर करता है। यह हमसे कैसे देखा और सहा जा सकता है? त्याग और कष्ट को मैं भी पसंद करता हूँ; पर इस तरह की चीज़ तो जहालत है। दूसरे उसके बन्दरपन की एक हरकत सुनिए – माघ मेले पर संगम के किनारे इन्तजाम के लिए पुलिस ने बल्लियों से रोक लगा रखी थी। बस, जवाहरलाल वहाँ जा पहुँचा और उछलकर बल्लियों के पार संगम में कूद पड़ा। तब से मैं इन्दु से कहने लगा, तेरा बाप तो आव देखता है न ताव, लड़कपन कर बैठता है।”
बापूजी ने उस वत्सल पिता को आश्वासन देकर विदा किया।