एक बार राजा मिलिन्द ने नागसेन से पूछा – “भंते, संसार में क्या ऐसे भी लोग हैं, जो मरणोपरांत जन्म नहीं लेते?”
“हाँ महाराज ! जो अपने कर्मों की इसी संसार में नि:सृत कर देते हैं, वे पुनः जन्म नहीं लेते।”
“भंते, उपमा देकर स्पष्ट कीजिए।”
“महाराज, जैसे भुना हुआ बीज खेत में नहीं उगता, वैसे ज्ञान की आँच में तपा कर्म भी निःसत्त्व हो जाता है और दुबारा जन्म नहीं लेता। हमारा मोह ही बारम्बार जन्मता है; किंतु ज्ञान की प्राप्ति से जब मोह भस्म हो जाता है, तो पुनः जीवन जीने की इच्छा नहीं रहती।”