Prerak Prasang

असंभव कुछ भी नहीं है-

nepoliyan bonapart [ar hindi short story

असंभव कुछ भी नहीं है- यह वाक्य है फ्रांस के नेपोलियन बोनापार्ट का, जो एक गरीब कुटुंब में जन्मा था, परंतु प्रबल पुरुषार्थ और दृढ़ संकल्प के कारण एक सैनिक की नौकरी में से फ्रांस का शहंशाह बन गया। ऐसी ही संकल्पशक्ति का दूसरा उदाहरण है संत विनोबा भावे।

बचपन में विनोबा गली में सब बच्चों के साथ खेल रहे थे। वहाँ बातें चली कि अपनी पीढ़ी में कौन-कौन संत बन गए। प्रत्येक बालक ने अपनी पीढ़ी में किसी न किसी पूर्वज का नाम संत के रूप में बताया। अंत में विनोबा जी की बारी आई। विनोबा ने तब तक कुछ नहीं कहा परंतु उन्होंने मन-ही-मन दृढ़ संकल्प करके जाहिर किया कि, अगर मेरी पीढ़ी मैं कोई संत नहीं बना तो मैं स्वयं संत बनकर दिखाऊँगा। अपने इस संकल्प की सिद्धि के लिए उन्होंने प्रखर पुरुषार्थ शुरू कर दिया। लग गए इसकी सिद्धि में और अंत में, एक महान संत के रूप में प्रसिद्ध हुए। यह है दृढ़संकल्पशक्ति और प्रबल पुरुथार्थ का परिणाम। इसलिए दुर्बल नकारात्मक विचार छोड़कर उच्च संकल्प करके प्रबल पुरुषार्थ में लग जाओ, सामर्थ्य का खजाना तुम्हारे पास ही है सफलता अवश्य तुम्हारे कदम चूमेगी।

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