Prerak Prasang

ईश्वर सबका रक्षक

noorjahan hindi short story

ईरान के दो मुसाफिर हिंदुस्तान की ओर चले आ रहे थे। उनमें से एक पति था दूसरी पत्नी। पत्नी गर्भवती थी। रास्ते में चलते-चलते उसने एक बच्ची को जन्म दिया। पति-पत्नी दुर्भाग्य के मारे थे। उनके पास रहने का कोई साधन नहीं था। साथ में एक मरियल-सा घोड़ा था। अब करें तो क्या बच्ची को संभाले या घोड़े को, सोच नहीं पाए। दोनों मियाँ बीबी ने विचार किया कि बच्ची को कपड़े में लपेटकर पेड़ के नीचे रख दिया जाए और वे दोनों आगे बढ़ जाए। उन्होंने वही किया। वे दोनों कुछ दूर आगे बढ़े ही थे कि पीछे एक काफ़िला आया। काफ़िले के लोगों ने पेड़ के नीचे बच्ची के रोने की आवाज सुनी। देखा गया तो एक नवजात बच्ची पड़ी थी। काफ़िले में कोई औरत तो थी नहीं जो बच्ची की देखभाल करती। फिर भी किसी तरह उसे उठाकर काफ़िला आगे बढ़ने लगा। रास्ते में वे दोनों मियाँ बीबी मिल गए। काफ़िले का सरदार उनसे बोला ‘ठहरो, हमारे पास एक बच्ची है और तुम माँ हो, तुम इसे पाल हो। इस पर जितना खर्च लगेगा, हम देंगे। उन दोनों ने खुद अपनी बच्ची को पहचान लिया। सोचा, हम तो इसे मरने को छोड़ आए थे और यह फिर हमारे पास लौट आई। माँ ने अपनी बच्ची को संभाल लिया। बच्ची गोद में जाते ही चुप हो गईं।

दोनों मियाँ- बीबी बच्ची की परवरिश करते रहे। साथ ही नौकरी भी ढूँढ़ते रहे। इत्तफाक से भाग्य ने पलटा खाया ओर उन्हें राज दरबार में नौकारी लग गई। माँ रनिवास का काम संभालने लगी और उसका पिता राज दरबार में लग गया। राजा के घर में राजकुमारी की ही तरह उसका पालन-पोषण होने लगा। बच्ची अत्यंत सुन्दर थी। एक दिन शाहजादे की नजर उस पर पड़ी। उसने उससे शादी करनी चाही, किंतु बादशाह एक दासीपुत्री से अपने शाहजादे की शादी के लिए कभी तैयार नहीं था। उसने बंगाल के सूबेदार के शाहजादे के साथ लड़की की शादी करा दी। जब बादशाह मर गया और शाहजादे की तख्तपोशी हुई तो उसने सूबेदार पर चढ़ाई करके उसको मार दिया और अपनी अनचाही बीबी को उसके घर भेज दिया। फिर उसने उसी दासीपुत्री को बीबी बना लिया। वही औरत नूरजहाँ के नाम से प्रसिद्ध हुई। वह जिस तख्त पर बैठती थी वह बत्तीस करोड़ रुपये का था। उसमें हीरे, मोती, जवाहरात जड़े हुए थे।

बताओ, जिस लड़की को जानवरों के आहार के रूप में फेंक दिया गया या वही इतनी बड़ी रानी कैसे हो गई? यह सब किसने किया? क्या उसकी मदद के लिए उसका कोई रिश्तेदार, कोई भाई-भतीजा गया? उसकी देखभाल तो ईश्वर के कारण होती रही अतः भगवान ही सारी सृष्टि का रक्षक है। आदमी अहंकारवश व्यर्थ चिंता करता है।”

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