एक बार संत अब्दुल्ला कपड़ा खरीदने के लिए अपने पुत्र के साथ बाज़ार गए। दुकानदार ने कपड़ा दिखाया। उन्होंने कीमत में कुछ कमी चाही, लेकिन वह न माना। दुकानदार का पड़ोसी उन्हें जानता था, कहने लगा- “जानते हो ये कौन हैं? अब्दुल्ला हैं।”
अब्दुल्ला यह सुनते ही उठ खड़े हुए और अपने बेटे का हाथ पकड़ा और कहने लगे मियाँ, चलो ! हम यहाँ कपड़ा पैसों से खरीदने आए हैं। अपने दीन से नहीं।” और वे कपड़ा लिए बिना चले गए।