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संत दादू दयाल

sant dadu dayal hindi short story

दादू दयाल तब भी संत नहीं बने थे। एक दिन वे दुकान पर बैठे हिसाब लिखने में मग्न थे। उनके गुरु आकर द्वार पर खड़े हो गए; किंतु दादू को इसकी सुध तक न हुई। बाहर मूसलाधार पानी बरस रहा था।

अचानक ही दादू की नज़र बाहर की ओर गई। द्वार पर गुरु को खड़ा देखकर वे तुरन्त दौड़कर उनके चरणों से लिपट गए। आँखों में आँसू भरकर बोले- “माफ कर दीजिए गुरुदेव ! दुनिया- दारी के कामों में में इतना डूब गया था कि आप आकर दहलीज पर खड़े रहे, तो भी मेरा ध्यान उस ओर नहीं था।” गुरु न वात्सल्यपूर्वक कहा, “मैं तो थोड़ी देर से खड़ा है परंतु बेटा, प्रभु तो अनंत काल से तुम्हारे द्वारे खड़ा तुम्हारे बुलावे की बाट जोह रहा है।

दादू के जीवन की दिशा उसी दिन से बदल गई।

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