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रविशंकर महाराज का ज्ञान

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रविशंकर महाराज एक शाम को किसी स्टेशन पर उतरे, तो एक परिचित लड़के से अचानक उनकी मुलाकात हो गई। लड़के के पास लगभग पांच सेर वजन की दो गठरियाँ थीं और वह प्लेटफॉर्म पर खड़ा ‘कुली, कुली !’ चिल्ला रहा था। रविशंकर महाराज ने कहा – “तुझसे गठरियाँ नहीं उठाई जाती हैं, तो ला, मैं ले चलूँ।” लड़का शरमाकर खुद गठरियाँ हाथ में लटकाए चलने लगा।

थोड़ी देर बाद अपनी झेंप दूर करने के लिए लड़के ने दलील दी- “महाराज, आपने बेचारे कुली के चार आने पैसे नाहक मार दिए।… मेरे पिता काफी पैसे कमाते हैं, इसलिए किसी गरीब को पैसे देने में क्या पाप है?”

“बिना मेहनत कराए ही अगर तू पैसे दे देता, तो काफी पुण्य होता न!” महाराज ने सस्मित कहा।

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