Prerak Prasang

विवेक

Sukrat par hindi short story

यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात एक बार अपने शिष्यों के साथ चर्चा में मग्न थे। उसी समय एक ज्योतिष घूमता- घामता पहुँचा, जो कि चेहरा देखकर व्यक्ति के चरित्र के बारे में बताने का दावा करता था। सुकरात व उनके शिष्यों के समक्ष यही दावा करने लगा। चूँकि सुकरात जितने अच्छे दार्शनिक थे उतने सुदर्शन नहीं थे, बल्कि वे बदसूरत ही थे पर लोग उन्हें उनके सुंदर विचारों की वजह से अधिक चाहते थे।

ज्योतिषी सुकरात का चेहरा देखकर कहने लगा, इसके नथुनों की बनावट बता रही है कि इस व्यक्ति में क्रोध की भावना प्रबल है।

यह सुन कर सुकरात के शिष्य नाराज होने लगे परंतु सुकरात ने उन्हें रोक कर ज्योतिष को अपनी बात कहने का पूरा मौका दिया।

“इसके माथे और सिर की आकृति के कारण यह निश्चित रूप से लालची होगा। इसकी ठोड़ी की रचना कहती है कि यह बिलकुल सनकी है, इसके होंठों और दाँतों की बनावट के अनुसार यह व्यक्ति सदैव देशद्रोह करने के लिए प्रेरित रहता है।

यह सब सुन कर सुकरात ने ज्योतिषी को इनाम देकर भेज दिया, इस पर सुकरात के शिष्य भौंचक्के रह गए। सुकरात ने उनकी जिज्ञासा शांत करने के लिए कहा कि सत्य को दबाना ठीक नहीं। ज्योतिषी ने जो कुछ बताया वे सब दुर्गुण मुझमें हैं, मैं उन्हें स्वीकारता हूँ। पर उस ज्योतिषी से एक भूल अवश्य हुई है, वह यह कि उसने मेरे विवेक की शक्ति पर जरा भी गौर नहीं किया। मैं अपने विवेक से इन सब दुर्गुणों पर अंकुश लगाए रखता हूँ। यह बात ज्योतिषी बताना भूल गया। शिष्य सुकरात की विलक्षणता से और प्रभावित हो गए।

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