ललिता गोयल
श्रीमती ललिता गोयल का जन्म 15 मार्च, 1973 को हुआ। इन्होंने 1993 में दिल्ली विश्वविद्यालय से बी० ए० (आनर्स) तथा 1995 में एम० ए० (राजनीति शास्त्र) की शिक्षा ग्रहण की। इन्होंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी किया। ये कई वर्षों से देश के विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं के लिए विभिन्न विषयों पर लेख लिख रही हैं। इनके लेख अत्यंत प्रभावशाली होते हैं। लेखन कार्य के अतिरिक्त इन्होंने विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों का साक्षात्कार भी लिया है। इस समय ये नामी गिरामी ‘दिल्ली प्रैस पत्र प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड’ नई दिल्ली में बतौर सम्पादकीय सहायक कार्यरत हैं।
पाठ-परिचय
प्रस्तुत पाठ में लेखिका ने उपभोक्ता को उसके अधिकारों से अवगत कराने के साथ-साथ उन अधिकारों को पाने के लिए जागरूकता व एकजुटता पर भी बल दिया है। इस पाठ में अधिकारों के उल्लंघन / हनन के मामले में कौन शिकायत कर सकता है, शिकायत कहाँ व कैसे करें, सामान खरीदते समय उपभोक्ता को कौन-कौन सी सावधानियाँ बरतनी चाहिए आदि बातों की लेखिका ने बड़े ही सरल, सहज व स्वाभाविक ढंग से जानकारी प्रदान की है। पाठ ज्ञानवर्धक होने के साथ-साथ रोचक भी है।
कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से
रोज़मर्रा की जिंदगी में उपभोक्ताओं को ठगी व धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ता है। कभी दवा की दुकान पर ऐक्सपायरी डेट क्रॉस कर चुकी दवा दे दी जाती है, तो कभी खरीदे गए उत्पाद पर गारंटी होने के बावजूद सही सर्विस नहीं दी जाती। कभी उत्पाद पर लिखे वजन से कम वजन का सामान दे दिया जाता है, तो कभी चिकित्सक द्वारा मरीज का सही इलाज नहीं किया जाता। कभी लुभावने विज्ञापनों द्वारा ग्राहकों को प्रभावित किया जाता है और उत्पाद के बारे में उन्हें गलत जानकारी दी जाती है, जिस का खामियाजा अंततः ग्राहकों को ही भुगतना पड़ता है।
उपभोक्ताओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए सरकार ने 1986 में उपभोक्ता संरक्षण कानून लागू किया। इस कानून के अनुसार, वह हर एक व्यक्ति उपभोक्ता है, जो किसी वस्तु या सेवा को पाने के बदले धन का भुगतान करता है। इस कानून के अनुसार उपभोक्ता के रूप में उसे कुछ अधिकार प्राप्त हैं। मसलन, सुरक्षा का अधिकार, जानकारी होने का अधिकार, उत्पाद चुनने का अधिकार सुनवाई का अधिकार, शिकायत निवारण का अधिकार, उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार।
इन सभी अधिकारों को पाने के लिए ग्राहक को जागना होगा व संगठित हो कर अपना संरक्षण करना होगा। एक ताजा अध्ययन के अनुसार देश के मात्र 20% ग्राहक ही उपभोक्ता संरक्षण कानून से अवगत हैं और केवल 42% ग्राहकों ने ही सुना है कि ऐसा कोई कानून भी हैं। हालांकि रेडियो व टेलीविजन पर भी ग्राहकों को उन के अधिकारों के बारे में जागरूक करने हेतु अनेक विज्ञापन दिखाए व सुनाए जाते हैं।
स्वयं उपभोक्ता या कोई स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन इस बात के लिए अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है, जिस के अंतर्गत उपभोक्ता अधिकारों का हनन हुआ है।
शिकायतकर्ता सादे कागज़ पर निम्नलिखित जानकारी दे कर शिकायत दर्ज करा सकता है-
शिकायतकर्ता व विपक्ष का नाम और पता।
शिकायत से संबंधित तथ्य यानी अधिकारों का हनन कब व कहाँ हुआ।
शिकायत में लगाए गए आरोपों के समर्थन में जरूरी दस्तावेज।
उस हरजाने या राहत का उल्लेख जो शिकायतकर्ता पाना चाहता है।
शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर
उपरोक्त विवरण वाले कागज़ के साथ उपभोक्ता नाममात्र का न्यायालय शुल्क दे कर उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज करा सकता है।
रुपए 20 लाख तक के क्लेम के लिए उपभोक्ता जिलास्तर के उपभोक्ता संरक्षण आयोग में न्याय की गुहार करे और रुपए 20 लाख से अधिक के क्लेम के लिए राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत दर्ज कराए। रुपए 1 करोड़ से अधिक के क्लेम के लिए वह राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत दर्ज कराए।
यह ध्यान रहे कि उपभोक्ता शिकायत अधिकारों के हनन के 2 वर्ष के भीतर ही करें। ज्यादातर मामलों में पीड़ित उपभोक्ता को वकील करने की ज़रूरत नहीं होती। वह चाहे तो खुद भी पैरवी कर सकता है। और तो और बीपीएल (बिलो पावर्टी लाइन) कार्डधारक को तो शिकायत दर्ज करने के लिए किसी तरह की फीस भी नहीं देनी होती।
कई बार दुकानदार अपने उत्पाद पर लेबल या स्टिकर लगा कर उसे बाजार भाव से ज्यादा कीमत पर बेचता है। ऐसा करना उपभोक्ता अधिकारों का हनन है। अगर आप को रेलवे स्टेशन, ट्रेन, एअरपोर्ट या बस स्टैंड पर किसी भी सामान को एमआरपी से अधिक कीमत पर बेचा जाता है, तो आप अपने उपभोक्ता अधिकारों का प्रयोग कर के शिकायत कर सकते हैं।
उपभोक्ताओं के अधिकारों के उल्लंघन के ऐसे मामले भी सामने आते हैं, जिन में कंपनियाँ आकर्षक ब्याज दर या कुछ समय में धन दोगुना करने की स्कीम का भ्रामक विज्ञापन देती हैं और उपभोक्ता उन के जाल में फँस कर नुकसान उठाता है।
कई बार एक ही फ्लैट 2-2 लोगों को आवंटित कर दिया जाता है और असली हकदार को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ती हैं।
कई बार बैंक बिना कारण ग्राहक का अकाउंट फ्रीज़ कर देते हैं, जिस की वजह से ग्राहक को वित्तीय लेनदेन में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
उपभोक्ता अगर सचेत रहें और सामान खरीदते समय निम्न बातों का ध्यान रखें तो ठगी का शिकार होने से बच सकते हैं-
• उपभोक्ता केवल वही उत्पाद खरीदे जिस पर एगमार्क का लोगो हो। अगर एगमार्क वाले उत्पाद की गुणवत्ता सही नहीं पाई जाती, तो उत्पादक का लाइसेंस रद्द हो सकता है।
• उत्पाद खरीदते समय उत्पाद पर बैच नंबर या लौट नंबर भी अवश्य जाँच लें।
• पैकिंग की तारीख, उत्पाद का वज़न, किस तारीख से पहले प्रयोग उचित रहेगा, अवश्य देखें। इस के अलावा उत्पादक का नाम व पता भी अवश्य देखें।
• अधिकांश उपभोक्ता वैट बचाने के चक्कर में बिल न लेने के लिए तैयार हो जाते हैं। यही वजह होती है कि उन के पास खरीदी गई वस्तु का प्रमाण नहीं होता और वे शिकायत करने की दिशा में आगे नहीं बढ़ पाते। इसलिए कोई भी सामान खरीदते समय बिल लेना न भूलें।
• उत्पाद विज्ञापन के आधार पर लेने की बजाय उस की गुणवत्ता परख कर लें।
• उत्पाद खरीदते समय ध्यान रखें कि पैकेट खुले व फटे न हों।
• उत्पाद के साथ मिलने वाले गारंटी / वारंटी कार्ड पर दुकानदार के हस्ताक्षर अवश्य करवा लें।
उपभोक्ता अगर चाहे तो इंटरनेट के ज़रिए कोर सेंटर में भी शिकायत कर सकता है। इस के लिए उपभोक्ता consumerhelpline.gov.in पर लॉग इन कर के कंप्लेंट रजिस्ट्रेशन पर एक क्लिक द्वारा अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है। शिकायत दर्ज होने के बाद उपभोक्ता को ऑनलाइन ही शिकायत क्रमांक प्राप्त हो जाता है और 72 घंटे के भीतर ही आगे की कार्यवाही संपादित की जाती है। दूसरे पक्ष को 14 दिन के भीतर उपभोक्ता की शिकायत दूर करने के निर्देश दिए जाते हैं। उपभोक्ता को ईमेल के जरिए संपादित कार्यवाही से भी अवगत कराया जाता है।
उपभोक्ता नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन नंबर 1800114000, 1915 पर भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। यह टोलफ्री नंबर है, जिस पर 9 बजे से 5.30 बजे तक शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
शब्दार्थ
रोजमर्रा – रोज़ाना की
एक्सपायरी डेट – समापन तिथि
क्रॉस – लाँघी हुई, बीती हुई
चिकित्सक – वैद्य, डॉक्टर
खामियाज़ा – हरजाना
अंतत: – अंत में
शिकायतकर्त्ता – शिकायत करने वाला
तथ्य – सच, यथार्थ
दस्तावेज़ – विविध लेख्य
नुकसान – घाटा
राहत – आराम, चैन
मसलन – उदाहरण के तौर पर
शुल्क – फ़ीस
हिफ़ाज़त – संरक्षण
आकर्षक – लुभावना
स्वैच्छिक – अपनी इच्छा से
हनन – चोट पहुँचना, आघात
भ्रामक विज्ञापन = भ्रम में डालने वाला इश्तिहार
अभ्यास
(क) विषय-बोध
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए-
(i) उत्पादक किस तरह ग्राहकों को प्रभावित करते हैं?
(ii) उपभोक्ताओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए सरकार ने 1986 में कौन-सा कानून लागू किया?
(ii) ग्राहकों को किस तरह अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाता है?
(iv) कितने रुपये तक के क्लेम के लिए उपभोक्ता जिला स्तर पर न्याय की गुहार लगा सकता है?
(v) 20 लाख रुपये से अधिक के क्लेम के लिए उपभोक्ता को अपनी शिकायत कहाँ दर्ज करवानी चाहिए?
(vi) एक करोड़ रुपये से अधिक के क्लेम के लिए उपभोक्ता को अपनी शिकायत कहाँ दर्ज करवानी चाहिए?
(vii) उपभोक्ता को अपने अधिकारों के हनन की शिकायत कितने वर्षों के भीतर करनी चाहिए?
(viii) क्या ग़रीबी रेखा से नीचे के कार्डधारक उपभोक्ता को शिकायत दर्ज करवाने के लिए फीस अदा करनी पड़ती है?
(ix) उपभोक्ता अधिकांश तौर पर सामान खरीदते समय बिल क्यों नहीं लेते?
(x) नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन नम्बर क्या है?
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए-
(i) उपभोक्ता किसे कहते हैं?
(ii) उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 के अनुसार उपभोक्ता के कौन-कौन से अधिकार हैं?
(iii) उपभोक्ता से यदि नियत की गई कीमत से ज्यादा कीमत वसूली जाती है तो उसे क्या करना चाहिए?
(iv) उपभोक्ता अपनी शिकायत ऑनलाइन किस तरह दर्ज करवा सकता है?
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह या सात पंक्तियों में दीजिए-
(i) आयोग के पास उपभोक्ता के अधिकारों के उल्लंघन के किस-किस तरह के मामले आते हैं?
(ii) उपभोक्ता को सामान खरीदते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
(ख) भाषा बोध
1. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखिए-
अशुद्ध शुद्ध
दूकान
व्यकती
गराहक
विगयापन
नाममातर
अरोप
पीड़त
उलंघन
2. निम्नलिखित शब्दों का वर्ण-विच्छेद कीजिए-
शब्द वर्णविच्छेद
उपभोक्ता
चिकित्सक
विज्ञापन
शिकायत
ग्राहक
उत्पादक
आकर्षक
(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति
1. आप यह पाठ पढ़ने से पूर्व उपभोक्ता के अधिकारों के संरक्षण के बारे में क्या जानते थे? अपने शब्दों में लिखें।
2. क्या कभी आपके अधिकारों का हनन / उल्लंघन हुआ है? यदि हाँ, तो आपने उस स्थिति में क्या किया?
(घ) पाठ्येतर सक्रियता
1. स्कूल में खोले गए लीगल लिटरेसी क्लब के सदस्य बनें एवं कानून से संबंधित जानकारी प्राप्त करें।
2. मैगज़ीनों/अखबारों में आए उपभोक्ता जागरूकता संबंधी लेख/विज्ञापन पढ़ें। जब भी आप कोई ऐसा लेख पढ़ें जिसमें उपभोक्ता को शिकायत के बाद उचित न्याय व मुआवजा मिला हो तथा उत्पादक / दुकानदार आदि को उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन के लिए दंडित किया गया हो तो ऐसी खबर को कॉपी में चिपकाएँ और यदि संभव हो तो संक्षेप में स्कूल की प्रार्थना सभा में सुनाएँ।
(ङ) ज्ञान-विस्तार
1. राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस – भारत सरकार ने 24 दिसम्बर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस घोषित किया है क्योंकि भारत के राष्ट्रपति द्वारा इसी दिन ऐतिहासिक उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 को स्वीकार किया गया था। इस नियम में बाद में वर्ष 1993, 2002 व 2004 में संशोधन भी किये गए। इन संशोधनों के बाद यह अधिनियम और भी सशक्त हो गया।
2. विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस – उपभोक्ता आंदोलन की शुरूआत अमेरिका के कानूनविद् और अधिवक्ता राल्फ नैडर द्वारा की गयी। नैडर के आंदोलन के फलस्वरूप 15 मार्च, 1962 को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन०एफ० कैनेडी द्वारा उपभोक्ता संरक्षण पर पेश किए विधेयक को अनुमोदित किया गया। इसीलिए 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में हर वर्ष 15 मार्च को ‘उपभोक्ता संरक्षण दिवस’ मनाया जाता है।
3. एम.आर.पी. (मैक्सिमम रिटेल प्राइस) : हिंदी में इसके लिए ‘अधिकतम खुदरा मूल्य’ शब्दों का प्रयोग किया जाता है। अधिकतम खुदरा मूल्य की संकल्पना को उपभोक्ता प्रायः समझ नहीं पाते। अधिकतर मामलों में एम०आर०पी० का प्रयोग उस कीमत में किया जाने लगा है जिस पर खुदरा व्यापारी वस्तुओं को बेचता है। लेकिन यह भी ध्यान दें कि कुछ खुदरा व्यापारी एम०आर० पी० में कुछ डिस्काऊंट भी दे देते हैं। अतः हमें सजग रहना चाहिए। कुछ उपभोक्ता यह समझते हैं कि एम०आर० पी० का निर्धारण सरकार करती है जबकि सत्य यह है कि एम०आर०पी० का निर्धारण निर्माता द्वारा किया जाता है न कि सरकार द्वारा। यह भी देखने में आता है कि कुछ मामलों में एम०आर०पी० के साथ स्थानीय कर लगा दिये जाते हैं जो कि पूरी तरह से गैर-कानूनी है।
4. उपभोक्ता न्याय एजेन्सियाँ उपभोक्ताओं की शिकायत निवारण के लिए निम्नलिखित एजेन्सियाँ हैं-
(i) जिला उपभोक्ता फोरम उपभोक्ता जब कोई सामान खरीदता है या किराये पर लेता है और वह सामान खराब निकलता है या सेवा में कमी रहती है तो उसकी शिकायत सबसे पहले जिला उपभोक्ता फोरम में की जाती है। हर राज्य में जिला उपभोक्ताओं का गठन किया गया है।
(ii) राज्य उपभोक्ता आयोग : जिला उपभोक्ता फोरम के निर्णय के खिलाफ संबंधित राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की जा सकती है।
(iii) राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग राष्ट्रीय स्तर पर गठित की गई सर्वोच्च संस्था दिल्ली में है। राज्य उपभोक्ता आयोग के निर्णय के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में शिकायत की जा सकती है।
(iv) टोल फ्री नम्बर 1800-11-4000 (समय सुबह 9.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक (सभी कार्य दिवसों सोमवार से शनिवार)।
5. उपभोक्ता जागरूकता संबंधी मैगज़ीनें कंस्यूमर वॉयस, कंस्यूमर वर्ल्ड, मानकदूत (भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रकाशित)।