अपने युगांतकारी विचारों की अभिव्यक्ति के लिए, दयानंद सरस्वती ने वाणी और लेखनी का साथ-साथ प्रयोग किया था। उनके द्वारा लिखित ग्रंथों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-
1. संध्या – इस लघु पुस्तक का प्रकाशन 1920 वि. में हुआ। 30 हजार प्रतियाँ आगरा के सेठ रूपलाल के आर्थिक सहयोग से ज्वालाप्रकाश प्रेस आगरा से छपाई गईं और वितरित की गईं। पुस्तक के परिशिष्ट में लक्ष्मीसूक्त (श्रीसूक्त) दिया गया था।
2. भागवतखंडन (पाखंडखंडन) – वैष्णव भागवत के खंडन में लिखी गई यह संस्कृत पुस्तक ज्वाला- प्रकाश प्रेस आगरा में मुद्रित होकर 1923 वि. में प्रकाशित हुई। वर्षों तक अनुपलब्ध रहने के पश्चात् पंडित युधिष्ठिर मीमांसक ने इसका पुनरुद्धार किया तथा टिप्पणी एवं हिंदी अनुवाद सहित 2018 वि. में प्रकाशित किया।
3. सत्यार्थप्रकाश (प्रथम संस्करण) – राजा जयकृष्ण- दास के अनुरोध से लिखा गया यह ग्रंथ स्टार प्रेस बनारस में मुद्रित होकर 1931 वि. में प्रकाशित हुआ। इसमें केवल 12 समुल्लास ही छप सके थे, यद्यपि पांडुलिपि में 14 समुल्लास थे।
4. सत्यार्थप्रकाश (द्वितीय संस्करण) – प्रथम संस्करण को आद्योपांत संशोधित एवं परिवर्धित कर यह संस्करण तैयार किया गया। इसमें 13वें और 14वें समुल्लासों का भी समावेश था। यह स्वामीजी की मृत्यु के पश्चात् 1941 वि. में वैदिक यंत्रालय प्रयाग में छपा।
5. संध्योपासनादि पंचमहायज्ञ विधि – इस पुस्तक का यह प्रथम संस्करण था जो आर्य प्रेस बंबई में 1931 वि. में छपा।
6. पंचमहायज्ञ विधि — यह आज उपलब्ध संशोधित संस्करण है। इसे प्रथम बार लाजरस प्रेस बनारस से छपा कर 1934 वि. में प्रकाशित किया गया।
7. वेदान्ति ध्वान्त निवारण – शंकर अद्वैत वेदांत के खंडन में लिखा गया यह ग्रंथ ओरियेंटल प्रेस बंबई से 1932 वि. में मुद्रित होकर प्रकाशित हुआ।
8. वेदविरुद्ध मतखंडन – वल्लभाचार्य संस्थापित पुष्टिमार्ग के खंडन में लिखा गया संस्कृत मूल व हिंदी अनुवाद युक्त यह ग्रंथ निर्णयसागर प्रेस बंबई में मुद्रित होकर 1931 वि. में प्रकाशित हुआ। पंडित श्यामजी कृष्ण वर्मा कृत गुजराती अनुवाद भी इसमें साथ ही छपा था।
9. शिक्षापत्रीध्वान्त निवारण – गुजरात में प्रचलित स्वामीनारायण मत की शिक्षाओं की आलोचना में लिखा गया यह ग्रंथ 1932 वि. में ओरियेंटल प्रेस बंबई से प्रकाशित हुआ। यह पंडित श्यामजी कृष्ण वर्मा कृत गुजराती अनुवाद सहित छपा था।
10. आर्याभिविनय — ऋग्वेद और यजुर्वेद के 108 मंत्रों की ईश्वरप्रार्थना युक्त व्याख्या वाला यह ग्रंथ आर्य मंडल प्रेस बंबई से 1932 वि. में मुद्रित होकर प्रकाशित हुआ।
11. संस्कारविधि – षोडश संस्कारों के विधि से विधान युक्त यह ग्रंथ ऐशियाटिक प्रेस बंबई से मुद्रित होकर 1933 वि. में प्रकाशित हुआ।
12. संस्कारविधि (द्वितीय संस्करण) – उपर्युक्त ग्रंथ का आद्योपांत संशोधित और परिवर्धित संस्करण वैदिक यंत्रालय प्रयाग से 1941 वि. में (स्वामीजी की मृत्यु के पश्चात्) प्रकाशित हुआ।
13. वेदभाष्यम् (नमूने का अंक) – वेदभाष्य को आरंभ करने से पूर्व ऋग्वेद के कतिपय प्रारम्भिक मंत्रों का अर्थ नमूने के रूप में लिखकर विद्वानों की सम्मति हेतु तैयार किया गया। इसे लाजरस प्रेस प्रयाग ने 1933 वि. में छापा।
14. ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका – वेदभाष्यविषयक स्वसिद्धान्तों का निरूपण करने हेतु इस ग्रंथ की रचना हुई। यह मासिक पत्र के रूप में छपता था। प्रथम 14 अंक लाजरस प्रेस बनारस में 1934-35 वि. में छपे। अवशिष्ट दो अंक निर्णयसागर प्रेस बंबई में छपे।
15. ऋग्वेदमात्यम् (मांडल 7, सूक्त 62, मंत्र 2 तक) – यह 1935 वि. में निर्णयसागर प्रेस बंबई में मुद्रित होना प्रारंभ हुआ और 1956 वि. पर्यन्त छपता रहा। बंबई के पश्चात् इसका मुद्रण वैदिक यंत्रालय (प्रथम काशी, पश्चात् प्रयाग, अंततः अजमेर) में 1935 वि. में हुआ।
16. यजुर्वेदभाष्य — इसका प्रकाशन निर्णयसागर प्रेस बंबई में आरंभ हुआ और समाप्ति वैदिक यंत्रालय (काशी, प्रयाग) में हुई।
17. आर्योद्देश्यरत्नमाला – आयों के मन्तव्यों की निदर्शक यह रत्नमाला चश्म-ए-नूर प्रेस अमृतसर में मुद्रित होकर 1946 वि. में छपी।
18. भ्रान्तिनिवारण – दयानंद सरस्वतीकृत ऋग्वेद- भाष्य पर पंडित महेशचन्द्र न्यायरत्न के प्रक्षेपों के निराकरण में लिखा गया यह ग्रंथ आर्यभूषण प्रेस शाहजहाँपुर में 1937 वि. में मुद्रित होकर प्रकाशित हुआ।
19. अष्टाध्यायी भाष्य (2 भाग) – इनका लेखन काल तो 1935-36 वि. का है किंतु प्रकाशन वैदिक यंत्रालय अजमेर द्वारा 1984 वि. तथा 1997 वि. में क्रमशः हुआ।
20. संस्कृतवाक्यप्रबोध – वैदिक यंत्रालय काशी से 1936 वि. में प्रकाशित।
21. व्यवहारभानु– बालकों को व्यवहार और चरित्र ज्ञान कराने के लिए लिखा गया यह ग्रंथ वैदिक यंत्रालय, काशी से 1936 वि. में प्रकाशित हुआ।
22. गौतम अहल्या की कथा – पुराणोक्त प्रचलित कथा का वास्तविक रूप इस लघु पुस्तक में दिखाया गया है। इसका मुद्रण 1937 वि. में वैदिक यंत्रालय काशी में हुआ था। आज यह अनुपलब्ध है।
23. भ्रमोच्छेदन – राजा शिवप्रसाद सितारेहिन्द के वेद और ब्राह्मण ग्रंथ विषयक विचारों के खंडन में लिखी गई यह पुस्तक 1937 वि. में वैदिक यंत्रालय काशी ने प्रकाशित की।
24. गोकरुणानिधि – गो आदि उपयोगी पशुओं की रक्षा में लिखी गई यह पुस्तक 1937 वि. में वैदिक यंत्रालय काशी से छपी।
25. वेदांगप्रकाश (भाग – 14) – वेदाध्ययन में सहायक ये 14 ग्रंथ वैदिक यंत्रालय काशी एवं प्रयाग से 1936-1940 वि. की अवधि में छपे।
शास्त्रार्थ ग्रंथ-
1. काशी शास्त्रार्थ (प्रथम संस्करण) – यह शास्त्रार्थं सत्यधर्मविचार शीर्षक से लाइट प्रेस बनारस में मुद्रित होकर 1926 वि. में प्रकाशित हुआ था। वर्षों तक यह ग्रंथ अप्राप्य था। इसे डॉक्टर ब्रजमोहन जावलिया ने महाराजा जयपुर के निजी ग्रंथसंग्रह पोथीखाने से ढूँढ निकाला और पंडित युधिष्ठिर मीमांसक ने वेदवाणी में प्रकाशित किया।
2. काशी शास्त्रार्थ (संशोधित द्वितीय संस्करण) – वैदिक यंत्रालय काशी से 1937 वि. में प्रकाशित।
3. हुगली शास्त्रार्थं (प्रतिमापूजनविचार) – लाइट प्रेस बनारस से 1930 वि. में मुद्रित।
4. सत्यधर्म विचार (मेला चांदापुर) – वैदिक यंत्रालय काशी से 1937 वि. में प्रकाशित। इसमें शाहजहाँपुर,जिले के चांदापुर ग्राम में स्वामी दयानंद और पादरियों तथा मौलवियों के बीच हुई धर्मचर्चा का विवरण है।
5. जालंधर शास्त्रार्थं – पंजाब के जालंधर नगर में मौलवी अहमद हसन से हुए शास्त्रार्थं का विवरण पंजाबी प्रेस, लाहौर से 1934 वि. में मुद्रित होकर प्रकाशित हुआ।
6. सत्यासत्य विवेक (बरेली शास्त्रार्थ) – बरेली के पादरी डॉक्टर टी. जे. स्कॉट से हुई धर्म चर्चा को शाहजहाँपुर के आर्यभूषण प्रेस ने उर्दू में प्रकाशित किया।
स्वामी दयानंद के द्वारा लिखे गए तथा तैयार कराए गए अन्य अनेक ग्रंथ परोपकारिणी सभा के ग्रंथागार में विद्यमान हैं। इनकी सूची भी प्रकाशित हो चुकी है। (द्रष्टव्य – ऋषि दयानंद के ग्रंथों का इतिहास)। चारों वेदों का भाष्य लिखने का संकल्प कर स्वामीजी ने चतुर्वेदविषयसूची का प्रणयन किया था। इसे इन पंक्तियों के लेखक द्वारा संपादित किया जा कर 2028 वि. में वैदिक यंत्रालय, अजमेर ने प्रकाशित किया।