SEBA, Assam Class IX Hindi Book, Alok Bhaag-1, Ch. 01 – Himmat Aur Zindagi, Ramdhari Singh ‘Dinkar’, The Best Solutions, हिम्मत और जिंदगी – रामधारी सिंह ‘दिनकर’

रामधारी सिंह ‘दिनकर’

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म बिहार प्रदेश के मुंगेर जिले के गंगा के उत्तरी तट पर स्थित गाँव सिमरिया में 1908 ई. में हुआ था।

दिनकर के पिता कृषक थे। उनका देहांत तभी हो गया, जब दिनकर दो वर्ष के थे। उनका लालन-पालन उनकी माँ ने किया। प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही पाकर, मैट्रिक की परीक्षा दिनकर ने मोकामाघाट के हाईस्कूल से 1928 ई. में पास की। इसके बाद उन्होंने पटना कॉलेज से 1932 ई. में बी.ए. किया। परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी न थी कि दिनकर आगे पढ़ सके। इसलिए वे एक हाई स्कूल में पढ़ाने लगे।

1934 ई. में उन्होंने बिहार सरकार में नौकरी आरंभ की और सन् 1952 तक विभिन्न पदों पर कार्य करते रहे। 1952 ई. में कांग्रेस ने उन्हें राज्य सभा के लिए मनोनीत किया। 1965 ई. में भारत सरकार ने उन्हें हिंदी सलाहकार के पद पर नियुक्त किया। इस पद पर वे मृत्युपर्यंत (1974 ई.) बने रहे।

दिनकर जी का गद्य और पद्य दोनों पर समान अधिकार था। उनकी गद्य की पुस्तक संस्कृति के चार अध्याय को साहित्य अकादमी पुरस्कार और काव्य- ग्रंथ उर्वशी को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला। राष्ट्रपति ने उन्हें ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया।

उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं –

गद्य : मिट्टी की ओर, अर्धनारीश्वर, देश-विदेश, उजली आग, भारत की सांस्कृतिक कहानी, रेती के फूल आदि।

पद्य : प्रणभंग, रेणुका, हुँकार, रसवन्ती, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी आदि।

दिनकर के निबंधों में विचारों की स्पष्टता और अभिव्यक्ति की सहजता एवं सजीवता का अद्भुत मेल है। उन्होंने सामाजिक जीवन, संस्कृति एवं राष्ट्रीय समस्याओं पर विचारोत्तेजक लेख लिखे हैं।

हिम्मत और जिंदगी – पाठ का परिचय

प्रस्तुत पाठ हिम्मत और जिंदगी दिनकर जी का ऐसा ही एक विचारोत्तेजक निबंध है। इसमें लेखक ने कहा है कि जीवन में धूप में तपने वाला ही चाँदनी का आनंद ले सकता है। भोजन का असली स्वाद उसी को मिलता है जो कुछ दिन बिना खाए भी रह सकता है। वस्तुतः लेखक ने एक अच्छी जिंदगी जीने की राह दिखाई है। अनेक ऐतिहासिक प्रसंगों से पाठ की रोचकता काफी बढ़ी है।

हिम्मत और जिंदगी

जिंदगी के असली मजे उनके लिए नहीं है, जो फूलों की छाँह के नीचे खेलते और सोते हैं। बल्कि फूलों की छाँह के नीचे अगर जीवन का कोई स्वाद छिपा है तो वह भी उन्हीं के लिए है, जो दर रेगिस्तान से आ रहे हैं, जिनका कंठ सूखा हुआ, ओंठ फटे हुए और सारा बदन पसीने से तर है। पानी में अमृत वाला तत्त्व है, उसे वह जानता है, जो धूप में खूब सूख चुका है, वह नहीं जो रेगिस्तान में कभी पड़ा ही नहीं है।

सुख देनेवाली चीजें पहले भी और अब भी हैं। फर्क यह है कि जो सुखों का मूल्य पहले चुकाते हैं और उनके मजे बाद में लेते हैं उन्हें स्वाद अधिक मिलता है। जिन्हें आराम आसानी से मिल जाता है, उनके लिए आराम ही मौत है।

जो लोग पाँव भीगने के खौफ से पानी से बचते रहते हैं, समुद्र में डूब जाने का खतरा उन्हीं के लिए है। लहरों में तैरने का जिन्हें अभ्यास है वे मोती लेकर बाहर आएँगे।

चाँदनी की ताजगी और शीतलता का आनंद वह मनुष्य लेता है, जो दिन भर धूप में थक कर लौटा है, जिसके शरीर को अब तरलाई की जरूरत महसूस होती है और जिसका मन यह जानकर संतुष्ट है कि दिन भर का समय उसने किसी अच्छे काम में लगाया है।

इसके विपरीत वह आदमी भी है, जो दिन भर खिड़कियाँ बंद करके पंखों के नीचे छिपा हुआ था और अब रात में जिसकी सेज बाहर चाँदनी में लगाई गई है। भ्रम तो शायद उसे भी होता होगा कि वह चाँदनी के मजे ले रहा है, लेकिन सच पूछिए तो वह खुशबूदार फूलों के रस में दिन-रात सड़ रहा है।

उपवास और संयम ये आत्महत्या के साधन नहीं है। भोजन का असली स्वाद उसी को मिलता है, जो कुछ दिन बिना खाए भी रह सकता है। ‘ त्यक्तेन भुंजीथा:’, जीवन को भोग त्याग के साथ करो, यह केवल परमार्थ का ही उपदेश नहीं है, क्योंकि संयम से भोग करने पर जीवन से जो आनंद प्राप्त होता है, वह निरा भोगी बनकर भोगने से नहीं मिल पाता।

बड़ी चीजें बड़े संकटों में विकास पाती हैं, बड़ी हस्तियाँ बड़ी मुसीबतों में पलकर दुनिया पर कब्जा करती है। अकबर ने तेरह साल की उम्र में अपने बाप के दुश्मन को परास्त कर दिया था, जिसका एक मात्र कारण यह था कि अकबर का जन्म रेगिस्तान में हुआ था और वह भी उस समय, जब उसके बाप के पास एक कस्तूरी को छोड़कर और कोई दौलत नहीं थी।

महाभारत में देश के प्रायः अधिकांश वीर कौरवों के पक्ष में थे। मगर फिर भी जीत पांडवों की हुई, क्योंकि उन्होंने लाक्षागृह की मुसीबत झेली थी, क्योंकि उन्होंने वनवास के जोखिम को पार किया था।

श्री विन्स्टन चर्चिल ने कहा है कि जिंदगी की सबसे बड़ी सिफत हिम्मत है। आदमी के और सारे गुण उसके हिम्मती होने से ही पैदा होते हैं।

जिंदगी की दो सूरतें हैं। एक तो यह कि आदमी बड़े-से-बड़े मकसद के लिए कोशिश करे, जगमगाती हुई जीत पर पंजा डालने के लिए हाथ बढ़ाए और अगर असफलताएँ कदम-कदम पर जोश की रोशनी के साथ अँधियाली का जाल बुन रही हों, तब भी वह पीछे को पाँव न हटाए।

दूसरी सूरत यह है कि उन गरीब आत्माओं का हमजोली बन जाए जो न तो बहुत अधिक सुख पाती हैं और न जिन्हें बहुत अधिक दुःख पाने का संयोग है, क्योंकि वे आत्माएँ ऐसी गोधूलि में बसती हैं, जहाँ न तो जीत हँसती है और न कभी हार के रोने की आवाज सुनाई पड़ती है। इस गोधूलि वाली दुनिया के लोग बँधे हुए घाट का पानी पीते हैं, वे जिंदगी के साथ जुआ नहीं खेल सकते और कौन कहता है कि पूरी जिंदगी को दाँव पर लगा देने में कोई आनंद नहीं है?

अगर रास्ता आगे ही आगे निकल रहा हो तो फिर असली मजा तो पाँव बढ़ाते जाने में ही है।

साहस की जिंदगी सबसे बड़ी जिंदगी होती है। ऐसी जिंदगी की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बिल्कुल निडर, बिल्कुल बेखौफ होती है। साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह इस बात की चिंता नहीं करता कि तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं। जनमत की उपेक्षा करके जीनेवाला आदमी दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्यता को प्रकाश भी उसी आदमी से मिलता है। अड़ोस-पड़ोस को देखकर चलना, यह साधारण जीव का काम है। क्रांति करने वाले अपने उद्देश्य की तुलना न तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते हैं और न अपनी चाल को ही पड़ोसी की चाल देखकर मद्धिम बनाते हैं।

साहसी मनुष्य उन सपनों में भी रस लेता है, जिन सपनों का कोई व्यावहारिक अर्थ नहीं है।

साहसी मनुष्य सपने उधार नहीं लेता, वह अपने विचारों में रमा हुआ अपनी ही किताब पढ़ता है।

झुंड में चलना और झुंड में चरना, यह भैंस और भेड़ का काम है सिंह तो बिल्कुल अकेला होने पर भी मगन रहता है।

अर्नाल्ड बेनेट ने एक जगह लिखा है कि जो आदमी यह महसूस करता है कि किसी महान निश्चय के समय वह साहस से काम नहीं ले सका, जिंदगी की चुनौती को कबूल नहीं कर सका, वह सुखी नहीं हो सकता। बड़े मौके पर साहस नहीं दिखानेवाला आदमी बराबर अपनी आत्मा के भीतर एक आवाज सुनता रहता है, एक ऐसी आवाज जिसे वही सुन सकता है और जिसे वह रोक भी नहीं सकता। यह आवाज उसे बराबर कहती रहती है, “तुम साहस नहीं दिखा सके, तुम कायर की तरह भाग खड़े हुए।”सांसारिक अर्थ में जिसे हम सुख कहते हैं उसका न मिलना, फिर भी, इससे कहीं श्रेष्ठ है कि मरने के समय हम अपनी आत्मा से यह धिक्कार न सुनें कि तुममें हिम्मत की कमी थी, कि तुममें साहस का अभाव था, कि तुम ठीक वक्त पर जिंदगी से भाग खड़े हुए।

जिंदगी को ठीक से जीना हमेशा ही जोखिम झेलना है और जो आदमी सकुशल जीने के लिए जोखिम का हर जगह पर एक घेरा डालता है, वह अंतत: अपने ही घेरों के बीच कैद हो जाता है और जिंदगी का कोई मजा उसे नहीं मिल पाता, क्योंकि जोखिम से बचने की कोशिश में, असल में, उसने जिंदगी को ही आने में रोक रखा है।

जिंदगी से, अंत में, हम उतना ही पाते हैं, जितनी कि उसमें पूँजी लगाते हैं। यह पूँजी लगाना जिंदगी के संकटों का सामना करना है, उसके उस पन्ने को उलट कर पढ़ना है, जिसके सभी अक्षर फूलों से ही नहीं, कुछ अंगारों से भी लिखे गए हैं। जिंदगी का भेद कुछ उसे ही मालूम है जो यह जानकर चलता है कि जिंदगी कभी भी खत्म न होने वाली चीज है। 

अरे! ओ जीवन के साधको! अगर किनारे की मरी हुई सीपियों से ही तुम्हें संतोष हो जाए तो समुद्र के अंतराल में छिपे हुए मौक्तिक- कोष को कौन बाहर लाएगा?

दुनिया में जितने भी मजे बिखेरे गए हैं, उनमें तुम्हारा भी हिस्सा है। वह चीज भी तुम्हारी हो सकती है, जिसे तुम अपनी पहुँच के परे मान कर लौटे जा रहे हो।

कामना का अंचल छोटा मत करो, जिंदगी के फल के दोनों हाथों से दबाकर निचोड़ो, रस की निर्झरी तुम्हारे बहाए भी बह सकती है।

यह अरण्य, झुरमुट जो काटे अपनी राह बना ले, क्रीतदास यह नहीं किसी का जो चाहे अपना ले। जीवन उनका नहीं युधिष्ठिर! जो उससे डरते हैं। वह उनका जो चरण रोप निर्भय होकर लड़ते हैं।

क्रम

शब्द

हिंदी अर्थ

English Meaning

1

हिम्मत

साहस, दिलेरी

Courage

2

जिंदगी

जीवन

Life

3

रेगिस्तान

बंजर भूमि

Desert

4

कंठ

गला

Throat

5

संयम

आत्मनियंत्रण

Self-control

6

भोग

उपभोग, आनंद लेना

Enjoyment, Indulgence

7

त्याग

बलिदान, परित्याग

Sacrifice, Renunciation

8

आत्महत्या

खुद को मारना

Suicide

9

संकट

कठिनाई, आपदा

Crisis, Trouble

10

मुसीबत

परेशानी

Problem, Trouble

11

अंधियाली

अंधकार

Darkness

12

गोधूलि

संध्या का समय

Twilight

13

आत्मा

अंतरात्मा

Soul

14

क्रांति

बदलाव की प्रक्रिया

Revolution

15

निडर

निर्भय

Fearless

16

बेखौफ

बिना डर

Daring, Unafraid

17

जनमत

जनता की राय

Public opinion

18

तमाशा

दिखावा, मज़ा

Spectacle, Drama

19

साधक

प्रयास करने वाला

Seeker, Practitioner

20

मौक्तिक-कोष

मोतियों का भंडार

Treasure of Pearls

21

अंचल

किनारा, भाग

Region, Border, Lap

22

निर्झरी

झरना

Stream

23

अरण्य

जंगल

Forest

24

झुरमुट

पेड़ों या झाड़ियों का घना समूह

Thicket, Bush

25

क्रीतदास

खरीदा हुआ दास

Slave

26

चरण रोपना

पैर जमाना, मजबूती से खड़ा होना

To step firmly, To root feet

27

युधिष्ठिर

धर्मराज, धैर्यवान पांडव

Yudhishthir (symbol of patience & righteousness)

28

प्रयास

कोशिश

Effort

29

भोगी

सिर्फ उपभोग करने वाला व्यक्ति

Hedonist

30

आनंद

सुख, हर्ष

Joy, Bliss

31

तपस्या

कठोर साधना

Austerity, Penance

32

व्यावहारिक

व्यवहार से संबंधित

Practical

33

दौलत

संपत्ति, धन

Wealth

34

शीतलता

ठंडक, ठहराव

Coolness, Calmness

35

थकान

श्रम से उत्पन्न थकावट

Fatigue

36

प्रेरणा

उत्साहवर्धक विचार

Inspiration

37

परास्त

हराना

Defeat

38

विजय

जीत

Victory

39

प्रेरक

उत्साहित करने वाला

Motivational

40

सफलता

कामयाबी

Success

शब्दार्थ एवं टिप्पणी

खौफ – भय, डर

तरलाई – शीतलता, तरलता

कस्तूरी – एक अत्यंत सुगंधित बहुमूल्य पदार्थ, जो एक विशेष प्रकार के नर हिरन की नाभि के पास की गाँठ में पैदा होता है (यह औषधि के काम में आता है)

लाक्षागृह – लाख का घर, जिसे पांडवों को मारने के लिए कौरवों ने बनवाया था

विंस्टन चर्चिल – द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री

सिफत – विशेषता

मकसद – उद्देश्य हेतु

पंजा डालना – हासिल

हमजोली – संगी-साथी

गोधूलि – संध्या बेला

बँधे हुए घाट का पानी पीना – आराम की जिंदगी जीना, चुनौती स्वीकार न करना

दाँव लगाना – बाजी लगाना

मद्धिम – धीमी

अर्नाल्ड बेनेट – इंग्लैंड का उच्चकोटि का विचारक

कबूल – स्वीकार

अंतराल – गहरा तल

झरना – निर्झरी

अरण्य – वन, जंगल

क्रीतदास – खरीदा या मोल लिया हुआ गुलाम

रोप – रोपण, धान आदि की पौध भूमि में लगाना

मौक्तिक कोष – मोतियों का भंडार, महान उपलब्धियाँ

हिम्मत और जिंदगी – पाठ का सार

यह प्रेरणादायक निबंध जीवन के मूल तत्त्व — साहस, संघर्ष, संयम और आत्मबल — पर आधारित है। लेखक यह समझाते हैं कि सच्चा आनंद और सफलता उन्हें ही प्राप्त होती है जो कठिनाइयों का सामना करके आगे बढ़ते हैं, न कि उन्हें जो सुविधाओं में ही जीवन व्यतीत करते हैं। वे उदाहरण देकर बताते हैं कि जैसे कोई व्यक्ति रेगिस्तान में भटक कर आया हो, उसे ही पानी की असली कीमत समझ में आती है, वैसे ही जीवन की असली मिठास उन्हें मिलती है जो संघर्षों से होकर गुजरते हैं। जो व्यक्ति संयम रखता है, वही जीवन के भोग का सच्चा आनंद ले पाता है।

लेखक कहते हैं कि साहसी व्यक्ति भीड़ से अलग चलता है, वह जनमत की परवाह नहीं करता, बल्कि अपने उद्देश्य को लेकर निडर होकर आगे बढ़ता है। झुंड में चलना पशुओं का काम है, लेकिन महान व्यक्ति अकेले भी चलता है और अपने रास्ते खुद बनाता है। लेख में ऐतिहासिक उदाहरणों जैसे अकबर, पांडव, चर्चिल आदि के माध्यम से यह बताया गया है कि बड़ी हस्तियाँ हमेशा बड़ी कठिनाइयों से उभरती हैं। अंत में लेखक पाठकों को प्रेरित करते हैं कि जीवन से डरो मत, जोखिम लो, अपने सपनों का पीछा करो और जीवन को दोनों हाथों से पकड़ो — क्योंकि सच्ची जिंदगी वही है जो हिम्मत के साथ जी जाए।

(अ) सही विकल्प का चयन करो :-

  1. किन व्यक्तियों को सुख का स्वाद अधिक मिलता है?

(क) जो सुख का मूल्य पहले चुकाता है।

(ख) जो सुख का मूल्य पहले चुकाता है और उसका मजा बाद में लेता है।

(ग) जिसके पास धन और बल दोनों हैं।

(घ) जो पहले दुःख झेलता है।

उत्तर – (ख) जो सुख का मूल्य पहले चुकाता है और उसका मजा बाद में लेता है।

  1. पानी में जो अमृत-तत्त्व है, उसे कौन जानता है?

(क) जो प्यासा है।

(ख) जो धूप में खूब सूख चुका है।

(ग) जिसका कंठ सूखा हुआ है।

(घ) जो रेगिस्तान से आया है।

उत्तर – (ख) जो धूप में खूब सूख चुका है।

  1. गोधूली वाली दुनिया के लोगों’ से अभिप्राय है –

(क) विवशता और अभाव में जीने वाले लोग।

(ख) जय-पराजय के अनुभव से परे लोग।

(ग) फल की कामना न करने वाले लोग।

(घ) जीवन को दाँव पर लगाने वाले लोग।

उत्तर – (ख) जय-पराजय के अनुभव से परे लोग।

  1. साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह

(क) सदा आगे बढ़ता जाता।

ख) बाधाओं से नहीं घबराता है।

(ग) लोगों की सोच की परवाह नहीं करता।

(घ) बिलकुल निडर होता है।

उत्तर – (ग) लोगों की सोच की परवाह नहीं करता।

(आ) संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 25 शब्दों में) :-

  1. चाँदनी की शीतलता का आनंद कैसा मनुष्य उठा पाता है?

उत्तर – चाँदनी की शीतलता का असली आनंद वही व्यक्ति उठा पाता है, जो दिनभर धूप में परिश्रम करता है और जिसके तन-मन को तरलता और संतोष की सच्ची आवश्यकता होती है।

  1. लेखक ने अकेले चलने वाले की तुलना सिंह से क्यों की है?

उत्तर – लेखक ने अकेले चलने वाले की तुलना सिंह से की है क्योंकि सिंह भीड़ में नहीं चलता, वह अकेले रहने पर भी आत्मनिर्भर, निर्भीक और आत्मविश्वास से भरा होता है।

  1. जिंदगी का भेद किसे मालूम है?

उत्तर – जिंदगी का भेद उसी व्यक्ति को मालूम होता है जो जीवन के संकटों से नहीं डरता, बल्कि जीवन को फूलों और अंगारों से लिखी किताब समझकर हर पन्ना पूरी तरह पढ़ता है।

  1. लेखक ने जीवन के साधकों को क्या चुनौती दी है?

उत्तर – लेखक ने जीवन के साधकों को चुनौती दी है कि वे सीमित सुखों में न उलझें, बल्कि समुद्र की गहराई में छिपे मोतियों को पाने का साहस और प्रयास करें।

 

(ई) सप्रसंग व्याख्या करो (लगभग 100 शब्दों में) :-

(क) साहसी मनुष्य सपने उधार नहीं लेता, वह अपने विचारों में रमा हुआ अपनी ही किताब पढ़ता है।

उत्तर – प्रसंग यह पंक्ति राष्ट्रकवि और हिंदी साहित्य जगत के मूर्धन्य लेखक रामधारी सिंह दिनकर की रचना हिम्मत और ज़िंदगी से उद्धृत है।

व्याख्या – यह पंक्ति लेखक के जीवन-दर्शन का सार है, जिसमें साहसी व्यक्ति की स्वतंत्र सोच को महत्त्व दिया गया है। लेखक कहते हैं कि जो व्यक्ति सच में साहसी होता है, वह दूसरों के विचारों और सपनों की नकल नहीं करता। वह अपने मन में जन्मे विचारों को ही जीवन का मार्ग बनाता है। उसका आत्मविश्वास इतना प्रबल होता है कि वह अकेले चलना पसंद करता है और भीड़ या परंपरा का अंधानुकरण नहीं करता। ऐसा व्यक्ति अपनी अलग पहचान बनाता है और समाज को नई दिशा देता है।

(ख) कामना का अंचल छोटा मत करो, जिंदगी के फल को दोनों हाथों से दबाकर निचोड़ो।

उत्तर – प्रसंग यह पंक्ति राष्ट्रकवि और हिंदी साहित्य जगत के मूर्धन्य लेखक रामधारी सिंह दिनकर की रचना हिम्मत और ज़िंदगी से उद्धृत है।

व्याख्या यह पंक्ति जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण और साहसी रवैये को दर्शाती है। लेखक पाठक से आग्रह करते हैं कि वह अपनी इच्छाओं और सपनों को सीमित न रखे। जीवन एक विशाल अवसर है, जिसमें यदि पूरे उत्साह और साहस से भाग लिया जाए, तो उसका रस, उसका आनंद पूरी तरह पाया जा सकता है। यहाँ ‘फल को दबाकर निचोड़ो’ का अर्थ है कि जीवन के हर अनुभव को पूरी तल्लीनता और ऊर्जा से जीओ। लेखक चाहता है कि हम जीवन से डरें नहीं, बल्कि उसे भरपूर जिएँ और अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग करें।

भाषा और व्याकरण ज्ञान

  1. निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़ो-

(क) भोजन का असली स्वाद उसको मिलता है, जो कुछ दिन बिना खाए भी रह सकता है।

(ख) लहरों में तैरने का जिन्हें अभ्यास है, वे मोती लेकर बाहर आएँगे।

(ग) जो सुखों का मूल्य पहले चुकाते हैं उन्हें स्वाद अधिक मिलता है।

इन वाक्यों में मोटे छपे शब्द ‘उसको’, ‘जो’, ‘जिन्हें’, ‘वे’ और ‘उन्हें ‘ संबंधवाचक सर्वनाम हैं क्योंकि वाक्यों में इनका परस्पर संबंध है। संबंधवाचक सर्वनामों का प्रयोग करते हुए कोई अन्य पाँच वाक्य बनाओ।

उत्तर – जो व्यक्ति समय का सम्मान करता है, वही जीवन में सफलता प्राप्त करता है।

जिसने भी यह चित्र बनाया है, उसकी कल्पना शक्ति अद्भुत है।

उसे ही असली आनंद मिलता है, जो कठिनाइयों से नहीं घबराता।

जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया, वे सच्चे देशभक्त थे।

जिस छात्र ने पूरे वर्ष मेहनत की, परीक्षा में वही उत्तीर्ण हुआ।

  1. इस पाठ में अरबी-फारसी के अनेक शब्द आए हैं, जैसे मजा, जिंदगी। इनके हिंदी रूप हैं- आनंद, जीवन। यहाँ कुछ हिंदी शब्द दिए जा रहे हैं।

पाठ में से उनके अरबी-फारसी रूप चुनकर लिखो :-

भय, सुगंधित, अनुभव, विशेषता, अंतर, वास्तविक, प्रयास, आवश्यकता।

उत्तर – हिंदी शब्द – अरबी-फारसी रूप (पाठ में प्रयुक्त)

भय – खौफ

सुगंधित – खुशबूदार

अनुभव – स्वाद / एहसास

विशेषता – सिफ़त

अंतर – फर्क

वास्तविक – असली

प्रयास – कोशिश

आवश्यकता – जरूरत

 

योग्यता- विस्तार

  1. अवसर मिलने पर दिनकर कृत ‘कुरुक्षेत्र’ में से ‘भीष्म-युधिष्ठिर’ संवाद का चयन करो और कक्षा में उसे सुनाओ।

उत्तर – रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की काव्य-कृति ‘कुरुक्षेत्र’ में ‘भीष्म-युधिष्ठिर संवाद’ एक अत्यंत प्रेरणादायक और विचारोत्तेजक अंश है, जो युद्ध, धर्म और कर्तव्य के गूढ़ प्रश्नों को छूता है। यह संवाद महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद युधिष्ठिर की आत्मग्लानि और धर्म-संशय के संदर्भ में भीष्म द्वारा दिया गया मार्गदर्शन है।

भीष्म कहते हैं:

“धर्म कि कौन नीति है जग में, तू क्या जाने रे मूढ़!

युद्ध स्वयं इक धर्म, शांति का जिसमें होता समूढ़!

अन्याय बढ़ा यदि, शांति तब कायरता बन जाती है,

हो अन्यायी जहाँ धर्म का नाश वहीं हो जाता है।

शांति वहीं तक शोभा पाती, जहाँ शक्ति की मात्रा,

जो सम्मान न पा सकती, वह सहमी-सी शांति अपात्र।”

या यह अंश भी प्रभावशाली है:

“शांति नहीं तब तक जब तक सुखभाग न नर का सम हो,

नहीं किसी को अधिक, किसी को कम अधिकार न जब हो।

नहीं बँटी हो जब तक जग में रोटी, कपड़ा, निवास,

नहीं किसी को अधिक, किसी को कम हो शिक्षा, प्रकाश।”

  1. साहस और उत्साह का संदेश देने वाली कुछ कहानियों अथवा निबंधों का संकलन करो।

उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करें।

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1 – जिंदगी के असली मजे किसे मिलते हैं?

उत्तर – जिंदगी के असली मजे उन्हें मिलते हैं, जो कठिनाइयों और संघर्षों से जूझते हुए आगे बढ़ते हैं।

प्रश्न 2 – पानी का अमृत-तत्त्व कौन पहचान सकता है?

उत्तर – पानी का अमृत-तत्त्व वही पहचान सकता है जो धूप में खूब सूख चुका हो और प्यास का असली अर्थ जानता हो।

 

प्रश्न 3 – साहसी मनुष्य की पहचान क्या है?

उत्तर – साहसी मनुष्य जनमत की परवाह नहीं करता, अपने विचारों पर चलता है और निडर होकर जीवन को जीता है।

प्रश्न 4 – जो व्यक्ति जोखिम से बचता है, वह क्या खो देता है?

उत्तर – जो व्यक्ति हर जगह सुरक्षा का घेरा डालता है, वह जीवन का आनंद खो देता है क्योंकि जोखिम से बचने की कोशिश में वह ज़िंदगी को ही रोक लेता है।

प्रश्न 5 – सपनों को लेकर साहसी व्यक्ति का क्या दृष्टिकोण होता है?

उत्तर – साहसी व्यक्ति उधार के सपने नहीं लेता, वह अपने ही विचारों में डूबा रहता है और उन्हें ही साकार करने का प्रयास करता है।

 

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