SEBA, Assam Class X Hindi Book, Alok Bhaag-2, Ch. 09 – Jo Beet Gayi So Baat Gayi, Harivansh Rai Bacchan, The Best Solutions, जो बीत गयी, हरिवंश राय बच्चन

कवि परिचय – हरिवंश राय बच्चन

(1907-2003)

कवि हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। इलाहाबाद के कायस्थ पाठशाला तथा गवर्नमेंट कॉलेज से शिक्षा प्राप्त करने के बाद आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय तथा काशी विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। सन् 1941 से 1952 तक आप इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के व्याख्याता रहे। फिर दो वर्षों तक इंग्लैंड में शोधकार्य संपन्न कर भारत लौटे। आप कुछ समय तक आकाशवाणी इलाहाबाद, विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ तथा राज्यसभा के सदस्य भी रहे।

बच्चनजी ने अनेक पुस्तकों की रचनाएँ की हैं। उनमें से मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, निशा- निमंत्रण, एकांत संगीत, आकुल अंतर, सतरंगिनी, हलाहल, खादी के फूल, मिलन यामिनी आदि काव्य-ग्रंथ प्रसिद्ध हैं। इसके अतिरिक्त डायरी, आलोचना, निबंध आदि भी आप लिखते थे। आपका स्वर्गवास सन् 2003 में हुआ।

जो बीत गयी – पाठ का परिचय

‘जो बीत गयी’ कविता हरिवंश राय ‘बच्चन’ द्वारा रचित बड़ी ही रोचक और शिक्षाप्रद है। जिस प्रकार अपने टूटे हुए तारों पर अंबर शोक नहीं मनाता अथवा अपने प्रिय फूलों के सूखने अथवा मुरझा जाने पर मधुवन कभी शोर नहीं मचाता, उसी प्रकार मनुष्य को अपने बीते हुए दुख को भुलाकर वर्तमान की चिंता करनी चाहिए। अपने दुखों को यादकर शोक मनाने से अच्छा है कि जीवन के बाकी बचे समय को सुखपूर्वक बिताया जाए, जीवन का भरपूर आनंद उठाया जाए।

जो बीत गयी

जो बीत गयी सो बात गयी!

जीवन में एक सितारा था,

माना, वह बेहद प्यारा था,

वह डूब गया तो डूब गया;

अंबर के आनन को देखो,

कितने इसके तारे टूटे

कितने इसके प्यारे छूटे,

जो छूट गये फिर कहाँ मिले;

पर बोलो टूटे तारों पर

कब अंबर शोक मनाता है।

जो बीत गयी सो बात गयी !

जीवन में वह था एक कुसुम,

थे उस पर नित्य निछावर तुम

वह सूख गया तो सूख गया;

मधुवन की छाती को देखो,

सूखीं कितनी इसकी कलियाँ

मुर्झायीं कितनी वल्लरियाँ,

जो मुर्झायीं फिर कहाँ खिलीं;

पर बोलो सूखे फूलों पर

कब मधुवन शोर मचाता है!

जो बीत गयी सो बात गयी !

 

जो बीत गयी व्याख्या सहित

जो बीत गयी सो बात गयी!

जीवन में एक सितारा था,

माना, वह बेहद प्यारा था,

वह डूब गया तो डूब गया;

अंबर के आनन को देखो,

कितने इसके तारे टूटे

कितने इसके प्यारे छूटे,

जो छूट गये फिर कहाँ मिले;

पर बोलो टूटे तारों पर

कब अंबर शोक मनाता है।

जो बीत गयी सो बात गयी !

शब्दार्थ

बीत गई – जो समय निकल चुका है (past)

सितारा – तारा, यहाँ प्रिय व्यक्ति/सपना

डूब गया – समाप्त हो गया, खो गया

अंबर – आकाश (sky)

आनन – मुख, चेहरा (यहाँ आकाश का चेहरा)

टूटे तारे – गिरे हुए सितारे (lost hopes or people)

छूटे – बिछड़े, दूर हुए

शोक – दुख, पीड़ा

कुसुम – फूल

नित्य – हर दिन, प्रतिदिन

निछावर – बलिदान, अर्पण

मधुवन – फूलों से भरा बाग (garden)

वल्लरियाँ – लताएँ, बेलें (creepers)

मुर्झाना – सूख जाना, कुम्हलाना

शोर मचाना – हंगामा करना, रोना-धोना करना

व्याख्या

इस कविता में कवि हरिवंश राय बच्चन जी ने जीवन में आए दुखों, हानियों और खोए हुए प्रियजनों को स्वीकार कर आगे बढ़ने का संदेश दिया है। वे कहते हैं कि जीवन में एक प्यारा सितारा था, जो अब डूब चुका है। जैसे आकाश टूटे तारों पर शोक नहीं करता, वैसे ही हमें भी बीती बातों को भूलकर आगे बढ़ना चाहिए। शोक में डूबे रहना व्यर्थ है। हमें वर्तमान को अपनाकर नए जीवन की ओर देखना चाहिए।

मुख्य संदेश –

बीते हुए दुखों से मुक्त होकर वर्तमान को अपनाओ और सकारात्मक दृष्टिकोण से जीवन जियो।

 

02

जीवन में वह था एक कुसुम,

थे उस पर नित्य निछावर तुम

वह सूख गया तो सूख गया;

मधुवन की छाती को देखो,

सूखीं कितनी इसकी कलियाँ

मुर्झायीं कितनी वल्लरियाँ,

जो मुर्झायीं फिर कहाँ खिलीं;

पर बोलो सूखे फूलों पर

कब मधुवन शोर मचाता है!

जो बीत गयी सो बात गयी !

शब्दार्थ

जीवन – जीवन

कुसुम – फूल

नित्य – प्रतिदिन

निछावर – समर्पित करना

सूख गया – मुरझा गया

मधुवन – फूलों से भरा बाग

छाती – हृदय, केंद्र

कलियाँ – छोटे-छोटे फूल

मुर्झाईं – मुरझा गईं

वल्लरियाँ – लताएँ, बेलें

शोर मचाना – हल्ला करना

बीत गई – समाप्त हो गई

बात गई – वह बात अब चली गई

व्याख्या

इन पंक्तियों में कवि हरिवंश राय बच्चन जी कहते है कि जीवन में एक सुंदर कुसुम या फूल था, जिस पर तुम हमेशा अपना प्रेम और समर्पण निछावर करते थे। लेकिन जब वह क्षण समाप्त हो गया, जब वह फूल सूख गया, तो उसका शोक करने से कोई लाभ नहीं। जैसे बगीचे में न जाने कितनी कलियाँ और लताएँ सूख जाती हैं, लेकिन बगीचा उन सूखे फूलों का शोर नहीं मचाता। उसी प्रकार हमें भी बीती बातों को भुलाकर आगे बढ़ना चाहिए, क्योंकि जो चला गया है वह कभी भी नहीं आ सकता। शायद इसीलिए कहा गया है कि जो बीत गई सो बात गई।

मुख्य संदेश –

यह कविता हमें जीवन में विगत दुःखों या हानियों को भूलकर, सकारात्मक दृष्टिकोण से वर्तमान को अपनाने की प्रेरणा देती है।

 

शब्दार्थ एवं टिप्पणी

सितारा = तारा

वल्लरियाँ = लताएँ

बेहद = अत्यधिक, बहुत

मधु = शराब, मद्य, शरद

अंबर = आकाश, नभ, वस्त्र

मदिरालय = (मदिरा+आलय) शराब की दुकान

आनन = सिर, चेहरा, मस्तिष्क

फूल = कुसुम

नित्य निछावर = प्रतिदिन, हर रोज न्योछावर, उत्सर्ग, समर्पित

मृदु = कोमल, मीठा

मधुघट = शराब से भरा हुआ घड़ा

लघु = छोटा, तुच्छ

मधुवन = बगीचा, उपवन

ममता = दया, प्रेम

बोध एवं विचार

  1. सही विकल्प का चयन करो :

(क) कवि हरिवंशराय बच्चन का जन्म हुआ था-

(अ) सन् 1905 में

(आ) सन् 1906 में

(इ) सन् 1907 में

(ई) सन् 1908 में

उत्तर – (इ) सन् 1907 में

(ख) कवि ने इस कविता में बीती बात को भूला कर क्या करने का संदेश दिया है-

(अ) वर्तमान की चिंता

(आ) भविष्य की चिंता

(इ) अतीत की चिंता

(ई) सुख की चिंता

उत्तर – (अ) वर्तमान की चिंता

  1. संक्षेप में उत्तर दो:

(क) अपने प्रिय तारों के टूट जाने पर क्या अंबर कभी शोक मनाता है?

उत्तर – नहीं, अंबर कभी टूटे तारों पर शोक नहीं मनाता, वह शांत रहता है।

(ख) हमें मधुवन और मदिरालय से क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर – हमें यह शिक्षा मिलती है कि जैसे वे बीती बातों पर शोर नहीं करते, वैसे ही हमें भी दुख भूलकर आगे बढ़ना चाहिए।

(ग) कवि ने अंबर के आननको देखने की बात क्यों की है?

उत्तर – कवि ने ‘अंबर के आनन’ को देखने की बात की है ताकि यह समझाया जा सके कि अंबर अपने टूटे तारों पर दुख नहीं मनाता, इसलिए हमें भी बीती बातों को भूलना चाहिए।

(घ) प्यालों के टूट जाने पर मदिरालय क्यों नहीं पश्चात्ताप करता?

उत्तर –  प्यालों के टूट जाने पर मदिरालय पश्चात्ताप नहीं करता क्योंकि वह जानता है कि टूटना जीवन का हिस्सा है इसलिए वह नई शुरुआत करता है।

(ङ) मधु के घट और प्यालों से किन लोगों का लगाव होता है?

उत्तर – मधु के घट और प्यालों से उन लोगों का लगाव होता है जो जीवन का आनंद उठाना जानते हैं, जो दुखों में भी रस ढूँढ लेते हैं।

(च) जो मादकता के मारे हैं, वे मधु लूटा ही करते हैं।इससे कवि क्या कहना चाहते हैं?

उत्तर – कवि कहना चाहते हैं कि जो जीवन को पूरे उत्साह से जीते हैं, वे हर क्षण का आनंद लेते हैं, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो।

(छ) उक्त कविता में मानव जीवन की तुलना किन-किन चीजों से की गई है? सोदाहरण उत्तर दो।

उत्तर – मानव जीवन की तुलना टूटते तारों, सूखते फूलों, प्यालों और मधु घट से की गई है। उदाहरण –

“जीवन में एक सितारा था” – तारा

“जीवन में वह था एक कुसुम” – फूल

(ज) इस कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर – इस कविता से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बीते हुए दुखों को याद कर रोने से अच्छा है वर्तमान को पूरी सकारात्मकता से जीना।

 

  1. सप्रसंग व्याख्या करो :-

(क) जीवन में एक सितारा था,

माना वह बेहद प्यारा था,

वह डूब गया तो डूब गया,

अंबर के आनन को देखो।

उत्तर – प्रसंग –

यह पंक्तियाँ हरिवंश राय बच्चन की कविता ‘जो बीत गई सो बात गई’ से ली गई हैं। इस कविता में कवि ने मनुष्य को यह संदेश दिया है कि जीवन में जो दुखद घटनाएँ हो चुकी हैं, उन्हें भूलकर वर्तमान में जीना चाहिए।

व्याख्या –

कवि कहता है कि हमारे जीवन में कोई प्रिय व्यक्ति, वस्तु या संबंध कभी बहुत प्यारे हुआ करते थे, परंतु अब वे नहीं रहे। जिस प्रकार आकाश से कभी कोई तारा टूटता है, फिर भी आकाश उसका शोक नहीं मनाता—उसी प्रकार हमें भी अपने जीवन के दुखद घटनाओं का बोझ नहीं ढोना चाहिए। बीती बात को भूल जाना ही जीवन की सच्ची समझदारी है।

 

(ख) मृदु मिट्टी के हैं बने हुए,

मधु घट फूटा ही करते हैं,

लघु जीवन लेकर आए हैं,

प्याले फूटा ही करते हैं।

उत्तर – प्रसंग –

यह पंक्तियाँ भी बच्चन जी की कविता से ली गई हैं। इन पंक्तियों में जीवन की नश्वरता और क्षणभंगुरता का चित्रण है।

व्याख्या –

कवि कहते हैं कि हम सब कोमल मिट्टी से बने हुए हैं, यानी हमारा शरीर और जीवन बहुत नाजुक और अस्थायी है। जैसे मधु के घड़े और प्याले जल्दी टूट जाते हैं, वैसे ही हमारा जीवन भी बहुत छोटा और अनिश्चित है। यह संकेत करता है कि जब जीवन ही नाशवान है, तो दुखों से बँधकर बैठे रहना व्यर्थ है। हमें जीवन के सीमित समय में प्रसन्नता और आत्मबल के साथ जीना चाहिए।

योग्यता- विस्तार

  1. सुख-दुख जीवन का सत्य है।इस विषय पर एक लघु निबंध लिखो।

उत्तर – संसार में जितने भी जीव हैं, सभी सुख और दुख का अनुभव करते हैं। मानव जीवन भी इससे अछूता नहीं है। सुख और दुख जीवन के दो पहलू हैं, जो एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। जैसे दिन के बाद रात आती है, वैसे ही जीवन में सुख के बाद दुख और दुख के बाद सुख आते हैं।

सुख वह अवस्था है जब मन प्रसन्न होता है, कार्य सफल होते हैं और जीवन में शांति रहती है। दुख वह समय होता है जब मन व्यथित होता है, असफलताएँ मिलती हैं और जीवन कठिन लगता है। परंतु यदि केवल सुख ही होता, तो उसका मूल्य नहीं समझ आता। दुख हमें जीवन की सच्चाई सिखाता है और आत्मबल बढ़ाता है। महापुरुषों ने कहा है कि जीवन एक परीक्षा है, जिसमें सुख और दुख दोनों शिक्षक हैं। दुख सहने से धैर्य आता है और सुख मिलने से आभार की भावना। इसलिए हमें चाहिए कि सुख में अहंकार न करें और दुख में निराश न हों। यदि हम दोनों को समान भाव से स्वीकार करें, तो जीवन संतुलित और सार्थक बन सकता है। यही जीवन का सत्य है।

 

  1. गिरधर कवि की बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुधि लेईतथा हरिवंश राय बच्चन जी की ही निर्माणकविता पुस्तकालय से लेकर पढ़ो।

उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करें।

 

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