ताजमहल की आत्मकहानी (आत्मकथा) गुलाब राय

ताजमहल की आत्म-कहानी

गुलाब राय

अपने विधाता को मैं अपने अंक में लिए बैठा हूँ। जिसने मुझे खड़ा किया वही मेरी गोद में सो रहा है, जिसके लिए मैं खड़ा किया गया वह तो मेरी गोद में सो रही है। उनके इस अप्रतिम स्नेह को पाकर मैं गर्व से फूला नहीं समाता। शताब्दियाँ बीत गईं पर उनके स्नेह का वैभव आज भी मुझमें सुरक्षित है। इस वैभव को संसार जाने कब से विस्मय- विमुग्ध होकर देख रहा है। दुनिया के महान् आश्चर्यों में मेरी गणना की जाती है।

सम्राट शाहजहाँ और सम्राज्ञी मुमताज की मैं प्रेम-समाधि हूँ। प्रेम की पवित्रता और तल्लीनता का मैं स्मारक हूँ। भेद-भावों में पड़े मनुष्यों को मैं यह संकेत कर रहा हूँ कि प्रेम ईश्वरीय सृष्टि की सबसे बड़ी विभूति है। दो बिछुड़े हुए हृदय मेरी गोद में जुड़े हुए हैं।

अत्याचारियों ने समय-समय पर आक्रमण किया- मुझे भी लूटा गया। मेरे आभूषणों, रत्नों और जवाहरातों को लोग ले गए। मेरे शरीर को उन्होंने नग्न कर दिया। पर मेरे अंदर जो वैभव छिपा पड़ा है- जो दो हृदय जुड़े पड़े हैं, उन्हें लूटने का साहस नृशंस से नृशंस अत्याचारी को भी नहीं हो सका। प्रेम की लौ के सामने उनकी आँखें खुली नहीं रह सकीं। मैं भौतिक ऐश्वर्य का स्मारक नहीं- प्रेम का स्मारक हूँ। मेरी नींव में उस वियोगी सम्राट् के दो बूँद आँसू चू पड़े थे। कहते हैं आकाश का हृदय भी उन आँसुओं की स्मृति में द्रवीभूत हो उठता है और दो बूँद आँसुओं से वह मेरे हृदय को सींचने का प्रतिवर्ष प्रयास करता है। पर मेरे हृदय तक उसके सभी आँसू पहुँच जाते हैं- कल्पना जगत् के विश्वासों पर मैं विश्वास नहीं करता। उसके आँसुओं से तो मेरा कलेवर भी निखर उठता है।

यमुना के किनारे पर मैं खड़ा हूँ। आगरे के स्नेह को मैं भूल नहीं सकता। उसे छोड़कर मैं कहीं नहीं जा सकता। योगी की समाधि की तरह मैं आगरे में यमुना के किनारे अपनी स्मृतियों को संजोने का प्रयास करता हूँ। बावली यमुना भी मेरे अतीत वैभव के स्वर्णिम दिनों को याद कर दुख से सूख रही है। वह श्यामा हो गई है। मुझे उस पर स्वाभाविक रूप से स्नेह है। हम पुराने साथी हैं। वह हिलोरें लेकर मुझे प्यार करती है। अपनी सुनाती है, मेरी सुनती है।

कहते हैं, मैं वास्तविकता का अद्वितीय उदाहरण हूँ। श्वेत संगमरमर से मेरा निर्माण हुआ। मेरे निर्माण में करोड़ों रुपये व्यय हुए। हजारों आदमियों का पेट भरा। एक युग में भी मेरा निर्माण कार्य समाप्त न हो सका।  

मृत्यु- शय्या पर अंतिम साँसें गिनती हुई मुमताज की यही तो अंतिम इच्छा थी। उस स्वर्गीय देवी की बात शाहजहाँ कैसे टाल सकता था? इसीलिए तो उसकी इच्छानुसार उसकी यह बेजोड़ कब्र अस्तित्व में आई। कब्र? पर यह कब्र अभागी नहीं। रात-दिन इसे देखने न जाने कितने लोग आते हैं। सुदूर विदेशों से यात्री आकर मुझे देखकर अपना आना सार्थक समझते हैं। मेरे पास आकर उन्हें श्रद्धा से झुक जाना पड़ता है। उनके मनोभावों को पढ़ने का मुझे भी अवसर मिलता है। अपने संबंध में उनकी घारणाओं को देख मैं मुस्करा उठता हूँ।

मुगल साम्राज्य के ऐश्वर्य के दिन बीत गए। मानव समाज की बर्बरता को देखकर आज मेरा पाषाण हृदय भी क्षुब्ध हो उठा है। भारत की असहाय अवस्था को देखकर आज मुझे दुख होता है। सिनेमा के पट पर मेरी छवि अंकित करने के लिए लोग यहाँ आते हैं, मेरे चित्र उतारते हैं। चित्रकार अपनी तूलिका से मुझे अमर करना चाहता है। कवि अपनी रचना में मुझे चिरजीवी बनाने का प्रयत्न करता है। पर मेरा हृदय विदीर्ण होता जा रहा है। सम्राट् और सम्राज्ञी भी अपने भारत की इस दुरवस्था को देखकर म्लान हो रहे हैं। अगर यही अवस्था रही तो दुख के बोझ से मैं ढह जाऊँगा – आज नहीं, कल सही। मैं चाहता हूँ मुझसे प्रेम का पाठ लेकर भारतवासी एक सूत्र में बँध जाएँ और अपने देश का कल्याण करें।

मुझे किसी से प्रतिद्वन्द्विता नहीं। अग़ाखाँ महल आज इस युग में मेरा एक सच्चा साथी हुआ है। कस्तूरबा उसकी गोद में है। मेरी गोद में प्रेम की देवी है। उसकी गोद में कर्तव्य की देवी है। मुझे विश्वास है, इस प्रेम और कर्त्तव्य के सन्देश को लेकर मानवता अपना कल्याण करेगी।

विधाता – ब्रह्मा, दुनिया बनाने वाला।

अंक – गोद।

अप्रतिम – बेजोड़, अनुपम।

शताब्दी – सौ साल।

वैभव – संपत्ति।

सजधज – शोभा।

विमुग्ध – मोहित।

फूला न समाना – बहुत खुश होना।

सम्राट – बादशाह, राजाधिराज।

सम्राज्ञी – सम्राट की पत्नी।

तल्लीन – निमग्न।

स्मारक – यादगार, संकेत चिह्न।

विभूति – संपत्ति।

आभूषण – गहना।

नग्न- नंगा।

नृशंस – क्रूर।

लौ – आग की लपट।

भौतिक – सांसारिक।

द्रवीभूत – पिघला हुआ।

प्रयास – चेष्टा।

निखरना – खिल उठना।

संजोना – संभाल कर रखना।

बावली – पगली।

स्वर्णिम – सुनहला।

स्वाभाविक – प्राकृतिक।

वास्तविकता – सच्चाई, यथार्थ।

अद्वितीय – जिसके बराबर दूसरा नहीं।

बेजोड़ – जिसकी जोड़ी का कोई नहीं।

अस्तित्व – सत्ता।

कब्र – मुर्दा गाड़ने का स्थान।

बर्बरता – असभ्यता।

क्षुब्ध – व्याकुल, दुःखी।

म्लान – उदास।

विदीर्ण – फटा हुआ।

ढहना – गिरना।

प्रतिद्वन्द्विता – होड़।

संदेश- समाचार, विशेष बात।

ताजमहल का निर्माण मुमताज बेगम की अंतिम इच्छा के कारण हुआ। उसमें मुमताज और बाद में उसको बनानेवाला शाहजहाँ दोनों दफनाए गए। उनके प्रेम का यह प्रतीक है। उस पर लुटेरों ने अत्याचार किया। मगर वह आज भी अक्षुण्ण है और दुनिया के लिए आश्चर्य बना हुआ है।

(क) ताजमहल क्यों गर्व से फूला नहीं समाता?

उत्तर – ताजमहल अपने विधाता अर्थात् जिसने इसे बनवाया है उसे अपनी गोद में लिए खड़ा है। अपने विधाता के इस अप्रतिम स्नेह को पाकर ही ताजमहल गर्व से फूला नहीं समाता है।

(ख) ताजमहल क्या संकेत कर रहा है?

उत्तर – आजकल देश में धर्म के नाम पर बड़े दंगे हो रहे हैं। प्रेम भावना का मानो अस्तित्व ही न रहा हो। ऐसे में ताजमहल लोगों को यह संदेश दे रहा है कि मैं प्रेम की पवित्रता और तल्लीनता का स्मारक हूँ। दो बिछुड़े हुए हृदय मेरी गोद में जुड़े हुए हैं।

(ग) ताज भौतिक ऐश्वर्य का स्मारक नहीं अपितु प्रेम का स्मारक है, कैसे?

उत्तर – ताज भौतिक ऐश्वर्य का स्मारक नहीं अपितु प्रेम का स्मारक है, क्योंकि इसके विधाता ने इसका निर्माण अपनी पत्नी की याद में करवाया था जिससे वह बहुत प्रेम किया करते थे। ऐसा माना जाता है कि इसकी नींव डालने के दौरान विधाता के आँखों से दो बूँद आँसू टपक पड़े थे।

(घ) यमुना के साथ ताजमहल का कैसा संबंध है?

उत्तर – ताजमहल यमुना के किनारे पर खड़ा है। एक लंबे समय से उसका यमुना नदी के साथ आत्मीयता का संबंध बन चुका है। दोनों ने एक-दूसरे की अनेक यादों को अपनी स्मृतियों में संजोए रखा है। आज जब ताजमहल समय के साथ क्षीण होता जा रहा है तो यमुना भी उसके  अतीत वैभव के स्वर्णिम दिनों को याद कर दुख से सूख रही है।

(ङ) वास्तविकता का अद्वितीय उदाहरण ताजमहल है, क्यों?

उत्तर – ताजमहल वास्तविकता का अद्वितीय उदाहरण है क्योंकि यह  श्वेत संगमरमर से निर्मित है। इसके निर्माण में करोड़ों रुपये व्यय हुए। हजारों आदमियों का पेट भरा। एक युग में भी इसका निर्माण कार्य समाप्त नहीं हो सका था।  

(च) विदेशी ताजमहल को देख कर क्या करते हैं?

उत्तर – सुदूर विदेशों से कई पर्यटक आते हैं और ताजमहल को देखकर अपना आना सार्थक समझते हैं। ताजमहल के पास आकर उन्हें श्रद्धा से झुक जाना पड़ता है।

(छ) लोग ताजमहल को देख कर कैसी कल्पना करते हैं?

उत्तर – लोग ताजमहल को देख कर मन ही मन उस समय की नाना प्रकार की कहानियाँ गढ़ते हैं। इसके इतिहास को अपने नजरिए से समझने की कोशिश करते हैं। इस तरह की अनेक कल्पनाएँ लोग ताजमहल को देख कर करते हैं।

(ज) ताजमहल का हृदय क्यों विदीर्ण हो रहा है?

उत्तर – ताजमहल का हृदय विदीर्ण हो रहा है क्योंकि आज भारत में लोग धर्म और जाति के नाम पर एक-दूसरे का खून बहा रहे हैं। इस दुरवस्था को देखकर ताजमहल म्लान हो रहा है। उसे यह लगने लगा है कि अगर यही अवस्था रही तो दुख के बोझ से एक दिन मैं ढह जाऊँगा।

(क) ताजमहल की गोद में कौन-कौन सो रहे हैं?

उत्तर – ताजमहल की गोद में दो प्रेमी मुमताज़ और शाहजहाँ सो रहे हैं।

(ख) शताब्दियाँ बीत गईं पर ताजमहल में क्या चीज सुरक्षित है?  

उत्तर – शताब्दियाँ बीत गईं पर मुमताज़ और शाहजहाँ के स्नेह का वैभव आज भी ताजमहल में सुरक्षित है।

(ग) ताज महान् आश्चर्य क्यों बन गया है?

उत्तर – प्रेम के प्रतीक ताजमहल को लुटेरों ने कई बार लूटा, अनेक  अत्याचार किए। मगर वह आज भी अक्षुण्ण है और दुनिया के लिए महान आश्चर्य बना हुआ है।

(घ) ताज किन का स्मारक है?

उत्तर – ताजमहल सम्राट शाहजहाँ और सम्राज्ञी मुमताज की प्रेम-समाधि है इसलिए यह प्रेम की पवित्रता और तल्लीनता का स्मारक है।

(ङ) अत्याचारियों ने क्या किया?

उत्तर – अत्याचारियों ने समय-समय पर ताजमहल पर आक्रमण किया और इसके आभूषणों, रत्नों और जवाहरातों को लूट ले गए।

(च) ताज के अन्दर कौन-सा वैभव छिपा पड़ा है?

उत्तर – ताज के अंदर प्रेम रूपी वैभव छिपा पड़ा है जिसमें दो हृदय जुड़े पड़े हैं।  

(छ) आकाश ताजमहल को क्या करता है?

उत्तर – आकाश ताजमहल के हृदय को अपने दो बूँद आँसू से प्रति वर्ष सींचता है।

(ज) यमुना क्यों सूख रही है?

उत्तर – यमुना ताजमहल को क्षीण होते देखकर दुख से सूख रही है।

(झ) ताज क्यों मुस्करा उठता है?

उत्तर – जब ताजमहल पर्यटकों के मनोभावों को पढ़ता है तथा अपने संबंध में उनकी घारणाओं को देखता है तो वह मुस्करा उठता है।

(ञ) ताजमहल को किसी से कोई प्रतिद्वन्द्विता क्यों नहीं है?

उत्तर – ताजमहल को किसी से कोई प्रतिद्वन्द्विता नहीं है क्योंकि ताजमहल अपने को प्रेम की निशानी समझता है और प्रेम में कभी कोई प्रतिद्वन्द्विता होती ही नहीं है।

(ट) ताजमहल क्या चाहता है?

उत्तर – ताजमहल चाहता है कि भारतवासी इससे प्रेम का पाठ लेकर एक सूत्र में बँध जाएँ और अपने देश का कल्याण करें।

(क) कौन गर्व से फूला नहीं समाता?

(i) शाहजहाँ  

(ii) ताजमहल   

(iii) मुमताज़

(iv) देशवासी

उत्तर – (ii) ताजमहल   

(ख) ताजमहल क्या है?

(i) मंदिर

(ii) मस्जिद

(iii) प्रेम-समाधि

(iv) श्रेष्ठमहल

उत्तर – (iii) प्रेम-समाधि

(ग) मैं भौतिक ऐश्वर्य का स्मारक नहीं, प्रेम का स्मारक हूँ, कौन कहता है?

(i) शाहाजहाँ  

(ii) अकबर  

(iii) मुमताज   

(iv) ताजमहल

उत्तर – (iv) ताजमहल

(घ) ताजमहल के निर्माण में कितने रुपए व्यय हुए?

(i) एक लाख  

(ii) करोड़ों  

(ii) पाँच हजार  

(iv) दस लाख

उत्तर – (ii) करोड़ों

(ङ) कौन अपनी तूलिका से ताजमहल को अमर करना चाहता है?

(i) लेखक  

(ii) कवि   

(iii) नाककार  

(iv) चित्रकार

उत्तर – (iv) चित्रकार

(क) ‘ताजमहल की आत्म कहानी’ के लेखक कौन हैं?

उत्तर – गुलाब राय

(ख) दुनिया के महान आश्चर्यों में किसकी गणना की जाती है?

उत्तर – ताजमहल

(ग) ताजमहल किसकी प्रेम-समाधि है?

उत्तर – मुमताज़ और शाहजहाँ

(घ) ताजमहल कहाँ खड़ा है?

उत्तर – आगरा में यमुना नदी के किनारे

(ङ) कौन एक सूत्र में बँधकर अपने देश का कल्याण करें?

उत्तर – भारतवासी

1. कर्त्ता और क्रिया लिंग और वचन दोनों से प्रभावित होते हैं। इन उदाहरणों को देखिए।

सम्राट सो रहा है।

शताब्दियाँ बीत गईं।

सम्राज्ञी सो रही है।

ऐश्वर्य के दिन बीत गए।

सही कर्ता या क्रिया पदों द्वारा रिक्त स्थानों को पूरा कीजिए:

मैं अंक में लिए बैठा हूँ।

जिसने मुझे खड़ा किया।

विस्मय- विमुग्ध होकर देख रहा है।

दुनिया देख रही है।  

दो हृदय जुड़े पड़े हैं।

आँसू चू पड़े थे।

सभी आँसू पहुँच जाते हैं।

मैं चाहता हूँ।

फूला नहीं समाता। 

मैं यह संकेत कर रहा हूँ।

मेरे अंदर जो वैभव छिपा पड़ा है।

वह हिलोरें लेकर मुझे प्यार करती है।

वह हिलोरें लेकर मुझे प्यार करती हैं।

वह अपनी सुनाती है, मेरी सुनती है।

मेरी गोद में सो रही है

सम्राट और सम्राज्ञी म्लान हो रहे हैं।

2. इन पदबंधों को देखिए :

शब्द वाक्यों में प्रयुक्त हो तो पद कहलाते हैं।

पदों के समूह को पदबंध कहते है।

(क) अपना अंक अपने अंक में

मेरी गोद – मेरी गोद में

मेरे आभूषण – मेरे आभूषणों को

मेरा निर्माण- मेरे निर्माण में

आप कुछ ऐसे पदबंध बनाइए।

मेरी सफलता – मेरे सफलता में

मेरी पढ़ाई – मेरे पढ़ाई में

मेरा बचपन – मेरे बचपन में

(ख) स्नेह का वैभव       मुमताज की प्रेम-समाधि

तल्लीनता का स्मारक आदमियों का पेट

सम्राट के आँसू           यमुना की लहरें

मेरी माता               मेरे पिताजी             मेरा घर

उनकी कैंची             तुम्हारी साईकिल         तुम्हारा बाग

मेरे बच्चे               गाय के बछड़े   एक थाली के चट्टे – बट्टे

आप कुछ ऐसे पदबंध लिखिए। उनमें संबंध कारक के परसर्ग के प्रयोगों को ध्यान से देखिए।

आज का युग

हृदय की बातें

चाँदी की थाली

मेरी आवाज़

तुम्हारी परीक्षा

(ग) सही विभक्ति लगाकर रिक्त स्थानों को भरिए :

(i) शाहजहाँ ने मुझे खड़ा किया।

(ii) कस्तूरबा को सभी माताजी कहते थे।

(iii) उनके अप्रतिम स्नेह को पाकर मैं फूला नहीं समाता।

(iv) इस असहाय अवस्था से मेरा हृदय क्षुब्ध है।  

(v) श्वेत संगमरमर से मेरा निर्माण हुआ है

(vi) मैं गर्व से फूला नहीं समाता।

(vii) धोबी को कपड़े दे दो।

(viii) यात्री की आँखों से आँसू टपक पड़े।

(ix) जाने कब से देख रहा है।

(x) हजारों का पेट भरा।

(xi) यमुना के किनारे खड़ा हूँ।

(xii) मेरी नींव से वियोगी सम्राट दो बूँद आँसू गिर पड़े थे।

(xiii) मुझे उस से स्वाभाविक स्नेह है।

3. ‘क’ विभाग के शब्दों के पर्यायवाची शब्द ‘ख’ विभाग में दिए गए । उनका मिलान कीजिए:

(क) विधाता – ब्रह्मा

अंक – गोद

वैभव – संपत्ति

संदेश – समाचार

प्रयास – चेष्टा

भौतिक – सांसारिक

अस्तित्व – सत्ता

4. निम्नलिखित शब्दों के स्त्रीलिंग रूप लिखिए :-

विधाता – पुल्लिंग  

सम्राट – पुल्लिंग

बावला – पुल्लिंग

बादशाह – पुल्लिंग

योगी – पुल्लिंग

5. उदाहरणों के अनुसार शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए :-

शताब्दी – शताब्दियाँ

आँख – आँखें

स्मृति – स्मृतियाँ

बूँद – बूँदें

नदी – नदियाँ

भूल – भूलें

माली – माली

चाह – चाहतें

साँस – साँसें

गाड़ी – गाड़ियाँ

रानी – रानियाँ

‘काला घोड़ा’। इसमें ‘काला’ घोड़े का रंग या एक विशेषता बताता है। इसे विशेषण कहते हैं। इस पाठ में आए निम्नलिखित शब्द-युग्मों पर ध्यान दीजिए :-

अपनी वीरता, राजपुती शान, जख्मी राणा, अनगिनत सैनिक, उसकी फौज, हमारी लड़ाई, कई चोटें,  बड़ी फुर्ती, विशाल सेना, चुटकी भर धूल।

इनमें से प्रथम शब्द विशेषण हैं। ये दूसरे शब्दों की विशेषताएँ बताते हैं। ये हैं, अपनी, राजपूती, जख्मी, अनगिनत, उसकी, हमारी, कई, बड़ी, विशाल, चुटकी भर।  

निम्नलिखित संज्ञाओं के विशेषण रूप लिखिए –  

सुरक्षा – सुरक्षित

ईश्वर – ईश्वरीय

तल्लीनता – तल्लीन

क्षुब्धता – क्षुब्ध

प्रतिष्ठा – प्रतिष्ठित

प्रेम – प्रेममय

भारत – भारतीय  

बर्बरता – बर्बर

विदेश – विदेशी

वास्तविकता – वास्तविक

स्वर्ण – स्वर्णिक 

योग – यौगिक

7. निम्नलिखित वाक्यों में से विशेषणों को छाँटिए :-

(क) हृदय स्मृति में द्रवीभूत हो उठता है।

उत्तर – द्रवीभूत

(ख) प्रेम ईश्वरीय सृष्टि की विभूति है।

उत्तर – ईश्वरीय

(ग) दो बूँद आँसू चू पड़े थे।

उत्तर – दो

(घ) अप्रतिम स्नेह पाकर मैं गर्व से फूला नहीं समाता।

उत्तर – अप्रतिम

(ङ) मेरा हृदय विदीर्ण होता जा रहा है।

उत्तर – विदीर्ण

निम्मलिखित वाक्यों को पढ़िए:

उन्होंने मेरे शरीर को नग्न कर दिया।

मुमताज की यही अंतिम इच्छा थी।

लोग मेरे चित्र उतारते है।

हम पुराने साथी हैं।

दुख के बोझ से मैं ढह जाऊँगा।

मानवता अपना कल्याण करेगी।  

ऊपर के वाक्यों में कुछ वाक्य बीते हुए समय की घटनाओं का संकेत देते हैं, कुछ वाक्य वर्तमान की घटनाओं का संकेत देते हैं और कुछ वाक्य आगामी दिनों में घटित होने वाली घटनाओं का संकेत देते हैं। इस आधार पर वाक्यों को हम तीन कालों में बाँटते हैं। वे हैं-   

(1) भूत काल

(2) वर्तमान काल

(3) भविष्यत् काल

यहाँ पहला और दूसरा वाक्य भूतकाल में, तीसरा और चौथा वाक्य वर्तमान काल में, पाँचवाँ और छठा वाक्य भविष्यत् काल में हैं।

इस पाठ से प्रत्येक काल के दो-दो वाक्य चुनकर लिखिए।

(1) भूत काल

मेरे निर्माण में करोड़ों रुपये व्यय हुए।

मुमताज की यही तो अंतिम इच्छा थी।

उस स्वर्गीय देवी की बात शाहजहाँ कैसे टाल सकता था?

(2) वर्तमान काल

चित्रकार अपनी तूलिका से मुझे अमर करना चाहता है।

कवि अपनी रचना में मुझे चिरजीवी बनाने का प्रयत्न करता है।

मेरा हृदय विदीर्ण होता जा रहा है।

(3) भविष्यत् काल

इस प्रेम और कर्त्तव्य के सन्देश को लेकर मानवता अपना कल्याण करेगी।

मुगल सम्राट शाहजहाँ और ताजमहल के चित्र संग्रह कीजिए और उनके बारे में पाँच वाक्य लिखिए।

उत्तर – छात्र शिक्षक की मदद से इस कार्य को पूरा करेंगे।

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