प्रश्न
- चित्र में क्या दिखायी दे रहा है?
उत्तर – इस चित्र में दो बालक इस्लाम धर्म के सबसे पड़े पर्व ईद पर एक दूसरे से गले मिलकर ‘ईद मुबारक’ की बधाइयाँ दे रहे हैं।
- देश के विकास के लिए एकता का क्या महत्त्व है?
उत्तर – देश के विकास के लिए एकता का अत्यंत महत्त्व है क्योंकि एकता के बूते ही बड़ी-बड़ी परियोजनाओं को पूरा किया जाता है और देश की उन्नति होती है।
- हम धार्मिक सद्भावना कैसे बढ़ा सकते हैं?
उत्तर – सभी धर्मों को सम्मान देकर, उनकी आस्था में अपनी आस्था सम्मिलित करके तथा सबसे भाईचारे की भावना स्थापित करके हम धार्मिक सद्भावना को बढ़ा सकते हैं।
उद्देश्य
निबंध की जानकारी के साथ निबंध लेखन का अभ्यास करना। त्यौहार मानवता का संदेश देते हैं। इस पाठ के द्वारा संस्कृति और सद्भावना का विकास करना।
रमज़ान
भारत प्राचीन और विशाल देश है। यहाँ अनेक धर्मों व जातियों के लोग रहते हैं। सभी धर्मों के लोग विविध प्रकार से उत्सव व त्यौहार मनाते हैं। ये त्यौहार समाज में खुशी और सजगता लाते हैं। ये भारतीय संस्कृति की शोभा में चार चाँद लगाते हैं। ऐसे ही महत्त्वपूर्ण त्यौहारों में “ईद-उल-फ़ितर” भी एक है। इसे रमज़ान भी कहते हैं।
रमज़ान इस्लाम धर्म का प्रमुख त्यौहार है। वास्तव में रमज़ान इस्लाम धर्म के नौवें महीने का नाम है। इस्लाम धर्म के पाँच बुनियादी सिद्धांत हैं 1. तौहीद 2. नमाज़ 3. रोज़ा 4. ज़कात 5. हज। इनमें तीसरा सिद्धांत ‘रोज़ा’ है। इसे रमज़ान के महीने में अदा किया जाता है। यह इबादतों (प्रार्थनाओं) व बरकतों का महीना है। यह माना जाता है कि इसी महीने में पवित्र ग्रंथ ‘कुरान-ए-शरीफ़’ नाज़िल हुआ है।
इस्लामी महीना चाँद के निकलने से शुरू होता है। रमज़ान का चाँद निकलने पर इसकी सूचना विविध प्रकार से दी जाती है। रमज़ान मास की सूचना मिलते ही मुसलमान भाई रोज़ों की तैयारियों में लग जाते हैं और रमज़ान के महीने भर रोज़े रखते हैं। रोज़ा यानि उपवास है। रोज़ा रखने के लिए सूर्योदय से लगभग डेढ़ घंटा पहले आहार लिया जाता है। इसे ‘सहरी’ कहते हैं। सहरी के बाद से उपवास आरंभ होता है। उपवास में पानी तक पीना मना है। इस तरह रोज़ा रखकर दैनिक कार्य करते हुए मन को अल्लाह की इबादत में लगाना रमज़ान का मुख्य उद्देश्य है।
रोज़ा रखने से मनुष्य स्वस्थ व चुस्त बना रहता है और उसमें आत्मसंयम, आत्मनियंत्रण, आत्मविश्वास, आत्मानुशासन आदि गुण विकसित होते हैं। जिससे मानवता व सामाजिकता की भावनाएँ बढ़ती हैं। अपने कर्त्तव्यों का बोध होता है। गरीबों के दुख-दर्दों का अनुभव किया जाता है और उनकी सहायता की जाती है।
रोज़ा सूर्यास्त के साथ ही खजूर, फल, मेवा, पानी आदि से खोला जाता है। इसे इफ़तार कहते हैं। कई स्थानों पर इफ़्तार की दावत भी रखी जाती है जिससे भाईचारे का विकास होता है। रमज़ान में पाँच फ़र्ज़ नमाज़ों के साथ-साथ विशेष नमाज़ ‘तरावीह’ होती है। इसमें मुख्य रूप से कुरान-ए-शरीफ़ का संपूर्ण पाठ-पठन किया जाता है। अधिकतर लोग इसी महीने में ‘जकात’ देते हैं। वे अपनी संपत्ति, सोना, चाँदी, धन, वार्षिक आय आदि पर ढाई प्रतिशत धन निकालकर गरीबों या ज़रूरतमंदों में बाँटते हैं। इस तरह किया जाने वाला दान ही ‘जकात’ कहलाता है। इसके साथ-साथ ईद की नमाज़ से पहले ‘फ़ितरा’ (दान) भी देना ज़रूरी है। इसलिए भी इसे ईद-उल-फ़ितर कहा जाता है। इस तरह रमज़ान के महीने में चारों ओर परोपकार की भावना छा जाती है। जिससे सबको मानव सेवा के पथ पर बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। इसी महीने में ‘शब-ए-क़दर’ जागने की रात होती है। यह एक महत्त्वपूर्ण इबादतों की रात है। इसलिए बच्चे-बच्चे भी बड़ों के साथ रात भर जागते हुए इबादतों में लीन होते हैं। रमज़ान की विशेषताओं में ‘एतेकाफ़’ भी एक है। मसजिद में ही रहकर अल्लाह की इबादत में लीन होना ‘एतेकाफ़’ है। इस महीने में विशेष रूप से दुआएँ माँगी जाती हैं, जिनमें विश्वकल्याण की भावना होती है।
रमज़ान के रोज़े पूरे होते ही अगले दिन ईद-उल-फ़ितर मनाते हैं। यह शव्वाल के महीने का पहला दिन होता है। ईद के दिन सब नये कपड़े पहनते हैं, ईतर लगाते हैं। विशेष रूप से शिरखुर्मा (सेवइयाँ) बनाते हैं। ईद की नमाज़ ईदगाह में पढ़ते हैं। नमाज़ में छोटे-बड़े, अमीर-गरीब, सब एक साथ मिलकर पंक्तियों में खड़े होते हैं। यह दृश्य देखने लायक़ होता है। नमाज़ होने के बाद गले मिलते हुए ईद मुबारक कहते हैं। इस खुशी में विविध धर्मों के लोग भी भाग लेते हैं और ईद की शुभकामनाएँ देते हैं। इस तरह धार्मिक सद्भावना से वहाँ के वातावरण की शोभा और भी बढ़ जाती है।
रमज़ान पर्व का सामाजिक दृष्टि से भी महत्त्व है। व्यापार में भी वृद्धि होती है। कई व्यवसाय वालों को जीविका मिलती है। यह त्यौहार शांति, अहिंसा, त्याग, परोपकार, न्याय, धर्म आदि गुणों का विकास करता है और हमें मानवता के पथ पर बढ़ने की प्रेरणा देता है। उपवासों का यह पावन पर्व हमें सद्भावना के सूत्र में बांधकर मानव कल्याण का संदेश देता है।
हिंदी शब्द | हिंदी अर्थ | तेलुगु अर्थ | अंग्रेज़ी अर्थ |
प्रेम | प्यार, स्नेह | ప్రేమ (Prema), అనురాగం (Anurāgaṁ) | Love, Affection |
शांति | स्थिरता, सुकून | శాంతి (Śānti), స్థిరత (Sthirata) | Peace, Tranquility |
ज्ञान | विद्या, बुद्धि | జ్ఞానం (Jñānaṁ), విద్య (Vidya) | Knowledge, Wisdom |
सत्य | सच्चाई, ईमानदारी | సత్యం (Satyam), నిజాయితీ (Nijāyitī) | Truth, Honesty |
शक्ति | ताकत, बल | శక్తి (Śakti), బలం (Balam) | Power, Strength |
सुंदरता | खूबसूरती, आकर्षण | అందం (Andaṁ), శోభ (Śōbha) | Beauty, Attractiveness |
धैर्य | सहनशीलता, संयम | ఓర్పు (Ōrpu), సహనము (Sahanamu) | Patience, Endurance |
विश्वास | आस्था, भरोसा | నమ్మకం (Nammakaṁ), విశ్వాసం (Viśvāsaṁ) | Trust, Faith |
सफलता | विजय, उपलब्धि | విజయం (Vijayaṁ), సాఫల్యం (Sāphalyaṁ) | Success, Achievement |
आशा | उम्मीद, आकांक्षा | ఆశ (Āśa), కాంక్ష (Kāṅkṣa) | Hope, Aspiration |
मित्रता | दोस्ती, स्नेह | స్నేహం (Snēhaṁ), మిత్రత్వం (Mitratvam) | Friendship, Companionship |
त्याग | बलिदान, परोपकार | త్యాగం (Tyāgaṁ), పరోపకారం (Parōpakāraṁ) | Sacrifice, Altruism |
साहस | हिम्मत, पराक्रम | ధైర్యం (Dhairyaṁ), శౌర్యం (Śauryaṁ) | Courage, Bravery |
करुणा | दया, सहानुभूति | కరుణ (Karuṇa), అనుకంప (Anukampa) | Compassion, Sympathy |
आत्मनिर्भरता | स्वावलंबन, स्वतंत्रता | స్వతంత్రం (Svatantraṁ), ఆత్మనిర్భరత (Ātmanirbharata) | Self-Reliance, Independence |
संस्कार | सभ्यता, परंपरा | సంస్కారం (Saṁskāraṁ), ఆచారం (Ācāraṁ) | Values, Tradition |
विजय | जीत, सफलता | విజయం (Vijayaṁ), జయము (Jayamu) | Victory, Triumph |
सेवा | परोपकार, मदद | సేవ (Sēva), సహాయం (Sahāyaṁ) | Service, Help |
नम्रता | विनम्रता, शालीनता | వినయం (Vinayaṁ), మృదుత్వం (Mṛdutvaṁ) | Humility, Politeness |
उदारता | दानशीलता, दयालुता | ఉదారత (Udārata), దయ (Daya) | Generosity, Kindness |
रमज़ान- पाठ का सार
रमज़ान इस्लाम धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है, जिसे ईद-उल-फ़ितर के नाम से भी जाना जाता है। यह इस्लामी कैलेंडर के नौवें महीने में मनाया जाता है और इसमें रोज़ा (उपवास) रखा जाता है। रोज़ा आत्मसंयम, अनुशासन और आध्यात्मिक शुद्धि का प्रतीक है। उपवास सूर्योदय से पहले ‘सहरी’ के साथ शुरू होता है और सूर्यास्त के बाद ‘इफ़तार’ के साथ खोला जाता है। इस महीने में कुरान का पाठ किया जाता है, विशेष नमाज़ ‘तरावीह’ अदा की जाती है और गरीबों को ‘जकात’ एवं ‘फितरा’ दिया जाता है।
रमज़ान के दौरान भाईचारे, परोपकार और धार्मिक जागरूकता की भावना प्रबल होती है। इस महीने में ‘शब-ए-क़दर’ को विशेष इबादत की जाती है और ‘एतेकाफ़’ के माध्यम से लोग मस्जिदों में रहकर ध्यान साधना करते हैं। रमज़ान के अंत में ईद-उल-फ़ितर मनाई जाती है, जिसमें लोग नए कपड़े पहनते हैं, सेवइयाँ बनाते हैं और ईदगाह में नमाज़ अदा करते हैं। यह त्यौहार सामाजिक सौहार्द, धार्मिक सद्भावना और मानवीय मूल्यों को प्रोत्साहित करता है, जिससे समाज में शांति और सहयोग की भावना बढ़ती है।
अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया
(अ) इन प्रश्नों के उत्तर सोचकर लिखिए।
- सद्भावना के विकास में त्यौहारों का क्या महत्त्व है?
उत्तर – त्यौहार समाज में प्रेम, एकता और भाईचारे की भावना को प्रबल करते हैं। ये विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोगों को एक साथ आने, एक-दूसरे की खुशियों में शामिल होने और परस्पर सहयोग की भावना विकसित करने का अवसर प्रदान करते हैं।
- त्यौहार मनाने में बच्चों की खुशियाँ कैसी होती हैं?
उत्तर – बच्चों के लिए त्यौहार बहुत खास होते हैं क्योंकि उन्हें नए कपड़े पहनने, स्वादिष्ट व्यंजन खाने और उपहार, विशेष रूप से ईदी पाने का अवसर मिलता है। वे इन पलों को उत्साह और उल्लास से भरपूर जीते हैं और अपने परिवार तथा दोस्तों के साथ आनंदित होते हैं।
- मानव सेवा ही माधव सेवा है।‘ इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर – यह कथन बताता है कि सच्ची भक्ति और ईश्वर की सेवा, मानव सेवा के माध्यम से होती है। जब हम जरूरतमंदों की सहायता करते हैं, समाज के कमजोर वर्गों का उत्थान करते हैं और परोपकार के कार्य करते हैं, तब हम वास्तव में ईश्वर की सेवा कर रहे होते हैं। रमज़ान के दौरान दिया जाने वाला जकात (दान) इसी भावना को दर्शाता है।
(आ) पाठ के आधार पर वाक्यों को सही क्रम दीजिए।
- सभी धर्मों के लोग विविध प्रकार के उत्सव व त्यौहार मनाते हैं।
उत्तर – (3)
- यहाँ अनेक धर्मों व जातियों के लोग रहते हैं।
उत्तर – (2)
- ये त्यौहार समाज में खुशी और सजगता लाते हैं।
उत्तर – (4)
- भारत प्राचीन और विशाल देश है।
उत्तर – (1)
(इ) इन वाक्यों के भाव स्पष्ट कीजिए।
- नागरिकता और सामाजिकता की भावनाएँ बढ़ती हैं।
उत्तर – इसका अर्थ है कि जब लोग त्यौहारों के माध्यम से एक-दूसरे के साथ मेलजोल बढ़ाते हैं तो समाज में एकता और सहयोग की भावना विकसित होती है। इससे वे अपने कर्तव्यों और अधिकारों के प्रति अधिक जागरूक होते हैं।
- उपवासों का यह पावन पर्व हमें मानव कल्याण का संदेश देता है।
उत्तर – रमज़ान के उपवास हमें त्याग, अनुशासन और सहानुभूति की शिक्षा देते हैं। इस दौरान की गई इबादतें और परोपकारी कार्य हमें गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करने की प्रेरणा देते हैं, जिससे समाज में समानता, आत्मीयता और न्याय की भावना मजबूत होती है।
(ई) नीचे दी गयी पंक्तियाँ पढ़िए। प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
सूरज चाँद सितारों वाली
हमदर्दी की प्यारी-प्यारी, ईद मुबारक।
हमको, तुमको, सबको अपनी,
मीठी-मीठी ईद मुबारक॥
- सूरज चाँद सितारों वाली क्या है?
उत्तर – यह पंक्ति ईद की सुंदरता और महिमा को दर्शाती है, जिससे पता चलता है कि यह पर्व प्रेम, सहिष्णुता और सौहार्द्र से भरा होता है।
- ईद कैसी होती है?
उत्तर – ईद प्रेम, भाईचारे और खुशियों से भरा त्यौहार होता है। इस दिन लोग एक-दूसरे से गले मिलते हैं, शुभकामनाएँ देते हैं और स्वादिष्ट व्यंजन खाते हैं।
- किस-किस को ‘ईद मुबारक‘ की शुभकामनाएँ दी गयी हैं?
उत्तर – ईद मुबारक’ की शुभकामनाएँ सभी लोगों को दी गई हैं, चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय के हों। यह पर्व सबके लिए प्रेम और खुशी का संदेश लाता है।
अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता
(अ) इन प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- रमज़ान का त्यौहार विश्व कल्याण की भावना बढ़ाने में सहायक है। कैसे?
उत्तर – रमज़ान के दौरान रोज़े रखकर लोग संयम और सहानुभूति का अभ्यास करते हैं। जकात और फितरा जैसे दान के कार्य गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करते हैं। यह त्यौहार लोगों को परोपकार, प्रेम और भाईचारे की भावना से जोड़ता है, जिससे विश्व में शांति और सौहार्द्र बढ़ता है।
- रमज़ान के त्यौहार के पीछे चाँद और सूरज की क्या भूमिका होती है?
उत्तर – इस्लामी कैलेंडर चंद्र मास पर आधारित होता है, इसलिए रमज़ान का महीना चाँद के दिखने से शुरू होता है और ईद भी नए चाँद के दिखने पर मनाई जाती है। सूरज की भूमिका रोज़े में होती है, क्योंकि सूर्योदय से पहले सहरी खाई जाती है और सूर्यास्त के बाद इफ़्तार किया जाता है।
- त्यौहार किस तरह समाज में खुशी और सजगता लाते हैं?
उत्तर – त्यौहार लोगों को एकजुट करते हैं, उनके बीच प्रेम और भाईचारे की भावना बढ़ाते हैं। ये समाज में सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं और लोगों को अपनी परंपराओं और संस्कृति से जोड़ते हैं। साथ ही, त्यौहारों के कारण बाजारों में रौनक बढ़ती है और आर्थिक गतिविधियाँ तेज होती हैं।
(आ) पाठ में रमज़ान के त्यौहार के बारे में बताया गया है। आप किसी त्यौहार के बारे में निबंध लिखिए।
उत्तर – दीपावली
दीपावली भारत का एक प्रमुख त्यौहार है। इसे ‘रोशनी का पर्व’ भी कहा जाता है। यह कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के वनवास से लौटने की खुशी में अयोध्यावासियों ने दीप जलाए थे। इसलिए यह पर्व हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन घरों की साफ-सफाई की जाती है, रंगोली बनाई जाती है और दीप जलाए जाते हैं। लोग नए कपड़े पहनते हैं और मिठाइयाँ बाँटते हैं। लक्ष्मी पूजा की जाती है और आतिशबाज़ी की जाती है। यह त्यौहार हमें अंधकार से प्रकाश की ओर जाने और सच्चाई की राह पर चलने की प्रेरणा देता है।
(इ) अन्य धर्म के सहपाठियों को उनके त्यौहार पर शुभकामनाएँ देते हुए तीन संक्षिप्त संदेश (एस. एम. एस) लिखिए।
उत्तर – दीपावली पर संदेश –
“दीपों की रोशनी आपके जीवन को खुशियों से भर दे। शुभ दीपावली!”
क्रिसमस पर संदेश –
“क्रिसमस का यह पावन पर्व आपके जीवन में खुशियाँ और समृद्धि लाए। मेरी क्रिसमस!”
गुरुपर्व पर संदेश –
“गुरु नानक देव जी की कृपा आप पर बनी रहे। शुभ गुरुपर्व!”
(ई) आत्मसंयम और अनुशासन का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है? बताइए।
उत्तर – आत्मसंयम और अनुशासन हमारे जीवन में सफलता और शांति लाने के लिए बहुत आवश्यक हैं। आत्मसंयम हमें बुरी आदतों से बचाता है और सही दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। अनुशासन से हम समय का सही उपयोग कर पाते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। भारतीय संस्कृति के अलावा विश्व के अन्य त्यौहार भी हमें अनुशासन, धैर्य और परोपकार की शिक्षा देता है, जो हमारे जीवन को और भी श्रेष्ठ बनाता है।
भाषा की बात
(अ) वाक्य पढ़िए। भेद समझिए।
- रोज़े रखते हैं। – रोज़े रखे जाते हैं।
- बच्चे खुशी मनाते हैं। – बच्चों के द्वारा खुशी मनायी जाती है।
- ईद का चाँद देखते हैं। – ईद का चाँद देखा जाता है।
- इसे सहरी कहते हैं। – इसे सहरी कहा जाता है।
- लड़के ने रोटी खायी। – लड़के से रोटी खायी गई।
- लड़का रोटी खाता है। – लड़के से रोटी खायी जाती है।
- लड़का दौड़ नहीं सकता। – लड़के से दौड़ा नहीं जाता।
ऊपर दिए गए वाक्यों में कुछ क्रियाएँ कर्ता के अनुसार हैं। और कुछ कर्म के अनुसार हैं। इन्हीं में कुछ क्रियाएँ क्रिया भाव के अनुसार हैं। इस तरह वाक्य के रूप को वाच्य कहते हैं।
(आ) वाच्य के प्रकार
कर्तृवाच्य – कर्ता के अनुसार क्रिया हो और वाक्य में कर्ता प्रधान हो। जैसे- लड़का रोटी खाता है।
कर्मवाच्य – कर्म के अनुसार क्रिया हो और वाक्य में कर्म प्रधान हो। जैसे- लड़के से रोटी खायी जाती है।
भाववाच्य – क्रिया के भाव के अनुसार क्रिया हो और वाक्य में क्रिया का भाव प्रधान हो।
जैसे – लड़के से दौड़ा नहीं जाता।
(इ) निम्नलिखित इस्लामी महीनों के नाम पढ़िए और समझिए।
- मोहर्रम
- सफ़र
- रबि-उल-अव्वल
- रबि-उस-सानि
- जमादि-उल-अव्वल
- जमादि-उस- सानि
- रज्जब
- शाबान
- रमज़ान
- शव्वाल
- ज़िलखदा
- ज़िलहज्ज
परियोजना कार्य
- किसी एक व्यंजन बनाने की विधि पता कीजिए और लिखिए।
(अ) उगादि पच्चड़ी (आ) शीरखुर्मा (इ) क्रिसमस केक
(आ) शीरखुर्मा
शीरखुर्मा बनाने की विधि
सामग्री:
1 लीटर दूध
1 कप सेंवई (पतली वाली)
½ कप चीनी
8-10 खजूर (कटे हुए)
10-12 काजू (कटे हुए)
10-12 बादाम (कटे हुए)
10-12 पिस्ता (कटे हुए)
2 चम्मच घी
4-5 इलायची (कुटी हुई)
8-10 किशमिश
½ कप नारियल (कद्दूकस किया हुआ) (वैकल्पिक)
विधि –
एक कढ़ाई में घी गरम करें और उसमें सेंवई को सुनहरा भूरा होने तक भून लें।
दूसरी ओर, एक भगोने में दूध को उबालें और धीमी आँच पर पकने दें।
जब दूध थोड़ा गाढ़ा हो जाए, तो उसमें भुनी हुई सेंवई डालें और अच्छे से मिलाएँ।
अब इसमें चीनी, कटे हुए खजूर, किशमिश, काजू, बादाम, पिस्ता और कद्दूकस किया हुआ नारियल डालें।
धीमी आंच पर इसे 8-10 मिनट तक पकने दें, ताकि सभी चीजें अच्छी तरह से मिल जाएँ।
अंत में इलायची पाउडर डालें और अच्छे से मिलाएँ।
गरमागरम या ठंडा करके परोसें।
शीरखुर्मा को आप ईद या किसी भी खास मौके पर बना सकते हैं। यह एक स्वादिष्ट और पौष्टिक मिठाई है!
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए –
प्रश्न – रमज़ान किस धर्म का प्रमुख त्यौहार है?
उत्तर – रमज़ान इस्लाम धर्म का प्रमुख त्यौहार है।
प्रश्न – रमज़ान किस महीने का नाम है?
उत्तर – रमज़ान इस्लाम धर्म के नौवें महीने का नाम है।
प्रश्न – इस्लाम धर्म के पाँच बुनियादी सिद्धांत कौन-कौन से हैं?
उत्तर – इस्लाम धर्म के पाँच बुनियादी सिद्धांत हैं – तौहीद, नमाज़, रोज़ा, ज़कात और हज।
प्रश्न – रोज़ा रखने के लिए सुबह क्या किया जाता है?
उत्तर – रोज़ा रखने से पहले सहरी खाई जाती है।
प्रश्न – रोज़ा खोलने की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
उत्तर – रोज़ा खोलने की प्रक्रिया को इफ़तार कहा जाता है।
प्रश्न – रमज़ान में पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज़ का नाम क्या है?
उत्तर – रमज़ान में पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज़ का नाम ‘तरावीह नमाज़’ है।
प्रश्न – रमज़ान में किए जाने वाले दान को क्या कहते हैं?
उत्तर – रमज़ान में किए जाने वाले दान को ‘ज़कात’ और ‘फ़ितरा’ कहते हैं।
प्रश्न – ईद-उल-फ़ितर कब मनाई जाती है?
उत्तर – रमज़ान के बाद शव्वाल महीने की पहली तारीख़ को।
प्रश्न – ईद के दिन क्या खास पकवान बनाया जाता है?
उत्तर – ईद के दिन क्या खास शिरखुर्मा (सेवइयाँ) बनाई जाती हैं।
प्रश्न – शब-ए-क़दर किस महीने में आती है?
उत्तर – शब-ए-क़दर रमज़ान के महीने में आती है।
निम्नलिखित पंक्तियों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए-
प्रश्न – रमज़ान का सामाजिक महत्त्व क्या है?
उत्तर – रमज़ान समाज में भाईचारा, परोपकार और धार्मिक सौहार्द को बढ़ावा देता है। इस महीने में गरीबों की मदद के लिए ज़कात और फ़ितरा दिया जाता है, जिससे समाज में समानता की भावना विकसित होती है।
प्रश्न – रोज़ा रखने के क्या लाभ हैं?
उत्तर – रोज़ा रखने से आत्मसंयम, आत्मनियंत्रण और धैर्य की भावना विकसित होती है। यह शरीर को स्वस्थ रखता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।
प्रश्न – तरावीह नमाज़ क्यों पढ़ी जाती है?
उत्तर – रमज़ान के दौरान तरावीह नमाज़ विशेष रूप से पढ़ी जाती है, जिसमें कुरान-ए-शरीफ़ का पाठ किया जाता है। इसे पढ़ने से आध्यात्मिक शुद्धि और अल्लाह की कृपा प्राप्त होती है।
प्रश्न – ईद-उल-फ़ितर कैसे मनाई जाती है?
उत्तर – ईद-उल-फ़ितर के दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं, ईदगाह में नमाज़ अदा करते हैं और एक-दूसरे को गले लगाकर ईद मुबारक कहते हैं। इस दिन विशेष रूप से शिरखुर्मा बनाया जाता है और मिठाइयाँ बांटी जाती हैं।
प्रश्न – एतेकाफ़ क्या है और इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर – एतेकाफ़ का अर्थ है मस्जिद में रहकर पूरी तरह से इबादत में लीन रहना। रमज़ान के अंतिम दस दिनों में कुछ लोग मस्जिद में रहकर इबादत करते हैं, जिससे उन्हें आध्यात्मिक शांति और अल्लाह की रहमत प्राप्त होती है।