अपना स्थान स्वयं बनायें
एक बादशाह था। उसने एक दिन अपने मंत्री से कहा, “मुझे अपने लिए एक आदमी की ज़रूरत है। आपकी दृष्टि में कोई हो तो ले आएँ, पर इतना ध्यान रखें कि आदमी अच्छा हो।”
बहुत दिनों की जाँच-पड़ताल के बाद मंत्री को एक आदमी सही लगा। उसने उसकी नौकरी छुड़ा दी और उन्नति का आश्वासन देकर बादशाह के सामने पेश किया। बहुत देर तक तो बादशाह को अपनी बात ही याद न आई, बाद में बोले, “हाँ, उस समय शायद कोई बात मन में थी, पर अब तो कोई बात नहीं है।”
मंत्री ने कहा, “हुज़ूर मैंने इसे हज़ारों में से छाँटा है और बढ़िया नौकरी छुड़ाकर इसे लाया हूँ।” बादशाह ने ज़रा सोचकर कहा, “हमारे पास तो इस समय कोई काम नहीं है पर तुम बहुत कह रहे हो तो हम अपने निजी कार्यालय में चपरासी रख सकते हैं। वेतन पंद्रह रुपये मिलेगा।”
मंत्री को बुरा लगा, पर उस युवक ने कहा, “ मेरे लिए सबसे बड़ा वेतन यह है कि मुझे आपने बादशाह की सेवा करने का मौक़ा दिलाया” और वह तैयार हो गया। मंत्री जब उसे कार्यालय में छोड़ने गया तो वहाँ धूल-ही-धूल थी क्योंकि बादशाह वहाँ न कभी जाते थे और न काम करते थे। मंत्री दुखी हुआ, पर युवक खुश था। उसने अच्छा स्थान दिलाने के लिए मंत्री के प्रति कृतज्ञता भी प्रकट की। उसने लगातार कई दिनों तक उस कार्यालय को साफ़ किया और उसे शाही कार्यालय का रूप दिया।
उस कार्यालय में एक छोटी-सी कोठरी थी। युवक ने उसकी जाँच-पड़ताल की, तो पता चला कि पिछले सालों में बादशाह के पास बहुत से लिफ़ाफ़ों पर सोने की पच्चीकारी और रत्न जड़े थे। ये वे लिफ़ाफ़े थे जो विवाह आदि के शुभ अवसरों पर दूसरे बादशाहों और अमीर-उमरावों के यहाँ से आए थे। युवक ने कारीगर लगाकर सब कीमती सामान लिफ़ाफ़ों से उतरवा लिया और बाज़ार में बेच दिया। इससे कई हज़ारों रुपये मिले। उनमें से कुछ रुपये तो उसने बढ़िया फ़र्नीचर और चित्रादि लगाने में खर्च किए और बाक़ी पैसा सरकारी खजाने में जमा कर दिया। जहाँ वह सामान बिका, उसकी भी रसीद ली और जहाँ से सामान ख़रीदा गया, उसकी भी।
अब वह स्थान सचमुच शाही हो गया। कुछ दरबारियों ने बादशाह से उसकी शिकायत की कि वह रुपया लुटा रहा है। एक दिन बादशाह गुस्से में भरे वहाँ गए तो देखकर दंग रह गए। उन्होंने तेज़ आवाज़ में पूछा, “तुमने यह सजावट किसके रुपये से की है?”
“यहीं के रुपयों से हुज़ूर !” कहकर उसने रद्दी लिफ़ाफ़ों की कहानी सुनाई और ख़ज़ांची से गवाही दिलाई कि सामान ख़रीदने के बाद बचा हुआ रुपया ख़ज़ाने में जमा किया गया है। बादशाह प्रसन्न हुए और उन्होंने युवक को अपने राज्य का वित्तमंत्री बना दिया। दूसरे मंत्री इससे परेशान हुए क्योंकि न वह बेईमानी करता था, न करने देता था। जो भी मंत्री बादशाह के पास जाता, किसी-न-किसी बहाने उस युवक की शिकायत करता जिससे कि वह बादशाह की नज़रों से गिर जाए।
एक दिन रात को दो बजे बादशाह ने अपने सेनापति को बुलाकर कहा, “हमारे सब मंत्रियों को उनके घरों से उठाकर इस कमरे में ले आओ। हाँ, वे जिस हालत में हों, उसी हालत में लाए जाएँ। समझ लो, हमारे हुक्म को। अगर कोई पलंग पर सो रहा हो तो उसे पलंग सहित ज्यों-का-त्यों लाया जाए और कोई क़ालीन पर बैठा चौपड़ खेल रहा हो तो उसे कालीन समेत लाया जाए।”
कुछ ही समय में सब बादशाह के बड़े कमरे में आ गए। आठ में से सात मंत्री नशे में थे। उनमें से कुछ जुआ खेल रहे थे। वित्तमंत्री जी बनियन पहने एक चौकी पर बैठे दिए की रोशनी में कोई कागज़ देख रहे थे। सब मंत्री बहुत लज्जित हुए। तब बादशाह ने वित्तमंत्री से पूछा, “जनाब, रात के दो बजे किस कागज़ में उलझे हुए थे?” उसने उत्तर दिया, “हुज़ूर, दूर के इलाक़े से इस साल का जो राज-कर आया है, उसमें पिछले साल से एक पैसा कम है तो बार-बार देख रहा था कि जोड़ में भूल है या सचमुच पैसा कम है।”
बादशाह ने अपनी जेब से एक पैसा फेंककर कहा, लो, अब हिसाब ठीक कर दो और जाओ आराम करो।” वित्तमंत्री ने नम्रता के साथ पैसा वापस करते हुए कहा, “हुज़ूर, पैसा तो मैं भी डाल सकता था पर यदि पैसा कम है और उसके लिए पूछताछ न हुई तो इससे अफ़सरों में ढील और बैईमानी पैदा हो सकती है।”
बादशाह बहुत खुश हुए और उन्होंने उस युवक को अपना प्रधानमंत्री बना लिया।
– कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’
शब्द | हिंदी अर्थ | तेलुगु अर्थ | अंग्रेज़ी अर्थ |
बादशाह | राजा, सम्राट | రాజు, చక్రవర్తి | King, Emperor |
मंत्री | सलाहकार, सचिव | మంత్రి, సలహాదారు | Minister, Advisor |
ज़रूरत | आवश्यकता | అవసరం | Need, Requirement |
उन्नति | तरक्की, प्रगति | అభివృద్ధి, పురోగతి | Progress, Advancement |
आश्वासन | भरोसा, वचन | హామీ, నమ్మకం | Assurance, Promise |
चपरासी | कार्यालय सेवक | పియన్, కార్యాలయ సేవకుడు | Peon, Office Attendant |
कृतज्ञता | आभार, धन्यवाद | కృతజ్ఞత, ధన్యవాదాలు | Gratitude, Thankfulness |
धूल | मिट्टी, गंदगी | దుమ్ము, మురికి | Dust, Dirt |
कोठरी | छोटी कक्ष | గది, చిన్న గది | Small Room |
पच्चीकारी | सजावट, अलंकरण | చెక్కతో చేసిన అలంకారం | Inlay work, Decoration |
अमीर | धनवान, समृद्ध | సంపన్నుడు, ధనవంతుడు | Wealthy, Rich |
खजाना | धन, संपत्ति | నిధి, సంపద | Treasury, Wealth |
शिकायत | दोषारोपण, फरियाद | ఫిర్యాదు, ఆరోపణ | Complaint, Accusation |
वित्त | धन प्रबंधन | ఆర్థిక వ్యవహారాలు | Finance, Treasury |
अनुशासन | नियमबद्धता | క్రమశిక్షణ | Discipline |
निष्ठा | ईमानदारी, वफादारी | నమ్మకద్రోహం, విశ్వాసం | Loyalty, Dedication |
बेईमानी | धोखाधड़ी, छल | అక్రమత, మోసం | Dishonesty, Fraud |
सेनापति | सेना प्रमुख | సైన్యాధిపతి, సైనిక నాయకుడు | General, Commander |
जुआ | सट्टा, खेल | జూదం, పందెం | Gambling, Betting |
चौपड़ | पारंपरिक खेल | చతురంగం ఆట | Chaupad (Traditional Game) |
लज्जित | शर्मिंदा, अपमानित | అవమానితుడు, సిగ్గు పడిన | Ashamed, Embarrassed |
दूर | बहुत पीछे, लंबी दूरी | దూరంగా, చాలా వెనుక | Far, Distant |
राज-कर | कर, टैक्स | పన్ను, కట్టము | Tax, Levy |
हिसाब | गणना, लेखा-जोखा | లెక్కలు, గణన | Account, Calculation |
नम्रता | विनम्रता, शालीनता | వినయం, మర్యాద | Humility, Modesty |
अपना स्थान स्वयं बनायें का सारांश –
एक बादशाह को एक योग्य व्यक्ति की आवश्यकता थी, जिसे उसका मंत्री तलाश कर लाया। लेकिन जब बादशाह को उसकी ज़रूरत नहीं रही, तो उसे मात्र चपरासी की नौकरी दी गई। युवक ने इसे अवसर मानकर कार्यालय की सफाई की और उसे शाही रूप दिया। उसने बेकार पड़े बहुमूल्य लिफ़ाफ़ों से रत्न निकालकर सरकारी खजाने में जमा कर दिए और ऑफिस को भव्य बना दिया। दरबारियों ने उस पर धन बर्बाद करने का आरोप लगाया, लेकिन जब बादशाह को सच्चाई पता चली, तो उन्होंने युवक को वित्तमंत्री बना दिया। अन्य मंत्री उससे ईर्ष्या करने लगे और उसकी शिकायतें करने लगे। बादशाह ने एक रात सभी मंत्रियों की परीक्षा ली और पाया कि केवल वही युवक ईमानदारी से काम कर रहा था। उसकी मेहनत और निष्ठा देखकर बादशाह ने उसे प्रधानमंत्री बना दिया। इस प्रकार युवक ने अपनी बुद्धिमत्ता, परिश्रम और ईमानदारी से अपना स्थान स्वयं बनाया।
प्रश्न
- बादशाह को कैसे आदमी की ज़रूरत थी?
उत्तर – बादशाह को एक अच्छे और ईमानदार व्यक्ति की आवश्यकता थी, जो योग्य और निष्ठावान हो।
- युवक ने कार्यालय को शाही कार्यालय के रूप में कैसे बदला?
उत्तर – युवक ने पहले कार्यालय की सफाई की और उसे सुंदर बनाया। फिर, उसने कोठरी में रखे पुराने लिफ़ाफ़ों से बहुमूल्य रत्न और सोने की पच्चीकारी उतरवाकर बेचे। प्राप्त धन से उसने कार्यालय के लिए बढ़िया फर्नीचर और चित्रादि खरीदे और शेष धन सरकारी खजाने में जमा कर दिया। इससे कार्यालय सचमुच शाही बन गया।
- युवक ने अपना स्थान स्वयं कैसे बनाया?
उत्तर – युवक ने अपनी मेहनत, ईमानदारी और बुद्धिमानी से अपना स्थान स्वयं बनाया। उसने कार्यालय को भव्य बनाया, सरकारी धन का सही उपयोग किया, और वित्तीय अनुशासन बनाए रखा। जब अन्य मंत्रियों ने उसकी शिकायतें कीं, तब भी उसने अपने कार्यों से अपनी निष्ठा साबित की। उसकी लगन और ईमानदारी से प्रभावित होकर बादशाह ने उसे पहले वित्तमंत्री और फिर प्रधानमंत्री बना दिया।
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए –
प्रश्न – बादशाह को किस तरह के आदमी की आवश्यकता थी?
उत्तर – बादशाह को एक अच्छे और योग्य व्यक्ति की आवश्यकता थी।
प्रश्न – मंत्री ने युवक को क्यों चुना?
उत्तर – मंत्री ने युवक को उसकी योग्यता और ईमानदारी के कारण चुना।
प्रश्न – युवक को कौन-सी नौकरी दी गई?
उत्तर – युवक को चपरासी की नौकरी दी गई।
प्रश्न – कार्यालय की क्या स्थिति थी?
उत्तर – कार्यालय बहुत गंदा और धूल-धूसरित था।
प्रश्न – युवक ने कार्यालय को किस तरह बदला?
उत्तर – युवक ने कार्यालय को साफ कर उसे शाही रूप दे दिया।
प्रश्न – कोठरी में क्या मिला?
उत्तर – कोठरी में पुराने बहुमूल्य लिफ़ाफ़े मिले जिनमें रत्न और सोने की पच्चीकारी थी।
प्रश्न – युवक ने उन बहुमूल्य वस्तुओं का क्या किया?
उत्तर – युवक ने उन्हें बेचकर सरकारी खजाने में जमा कर दिया और कार्यालय को सुंदर बनाया।
प्रश्न – दरबारियों ने युवक की क्या शिकायत की?
उत्तर – दरबारियों ने शिकायत की कि युवक सरकारी धन लुटा रहा है।
प्रश्न – बादशाह ने जब कार्यालय देखा तो क्या हुआ?
उत्तर – बादशाह कार्यालय देखकर प्रभावित हुए और युवक को वित्तमंत्री बना दिया।
प्रश्न – अन्य मंत्री युवक से क्यों परेशान थे?
उत्तर – अन्य मंत्री युवक से परेशान थे क्योंकि वह न बेईमानी करता था और न ही किसी को करने देता था।
प्रश्न – बादशाह ने मंत्रियों की परीक्षा कैसे ली?
उत्तर – बादशाह ने रात को दो बजे सभी मंत्रियों को उनकी वास्तविक स्थिति में बुलवाया।
प्रश्न – युवक रात को क्या कर रहा था?
उत्तर – युवक रात को कर (Tax) संग्रह का हिसाब देख रहा था।
प्रश्न – बादशाह ने युवक को क्या पद दिया?
उत्तर – बादशाह ने युवक को प्रधानमंत्री बना दिया।
निम्नलिखित प्रश्नों एक उत्तर दो-तीन पंक्तियों में दीजिए –
प्रश्न – युवक ने बादशाह की सेवा करने के अवसर को कैसे स्वीकार किया?
उत्तर – युवक ने छोटी नौकरी मिलने के बावजूद इसे अपने लिए सम्मान की बात मानी और पूरी निष्ठा से काम किया।
प्रश्न – युवक ने पुराने लिफ़ाफ़ों से प्राप्त धन का उपयोग कैसे किया?
उत्तर – युवक ने धन का एक भाग कार्यालय की सजावट में लगाया और बाकी सरकारी खजाने में जमा कर दिया।
प्रश्न – बादशाह ने रात को मंत्रियों की जाँच क्यों की?
उत्तर – बादशाह यह देखना चाहते थे कि उनके मंत्री किस प्रकार का जीवन व्यतीत कर रहे हैं और कौन ईमानदारी से काम कर रहा है।
प्रश्न – युवक को प्रधानमंत्री बनाने का कारण क्या था?
उत्तर – युवक की ईमानदारी, निष्ठा, परिश्रम और देशभक्ति देखकर बादशाह ने उसे प्रधानमंत्री बनाया।