Telangana, Class IX, Sugandha -01, Hindi Text Book, Upavachak – Taare Zameen Par, The Best Solutions, उपवाचक – तारे ज़मीं पर

तारे ज़मीं पर

निर्माता-निर्देशक

आमिर खान

गीत : प्रसून जोशी

संगीत : शंकर- अहसान-लॉय

कलाकार : आमिर खान, दर्शील सफ़ारी, टिस्का चोपड़ा, विपिन शर्मा, सचेत इंजीनियर।

बच्चे ओस की बूँदों की तरह शुद्ध और पवित्र होते हैं। वे कल के नागरिक हैं। आजकल प्रायः घर-घर से ‘टॉपर्स’ और ‘रैंकर्स’ तैयार करने की कोशिश की जा रही है। कई लोग यह नहीं सोचते कि बच्चों के मन में क्या है? वे क्या सोचते हैं? उनके क्या विचार हैं?

इन्हीं प्रश्नों को आमिर ख़ान ने अपनी फिल्म ‘तारे ज़मीं पर’ में उठाया है। फिल्म की कहानी इस प्रकार है-

आठ वर्षीय ईशान अवस्थी (दर्शील सफारी) का मन पढ़ाई के बजाय कुत्तों, मछलियों और पेंटिंग में लगता है। उसके माता-पिता चाहते हैं कि वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलता। ईशान घर पर माता-पिता की डाँट खाता है और स्कूल में अध्यापकों की। कोई भी यह जानने की कोशिश नहीं करता कि ईशान पढ़ाई पर ध्यान क्यों नहीं दे रहा है। इसके बजाय वे ईशान को बोर्डिंग स्कूल भेज देते हैं।

खिलखिलाता ईशान वहाँ जाकर मुरझा जाता है। वह हमेशा सहमा और उदास रहने लगता है। उस पर निगाह जाती है ‘कला अध्यापक’ रामशंकर निकुंभ (आमिर खान) की। निकुंभ सर उसकी उदासी का पता लगाते हैं और उन्हें पता चलता है कि ईशान बहुत प्रतिभाशाली है, लेकिन डिसलेक्सिया की समस्या से पीड़ित है। उसे अक्षरों को पढ़ने में तकलीफ़ होती है। अपने प्यार और दुलार से निकुंभ सर ईशान के अंदर छिपी प्रतिभा सबके सामने लाते हैं।

कहानी सरल है, जिसे आमिर ख़ान ने बेहद प्रतिभाशाली ढंग से परदे पर उतारा है। पटकथा की बुनावट एकदम चुस्त है। छोटे-छोटे भावात्मक दृश्य रखे गए हैं, जो सीधे दिल को छू जाते हैं।

ईशान का स्कूल से भागकर सड़कों पर घूमना, ताज़ी हवा में साँस लेना, बिल्डिंग को कलर होते देखना, फुटपाथ पर रहनेवाले बच्चों को आज़ादी से खेलते देखकर उदास होना, बरफ़ का लड्डू खाना जैसे दृश्यों को देखकर कई लोगों को अपने बचपन की याद ताज़ा हो आती है।

सबसे बड़ी बात यह है कि ईशान के माध्यम से बच्चे में छिपी प्रतिभा सुंदर ढंग से उभारी गयी है। फिल्म के अंत में इसका परिचय ईशान की चित्रकारी से होता है। चित्रकारी प्रतियोगिता में उसे प्रथम पुरस्कार मिलता है। इसी दृश्य में आमिर ने उसकी मासूमियत को अपने चित्र से उभारा है। इस तरह शिष्य अपने अध्यापक की प्रेरणा से किस तरह आगे बढ़ सकता है, इसका प्रमाण ही यह फिल्म है।

ईशान की भूमिका में दर्शील सफ़ारी इस फिल्म की जान है। विश्वास ही नहीं होता कि यह बच्चा अभिनय कर रहा है। मासूम से दिखने वाले इस बच्चे ने भय, क्रोध, उदासी और हास्य के हर भाव को अपने चेहरे से दर्शाया है। शायद इसीलिए उसे संवाद कम दिए गए हैं।

शब्द (हिंदी)

अर्थ (हिंदी)

తెలుగు అర్ధం

Meaning (English)

निर्माता

जो निर्माण करता है

నిర్మాత

Producer

निर्देशक

मार्गदर्शन करने वाला

దర్శకుడు

Director

कलाकार

अभिनय करने वाला व्यक्ति

కళాకారుడు

Actor

पवित्र

शुद्ध और निर्मल

పవిత్రం

Pure

नागरिक

देश का निवासी

పౌరుడు

Citizen

विचार

सोच, धारणा

ఆలోచన

Thought

प्रश्न

सवाल

ప్రశ్న

Question

कहानी

कथा या वृतांत

కథ

Story

माता-पिता

माँ और पिता

తల్లిదండ్రులు

Parents

प्रतिभा

विशेष योग्यता

ప్రతిభ

Talent

समस्या

कठिनाई, परेशानी

సమస్య

Problem

विद्यालय

स्कूल

విద్యాలయం

School

अध्यापक

शिक्षक

ఉపాధ్యాయుడు

Teacher

चित्रकारी

पेंटिंग

చిత్రలేఖనం

Painting

प्रतियोगिता

मुकाबला

పోటీ

Competition

पुरस्कार

सम्मान, इनाम

బహుమతి

Award

प्रेरणा

उत्साह बढ़ाने वाला कार्य

ప్రేరణ

Inspiration

मासूमियत

भोलेपन की अवस्था

అమాయకత్వం

Innocence

अभिनय

किरदार निभाने की कला

నటన

Acting

भावना

मन की स्थिति

భావన

Emotion

दृश्य

आँखों के सामने आने वाला चित्र

దృశ్యం

Scene

स्वाभाविक

नैसर्गिक

సహజమైన

Natural

स्वतंत्रता

आज़ादी

స్వాతంత్ర్యం

Freedom

समर्थन

सहायता करना

మద్దతు

Support

संवेदनशीलता

भावुकता

భావోద్వేగం

Sensitivity

आत्मविश्वास

स्वयं पर भरोसा

ఆత్మవిశ్వాసం

Confidence

सफलता

कामयाबी

విజయం

Success

कल्पना

सोचने की शक्ति

ఊహ

Imagination

विशेषता

खास गुण

ప్రత్యేకత

Specialty

संवाद

बातचीत

సంభాషణ

Dialogue

मार्गदर्शन

सही रास्ता दिखाना

మార్గదర్శనం

Guidance

कठिनाई

परेशानी

కష్టం

Difficulty

सम्मान

आदर

గౌరవం

Respect

अद्वितीय

अनोखा

అపూర్వమైన

Unique

निर्णय

फैसला

నిర్ణయం

Decision

संवेदना

दूसरों के दुख को समझने की भावना

సహానుభూతి

Empathy

धैर्य

सहनशक्ति

సహనం

Patience

तारे ज़मीं पर का सारांश –

‘तारे ज़मीं पर’ आमिर खान द्वारा निर्देशित एक भावनात्मक फिल्म है, जो बच्चों की शिक्षा, उनकी विशेष क्षमताओं और माता-पिता की अपेक्षाओं पर आधारित है। फिल्म की कहानी आठ वर्षीय ईशान अवस्थी (दर्शील सफारी) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो पढ़ाई में कमजोर है लेकिन चित्रकारी में बहुत प्रतिभाशाली है। उसके माता-पिता और शिक्षक उसकी कठिनाइयों को नहीं समझते और उसे अनुशासनहीन मानते हैं। अंततः, उसे बोर्डिंग स्कूल भेज दिया जाता है, जहाँ वह उदास और अकेला महसूस करने लगता है। वहीं, कला शिक्षक रामशंकर निकुंभ (आमिर खान) उसकी समस्या को समझते हैं और पता चलता है कि ईशान डिसलेक्सिया नामक सीखने की कठिनाई से जूझ रहा है। निकुंभ सर उसे विशेष तरीके से पढ़ाना शुरू करते हैं और धीरे-धीरे उसका आत्मविश्वास लौट आता है। अंत में, उसकी अद्भुत चित्रकारी से वह सभी को प्रभावित करता है और एक प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त करता है।

फिल्म का संदेश यह है कि हर बच्चा अद्वितीय होता है और हमें उनकी विशेषताओं को पहचानकर उन्हें सही दिशा देनी चाहिए, न कि सिर्फ अच्छे अंक लाने के लिए उन पर दबाव डालना चाहिए। यह फिल्म शिक्षा प्रणाली, माता-पिता की अपेक्षाओं और बच्चों की सृजनात्मकता पर एक गहरी सोच प्रदान करती है।

प्रश्न:-

  1. बच्चों के प्रति निकुंभ सर के विचार कैसे हैं?

उत्तर –  निकुंभ सर मानते हैं कि हर बच्चा खास होता है और उसकी अपनी एक अनूठी प्रतिभा होती है। वे बच्चों को प्यार, समझ और धैर्य के साथ सिखाने में विश्वास रखते हैं। वे यह भी समझते हैं कि शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ अंक प्राप्त करना नहीं, बल्कि बच्चों की प्रतिभा को पहचानना और उसे निखारना है।

  1. बच्चों के जीवन में पाठशाला की क्या भूमिका होनी चाहिए?

उत्तर –  पाठशाला को केवल पढ़ाई-लिखाई का स्थान नहीं, बल्कि बच्चों के सर्वांगीण विकास का केंद्र होना चाहिए। यह वह जगह होनी चाहिए जहाँ बच्चे अपनी प्रतिभा को पहचान सकें, आत्मविश्वास बढ़ा सकें और अपनी रुचियों के अनुसार सीख सकें। शिक्षकों को भी बच्चों की व्यक्तिगत कठिनाइयों को समझकर उनके विकास में सहायता करनी चाहिए।

  1. तारे ज़मीं परसमीक्षा का संदेश क्या है?

उत्तर –  इस समीक्षा का मुख्य संदेश यह है कि हर बच्चा अद्वितीय होता है और उसमें कोई न कोई विशेष प्रतिभा होती है। माता-पिता और शिक्षकों को बच्चों को समझना चाहिए और उनकी कमजोरियों को उनकी असफलता नहीं, बल्कि एक विशेषता के रूप में देखना चाहिए। प्रेम, धैर्य और सही मार्गदर्शन से हर बच्चा आगे बढ़ सकता है।

विचार-विमर्श

हम सब में कोई न कोई बुद्धिमत्ता, और कौशल होता है। हर बुद्धिमत्ता से कई तरह के कार्य पेशे होते है। लड़कियाँ और लड़के समान रूप से बुद्धिमान होते हैं और जो भी कार्य करना चाहें, कर सकते हैं। तुम्हें क्या पसंद हैं? तुम क्या करना चाहते हो?

उत्तर – हर व्यक्ति में कोई न कोई विशेष कौशल और बुद्धिमत्ता होती है। मैं खुद को कला और रचनात्मक कार्यों में अधिक रुचि रखने वाला मानता/मानती हूँ। मुझे चित्रकारी, लेखन, और संगीत पसंद है। मैं भविष्य में एक अच्छा कलाकार/लेखक/संगीतकार बनना चाहता/चाहती हूँ और अपने इस कौशल का उपयोग समाज में सकारात्मक योगदान देने के लिए करना चाहता/चाहती हूँ।

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए –

प्रश्न – ईशान को पढ़ाई में क्या समस्या थी?

उत्तर – ईशान को डिसलेक्सिया की समस्या थी, जिससे उसे पढ़ने और लिखने में कठिनाई होती थी।

प्रश्न – ईशान का मन किन चीज़ों में लगता था?

उत्तर – उसका मन पेंटिंग, मछलियों और कुत्तों में अधिक लगता था।

प्रश्न – ईशान को बोर्डिंग स्कूल क्यों भेजा गया?

उत्तर – माता-पिता ने उसे अनुशासन सिखाने के लिए बोर्डिंग स्कूल भेज दिया।

प्रश्न – रामशंकर निकुंभ कौन थे?

उत्तर – रामशंकर निकुंभ ईशान के बोर्डिंग स्कूल के कला शिक्षक थे।

प्रश्न – फिल्म का मुख्य संदेश क्या है?

उत्तर – हर बच्चा अद्वितीय होता है और उसे समझने की जरूरत होती है।

प्रश्न – ईशान को आत्मविश्वास किसने दिलाया?

उत्तर – निकुंभ सर ने अपने प्यार और सही शिक्षा से उसका आत्मविश्वास लौटाया।

प्रश्न – ईशान ने किस प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त किया?

उत्तर – उसने चित्रकारी प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त किया।

प्रश्न – फिल्म का निर्देशन किसने किया?

उत्तर – फिल्म का निर्देशन आमिर खान ने किया।

प्रश्न – फिल्म “तारे ज़मीं पर” का मुख्य पात्र कौन है?

उत्तर – फिल्म “तारे ज़मीं पर” का मुख्य पात्र ईशान अवस्थी है।

प्रश्न – ईशान की समस्या को पहले किसी ने क्यों नहीं समझा?

उत्तर – ईशान की समस्या को पहले किसी ने नहीं समझा क्योंकि लोग उसकी कमजोरी को आलस्य और अनुशासनहीनता समझते थे।

 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए –

प्रश्न – ईशान को स्कूल में क्या-क्या कठिनाइयाँ आती थीं?

उत्तर – ईशान को अक्षरों और शब्दों को पढ़ने में कठिनाई होती थी। शिक्षक उसे लापरवाह और अनुशासनहीन समझते थे, जिससे वह और अधिक तनाव में रहने लगा।

प्रश्न – निकुंभ सर ने ईशान की मदद कैसे की?

उत्तर – निकुंभ सर ने पहले उसकी समस्या को समझा और फिर उसे प्यार और धैर्य से सिखाया। उन्होंने विशेष तकनीकों का उपयोग करके ईशान को पढ़ने-लिखने में मदद की और उसकी चित्रकला की प्रतिभा को निखारा।

प्रश्न – फिल्म तारे ज़मीं पर माता-पिता को क्या सिखाती है?

उत्तर – यह फिल्म माता-पिता को सिखाती है कि वे अपने बच्चों की क्षमताओं को समझें और केवल अंक प्राप्त करने के दबाव में उन्हें न डालें। हर बच्चा अलग होता है और उसकी विशेषताओं को पहचाना जाना चाहिए।

प्रश्न – ईशान का व्यवहार बोर्डिंग स्कूल में क्यों बदल गया?

 

उत्तर – बोर्डिंग स्कूल में जाने के बाद वह अकेला और उदास रहने लगा, क्योंकि वहाँ कोई उसे समझने वाला नहीं था। वह पहले की तरह खुशमिजाज नहीं रहा और हमेशा सहमा-सहमा रहता था।

प्रश्न – फिल्म तारे ज़मीं पर का अंत कैसे होता है?

उत्तर – फिल्म ‘तारे ज़मीं पर’ के अंत में ईशान की प्रतिभा सामने आती है, जब वह चित्रकारी प्रतियोगिता जीतता है। उसके माता-पिता और शिक्षक उसकी प्रतिभा को पहचानते हैं और उसे गर्व से देखते हैं।

 

 

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