बुद्धिमान बालक
मगध की राजधानी पाटलीपुत्र में राज दरबार का मुख्य कक्ष। सम्राट महापद्मानंद एक सुसज्जित सिंहासन पर बैठे हैं। सभी अधिकारी तथा दरबारी अपने-अपने स्थानों पर विराजमान हैं। दरबार दर्शकों से भरा हुआ है। एक ओर लोहे का बड़ा-सा पिंजरा रखा है, पिंजरे में एक सिंह है, जिसके दरवाज़े पर ताला लगा है।
सम्राट : महामंत्री !
महामंत्री : आज्ञा महाराज।
सम्राट : क्या सारी व्यवस्था पूरी हो चुकी है?
महामंत्री : जी महाराज! यदि आज्ञा हो तो घोषणा करवा दी जाय।
सम्राट : आज्ञा है।
महामंत्री : प्रतिहारी !
प्रतिहारी : (अभिवादन करता है) आज्ञा मंत्रिवर।
महामंत्री : मगध नरेश की घोषणा दरबार में पढ़ी जाए।
प्रतिहारी : जो आज्ञा महाराज। (ऊँचे स्वर में पढ़ना आरंभ करता है।)
सभी सभासदो एवं नागरिको! चक्रवर्ती सम्राट महा पद्मानंद की ओर से यह घोषणा की जाती है कि जो व्यक्ति बिना ताला तोड़े, बिना पिंजरा खोले सामने रखे पिंजरे में से सिंह को ग़ायब कर देगा, उसे मुँह माँगा इनाम दिया जायेगा। उसका सम्मान भी किया जायेगा। जो भी व्यक्ति अपना भाग्य आज़माना चाहे वह आगे आ सकता है।”
(सभा – कक्ष में सन्नाटा छा जाता है।)
एक सभासद : महाराज के पराक्रम की जय हो। क्या यह संभव हो सकता है कि बिना पिंजरा खोले सिंह को गायब कर दिया जाए।
महामंत्री : महाराज का आदेश समस्या सुलझाने के लिए है, तर्क करने के लिए नहीं, यह बुद्धि की परीक्षा है। बुद्धिमान और कुशल व्यक्ति ही ऐसा कर सकेगा, यही हमारा विश्वास है।
दूसरा सभासद : मान्यवर, इस असंभव कार्य को तो परमेश्वर ही संभव कर सकता है। हमें तो लगता है कि यह कार्य ईश्वर के अलावा किसी अन्य के बस की बात नहीं।
महामंत्री : ईश्वर की दी हुई प्रतिभा सभी में निवास करती है। हो सकता है कि कोई प्रतिभावान व्यक्ति इस असंभव कार्य को संभव बना दें।
जन-समुदाय : यदि सिंह बाहर आ गया तो निश्चय ही हम सब को खा जायेगा। आप इसे बाहर न आने दें। बुद्धि- परीक्षा किसी और तरह से भी हो सकती है। यही हमारी प्रार्थना है।
सम्राट : यह समस्या मगध राज्य के बुद्धिमानों को पड़ोसी राज्य की ओर से दी गई एक चुनौती है। घबराने की कोई बात नहीं। सभी की सुरक्षा के प्रबंध कर दिए गए हैं। आप शांति से समस्या का समाधान ढूँढ़ें।
(कुछ समय तक सभा कक्ष में सन्नाटा छा जाता है।)
सम्राट : तो क्या मैं यह समझ लूँ कि मगध में प्रतिभा की कमी है? बुद्धिमत्ता का अभाव है?
बालक : महाराज की जय। मैं यह कार्य कर सकता हूँ। महाराज मुझे सिंह को गायब करने की अनुमति दीजिए।
(सभी विस्मय से बालक की ओर देखते हैं।)
महामंत्री : निडर बालक ! तुम्हारा नाम क्या है?
बालक : मुझे चंद्र कहते हैं, श्रीमान।
महामंत्री : चंद्र! यह बच्चों का खेल नहीं है। तुम जाओ और बच्चों के खेल खेलो। उछलो, कूदो और दौड़ो। यह कोई साधारण खेल नहीं, बुद्धि का खेल है।
बालक : महामंत्री ! क्या इस प्रतियोगिता में आपने कोई आयु सीमा भी रखी है?
महामंत्री : (हँसकर) वत्स, सुई तलवार का कार्य नहीं कर सकती।
बालक : महोदय, तो तलवार भी सुई का स्थान नहीं ले सकती।
सम्राट : यह बालक कौन है? जो इतना बढ़-चढ़कर बातें कर रहा है!
महामंत्री : महाराज यह एक हठी बालक है।
सम्राट बालक हठ मत करो। नहीं तो तुम्हें सिंह के पिंजरे में बंद कर दिया जायेगा।
(बालक की माँ अपने पुत्र को एक ओर खींचने का प्रयास करती है परन्तु बालक अपना हाथ छुड़ाकर पिंजरे की ओर बढ़ता है।)
बालक : महाराज, यदि मैं समस्या का समाधान न ढूँढ़ सका तो आप जो चाहे दंड दें। मुझे पिंजरे के पास जाने की अनुमति दीजिए।
सम्राट : खुशी से जा सकते हो। (बालक पिंजरे के पास जाकर सिंह को ध्यान से देखता है और अपनी बुद्धि लड़ाता है। सिंह का रहस्य वह जान लेता है। दरबार में सब चकित हो कर देख रहे थे। सब में कुतूहलता थी कि आगे क्या होने वाला है।)
बालक : महाराज, मैं सिंह को बाहर निकाल दूँगा। आप कृपया पिंजरे के चारों ओर आग जलाने का प्रबंध करवा दें और मुझे कुछ समय तक अपना कार्य करने दें।
(सम्राट के आदेशानुसार पिंजरे के चारों ओर आग लगा दी जाती है। पिंजरा आग की लपटों में घिर जाता है। देखते ही देखते शेर ग़ायब हो जाता है। आग की लपटें धीरे-धीरे शांत हो जाती हैं। सभी लोग अपने- अपने स्थान से यह विस्मयकारी दृश्य देख कर दंग रह जाते हैं। पिंजरा खाली हो जाता है।)
बालक देख लीजिए महाराज, सिंह पिंजरे से अदृश्य हो चुका है और पिंजरे का ताला जैसे का वैसा ही है।
सम्राट वाह ! बहुत ख़ूब। चंद्र तुमने तो कमाल कर दिया। तुमने अपनी बुद्धि से सिंह के निर्माण की पहचान कर उसे आग की गर्मी से पिघला दिया।
शब्द (हिन्दी) | अर्थ (हिन्दी) | अर्थ (तेलुगु) | अर्थ (अंग्रेज़ी) |
बुद्धिमान | चतुर, समझदार | తెలివైన, జ్ఞానవంతుడు | Intelligent, Wise |
सिंह | शेर, वनराज | సింహం, అరణ్యరాజు | Lion |
समस्या | कठिनाई, प्रश्न | సమస్య, కష్టం | Problem, Difficulty |
पिंजरा | कठघरा, पिंजर | పింజరా, గోటి | Cage |
चमत्कार | आश्चर्य, करिश्मा | అద్భుతం, మహిమ | Miracle |
आदेश | हुक्म, आज्ञा | ఆదేశం, శాసనం | Order, Command |
सभा | दरबार, बैठक | సభ, సమావేశం | Assembly, Meeting |
परीक्षा | जाँच, परख | పరీక్ష, పరిశీలన | Examination, Test |
साहस | हिम्मत, वीरता | ధైర్యం, శౌర్యం | Courage, Bravery |
न्याय | इन्साफ, उचित फ़ैसला | న్యాయం, తీర్పు | Justice, Fair Decision |
चुनौती | कठिन कार्य, सामना | సవాల్, పరీక్ష | Challenge |
उपाय | हल, समाधान | పరిష్కారం, మార్గం | Solution, Remedy |
सम्मान | इज्ज़त, प्रतिष्ठा | గౌరవం, మర్యాద | Respect, Honor |
धैर्य | सहनशीलता, संयम | సహనం, ఓర్పు | Patience, Endurance |
दंड | सज़ा, दंडना | శిక్ష, అపరాధ బాద్యత | Punishment |
प्रेरणा | उत्साह, सीख | ప్రేరణ, ఉత్సాహం | Inspiration, Motivation |
पराक्रम | वीरता, शक्ति | శౌర్యం, శక్తి | Valor, Strength |
सत्य | सच, यथार्थ | నిజం, సత్యం | Truth, Reality |
विश्वास | भरोसा, आस्था | నమ్మకం, విశ్వాసం | Faith, Trust |
परिश्रम | मेहनत, उद्योग | కష్టం, శ్రమ | Hard Work, Effort |
बुद्धिमान बालक का सारांश –
यह कहानी मगध की राजधानी पाटलिपुत्र के राजदरबार की है, जहाँ सम्राट महापद्मानंद ने एक अनोखी चुनौती दी कि बिना ताला तोड़े और बिना पिंजरा खोले उसमें बंद सिंह को गायब करना होगा। सभी दरबारी इस असंभव कार्य को देखकर हैरान थे। तभी एक बालक चंद्र ने आगे बढ़कर इस चुनौती को स्वीकार किया। उसकी बुद्धिमत्ता से प्रभावित होकर सम्राट ने उसे प्रयास करने की अनुमति दी। चंद्र ने पिंजरे के चारों ओर आग जलाने का सुझाव दिया, जिससे सिंह धीरे-धीरे पिघलकर गायब हो गया। दरअसल, वह सिंह मोम का बना हुआ था, जिसे चंद्र ने अपनी सूझबूझ से पहचान लिया। इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि कठिन से कठिन समस्या का समाधान भी बुद्धि और विवेक से संभव है।
प्रश्न
- सिंह किससे बना हुआ था?
उत्तर – सिंह मोम से बना हुआ था।
- बालक चंद्र ने सिंह को कैसे गायब किया?
उत्तर – बालक चंद्र ने अपनी बुद्धिमत्ता का प्रयोग करके सम्राट से पिंजरे के चारों ओर आग जलवाने को कहा। आग की गर्मी से मोम का सिंह धीरे-धीरे पिघल गया और गायब हो गया।
- इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कठिन से कठिन समस्या का समाधान बुद्धि और तर्कशीलता से निकाला जा सकता है। धैर्य, आत्मविश्वास और विवेक का प्रयोग कर कोई भी चुनौती को पार किया जा सकता है।
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए –
प्रश्न – सिंह किससे बना हुआ था?
उत्तर – सिंह मोम का बना हुआ था।
प्रश्न – सम्राट महापद्मानंद ने क्या चुनौती दी थी?
उत्तर – सम्राट महापद्मानंद ने बिना ताला तोड़े और पिंजरा खोले सिंह को गायब करने की चुनौती दी थी।
प्रश्न – बालक चंद्र ने चुनौती स्वीकार की या नहीं?
उत्तर – हाँ, बालक चंद्र ने चुनौती स्वीकार की।
प्रश्न – चंद्र ने सिंह को कैसे गायब किया?
उत्तर – चंद्र ने पिंजरे के चारों ओर आग जलवाकर मोम के सिंह को पिघला दिया।
प्रश्न – चंद्र कौन था?
उत्तर – चंद्र एक बुद्धिमान और साहसी बालक था।
प्रश्न – सभा में कौन-कौन उपस्थित थे?
उत्तर – सभा में सम्राट, महामंत्री, सभासद, नागरिक, और बालक चंद्र उपस्थित थे।
प्रश्न – पिंजरे का ताला क्यों नहीं खोला गया?
उत्तर – चुनौती थी कि बिना ताला तोड़े सिंह को गायब करना होगा।
प्रश्न – इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर – हमें सिखाया गया कि बुद्धि से हर समस्या का समाधान संभव है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए –
प्रश्न – बालक चंद्र ने कैसे साबित किया कि वह बुद्धिमान है?
उत्तर – जब दरबार में कोई भी चुनौती स्वीकार करने को तैयार नहीं था, तब चंद्र ने आगे बढ़कर अपनी बुद्धिमत्ता दिखाई। उसने पिंजरे के पास जाकर सिंह का निरीक्षण किया और फिर आग जलाकर मोम के सिंह को पिघला दिया।
प्रश्न – सम्राट ने यह चुनौती क्यों रखी थी?
उत्तर – यह चुनौती मगध राज्य के बुद्धिमानों की परीक्षा लेने और पड़ोसी राज्य की चुनौती का उत्तर देने के लिए रखी गई थी। इससे यह साबित करना था कि मगध में प्रतिभाशाली लोग रहते हैं।
प्रश्न – दरबारियों की प्रतिक्रिया क्या थी जब बालक चंद्र ने चुनौती स्वीकार की?
उत्तर – दरबारी पहले तो चौंक गए और इसे असंभव मानने लगे, लेकिन जब चंद्र ने अपनी सूझबूझ से कार्य पूरा किया, तो वे आश्चर्यचकित रह गए और उसकी प्रशंसा करने लगे।
प्रश्न – महामंत्री ने बालक को रोकने की कोशिश क्यों की?
उत्तर – महामंत्री को लगा कि यह कार्य एक बच्चे के बस का नहीं है, इसलिए उन्होंने चंद्र को हतोत्साहित करने की कोशिश की।
प्रश्न – सम्राट ने बालक चंद्र को क्या इनाम दिया?
उत्तर – सम्राट चंद्र की बुद्धिमानी से प्रभावित हुए और उसकी सराहना की, हालांकि इनाम का विशेष उल्लेख नहीं किया गया है।