अपने स्कूल को एक उपहार
ऋतु भूषण
अपने पुराने स्कूल में वह एक मेधावी छात्र रहा था। पिछले पाँच वर्ष से वह हर वर्ष, कक्षा में सबसे आगे था। उसे कहानियों की किताबें पढ़ने का शौक़ था। अतः उसकी अंग्रेज़ी और हिंदी बहुत अच्छी थी। उसे सामान्य ज्ञान की पुस्तकें पढ़ना भी बहुत पसंद था और इससे उसका विज्ञान और इतिहास का ज्ञान भी विकसित हो गया। गणित का तो वह जादूगर था ही। अध्यापक के बोर्ड पर पूरा प्रश्न लिखने से पूर्व ही वह उसका उत्तर बताने के लिए अधीर हो हाथ उठा देता।
पुराने स्कूल में उसके बहुत सारे मित्र थे और सभी अध्यापक भी उसे पसंद किया करते थे। वह सब से खुशी-खुशी मिलता और मुस्कुराकर ‘हैलो’ कहता। जब भी कोई कठिनाई में होता तो राजू सबसे पहले उसकी मदद के लिए पहुँच जाता। उसके पुराने स्कूल में कभी किसी ने उसकी कमज़ोरी की ओर भी ध्यान नहीं दिया उसकी टाँगें बहुत पतली और दुर्बल थीं। उसके घुटनों में शक्ति नहीं थी और अधिक समय तक वे उसके शरीर का भार बर्दाश्त नहीं कर पाती थीं। अतः वह ज़्यादा देर तक खड़ा नहीं रह पाता था इसीलिए उसे खेलने की मनाही थी। जब भी उनके स्कूल में मैच होता, राजू अपने साथियों को खेलते हुए देखता और ज़ोर-शोर से उनका उत्साह बढ़ाता। जब उसके मित्र मैच हारने लगते तो राजू के प्रेरणादायक शब्दों से उनमें आशा का संचार होता और वे नयी स्फूर्ति से खेलने लगते।
सारी रात राजू अपने पुराने स्कूल के विषय में सोचता रहा और उसने सच्चे मन से प्रार्थना की कि उसका नया स्कूल भी उसके पुराने स्कूल जितना ही अच्छा हो। वैसे राजू यह बात भली-भाँति जानता था कि यदि स्वर्ग में भी स्कूल हो तो वह भी उसके पुराने स्कूल से ज़्यादा अच्छे तो नहीं हो सकता। उसके स्कूल छोड़ते समय सभी मित्र कितने रो रहे थे? उसके संगी-साथी, अध्यापकगण और यहाँ तक कि प्रधानाचार्य ने भी उसके पिता जी से उसे वहीं छोड जाने का अनुरोध किया था। लेकिन उनकी किसी बात पर ध्यान नहीं दिया जा सका। उसके पिता जी का तबादला हो गया था और अपने इकलौते बेटे को वहीं पर छोड़ जाने की बात वे सोच भी नहीं सकते थे।
अगले दिन प्रातः राजू जल्दी ही उठ गया और फटाफट उसने अपनी वरदी भी पहन ली। आइने में अपने को देखकर सोचने लगा कि वरदी तो अच्छी लग रही है। हो सकता है कि स्कूल भी अच्छा ही हो। लेकिन फिर भी उससे नाश्ता नहीं किया जा सका। माता-पिता समझ गए और उन्होंने ज़बरदस्ती नहीं की। पिता जी ने अपनी गाड़ी में स्कूल के फाटक तक छोड़ दिया और अपने बेटे को मुस्कुराकर विदा किया।
राजू धीरे-धीरे चलने लगा। क्योंकि वह तेज़ नहीं चल सकता था। उसकी मधुर मुस्कान को लोग घूरते रहे और कुछ ने तो उसकी टाँगों की ओर संकेत करके हँसते हुए उसका मज़ाक भी उड़ाया। कुछ क्षणों में ही पूरा मैदान और बरामदे कौतूहल से देखने और उसकी ओर इशारा करके हँसने वालों से भर गए।
जब पहला पीरियड आरंभ हुआ तो अध्यापक ने राजू को कक्षा में सबसे पीछे बिठा दिया। जब राजू से उसका परिचय पूछा गया तो उसने बताया कि वह एक गाँव के स्कूल से आया है। इस पर छात्रों को हँसी आई। मधुर स्वभाव वाले राजू ने इसके पहले गुस्से को कभी भी महसूस नहीं किया था। वह स्वयं को यही समझाता रहा कि अभी धैर्य रखने की ज़रूरत है, जल्दी ही सब कुछ ठीक हो जाएगा। लेकिन पूरे दिन हर पीरियड में यही व्यवहार दुहराया जाता रहा।
राजू तो किसी अलग ही मिट्टी का बना हुआ था। उसने यह प्रमाणित करने का निश्चय किया था कि गाँवों के स्कूल शहरों के बराबर ही अच्छे होते हैं। उस शाम राजू ने अपने माता-पिता को कुछ नहीं बताया। उनके जिज्ञासापूर्ण प्रश्नों पर मुस्कुराकर रह गया क्योंकि वह झूठ भी नहीं बोलना चाहता था।
अगला दिन, उससे और अगला, और फिर महीने का हर दिन उसके लिए ऐसा ही रहा। उसकी कक्षा में उसके हाथ उठाने पर भी उसे प्रश्नों का उत्तर नहीं देने दिया गया। उसका कोई मित्र भी नहीं बन पाया था। आधी छुट्टी में जब बाक़ी सभी लड़के खेलने जाते तो वह कक्षा में ही बैठा रहता। अब तक पूरा स्कूल जान गया था कि राजू एक गँवार लड़का है और उसे अपने गाँव के स्कूल का बड़ा घमंड है।
आख़िरकार राजू ने इस स्थिति से निबटने के लिए बड़ी चतुराई से एक योजना बनाई। कक्षा के अध्यापकों द्वारा प्रश्न पूछे जाने पर उसने हाथ उठाना ही बंद कर दिया। परिणामस्वरूप बहुत शीघ्र ही अध्यापकों और छात्रों ने उस पर ध्यान देना बंद कर दिया। राजू यह जानता था कि एक महीने के बाद उसकी वार्षिक परीक्षा होने वाली है। इसलिए उसने घर पर अधिक परिश्रम किया- आख़िर उसे नए स्कूल के समक्ष प्रमाणित करना था कि उसका पुराना गाँव का स्कूल कोई कम नहीं था।
सबने मान लिया था कि राजू को तो फेल होना ही है। जैसे-जैसे समय पास आता गया, सभी लड़के पढ़ने में व्यस्त होते गए पर राजू को किताबें लिए देखकर उस पर हँसने और मज़ाक उड़ाने का समय फिर भी निकाल ही लेते। राजू अब बहुत धैर्यवान हो गया था और चुपचाप मन में मुस्कुराता हुआ अपनी पढ़ाई करता रहा। एक सप्ताह में ही वार्षिक परीक्षा समाप्त हो गई। राजू दो सप्ताह की छुट्टी के लिए गाँव वापस गया। उसके बाद ही परीक्षा परिणाम निकलना था।
परिणाम निकलने के पहले दिन राजू लौट आया और अगले दिन पूरे आत्मविश्वास से अपने पिता के साथ परीक्षा फल देखने गया। एक बार फिर वह कक्षा में प्रथम आया था। उसके पिता जी खुश थे लेकिन राजू के हर्ष की तो सीमा ही नहीं थी। प्रथम आने पर वह इतना प्रसन्न कभी नहीं हुआ था, क्योंकि अब उसने अपने स्कूल को सुंदर और समुचित उपहार समर्पित किया है।
हिंदी शब्द | हिंदी में अर्थ | तेलुगु में अर्थ | अंग्रेज़ी में अर्थ |
मेधावी | प्रतिभाशाली, होशियार | ప్రతిభాశాలి, మేధావి | Intelligent, Talented |
शौक़ | रुचि, लगन | అభిరుచి, ఆసక్తి | Hobby, Interest |
सामान्य ज्ञान | सामान्य सूचना, जानकारी | సాధారణ జ్ఞానం | General Knowledge |
विकसित | उन्नत, प्रगतिशील | అభివృద్ధి చెందిన | Developed, Advanced |
जादूगर | चमत्कारी, विलक्षण | మాంత్రికుడు | Magician, Genius |
अधीर | व्याकुल, आतुर | అసహనం, ఆత్రుత | Impatient, Eager |
प्रेरणादायक | उत्साहवर्धक, प्रेरक | ప్రేరణాత్మక | Inspirational |
उत्साह | उमंग, जोश | ఉత్సాహం | Enthusiasm |
वरदी | पोशाक, गणवेश | యూనిఫాం | Uniform |
मजाक | हंसी-ठिठोली, परिहास | విందు, పరిహాసం | Joke, Mockery |
कौतूहल | जिज्ञासा, अचरज | ఆసక్తి, ఆశ్చర్యం | Curiosity, Excitement |
गंभीर | संजीदा, विचारशील | గంభీరమైన | Serious, Thoughtful |
चतुराई | होशियारी, समझदारी | తెలివితేటలు | Cleverness, Smartness |
परिणाम | नतीजा, निष्कर्ष | ఫలితం | Result, Outcome |
धैर्य | सहनशीलता, संयम | ఓర్పు, సహనం | Patience, Perseverance |
प्रतिभा | कौशल, योग्यता | ప్రతిభ, నైపుణ్యం | Talent, Ability |
अनुभव | तजुर्बा, जानकारी | అనుభవం | Experience |
स्वागत | अभिनंदन, आदर | స్వాగతం | Welcome, Reception |
हर्ष | आनंद, खुशी | ఆనందం, సంతోషం | Joy, Happiness |
विद्यालय | पाठशाला, स्कूल | పాఠశాల, విద్యాలయం | School |
अध्यापक | शिक्षक, गुरु | ఉపాధ్యాయుడు, గురువు | Teacher |
विद्यार्थी | छात्र, शिष्य | విద్యార్థి, శిష్యుడు | Student |
संस्कार | परंपरा, रीति-रिवाज | సంప్రదాయం, ఆచారం | Tradition, Culture |
आशा | उम्मीद, विश्वास | ఆశ, నమ్మకం | Hope, Expectation |
साहस | हिम्मत, वीरता | ధైర్యం, శౌర్యం | Courage, Bravery |
सहायता | मदद, सहयोग | సహాయం, సహకారం | Help, Assistance |
सफलता | विजय, उपलब्धि | విజయం, విజయము | Success, Achievement |
परिश्रम | मेहनत, उद्यम | శ్రమ, కృషి | Hard Work, Effort |
प्रतियोगिता | मुकाबला, स्पर्धा | పోటీ, పోటీపట్టింపు | Competition |
सम्मान | इज्जत, आदर | గౌరవం, మర్యాద | Respect, Honor |
विनम्रता | नम्रता, शालीनता | వినయం, మర్యాద | Humility, Modesty |
सौंदर्य | खूबसूरती, सुंदरता | అందం, సౌందర్యం | Beauty |
दृढ़ता | मजबूती, संकल्प | दृढ़త, పట్టుదల | Determination, Firmness |
विचारशीलता | समझदारी, बुद्धिमत्ता | ఆలోచనాత్మకత, తెలివి | Thoughtfulness, Wisdom |
विचारधारा | दृष्टिकोण, सोच | ఆలోచన, సిద్ధాంతం | Ideology, Perspective |
आत्मनिर्भरता | स्वावलंबन, आत्मनिर्भरता | స్వీయాశ్రయం, స్వతంత్రత | Self-reliance, Independence |
संघर्ष | लड़ाई, प्रयास | పోరాటం, ప్రయత్నం | Struggle, Effort |
न्याय | इंसाफ, विधि | న్యాయం, ధర్మం | Justice, Fairness |
प्रेरणा | उत्साह, उत्प्रेरणा | ప్రేరణ, ఉత్తేజం | Inspiration, Motivation |
पाठ का सार
राजू अपने पुराने स्कूल में एक मेधावी छात्र था, जिसे पढ़ाई और ज्ञान अर्जित करने का बहुत शौक था। वह गणित में तेज़ था और सभी शिक्षक और मित्र उससे प्रेम करते थे। हालाँकि उसकी टाँगें दुर्बल थीं, फिर भी वह अपने साथियों का उत्साह बढ़ाता था।
लेकिन नए स्कूल में उसे गाँव से आने के कारण अपमान और तिरस्कार सहना पड़ा। छात्र उसका मज़ाक उड़ाते थे और अध्यापक उसे पीछे बैठाते थे। राजू ने धैर्य से काम लिया और बिना किसी को बताए परीक्षा की तैयारी में जुट गया। परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर वह कक्षा में प्रथम आया, जिससे सभी चकित रह गए। यह उसकी मेहनत, आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय का परिणाम था, जिसने सिद्ध कर दिया कि गाँव के स्कूल भी किसी से कम नहीं होते।
प्रश्न
- राजू को उसका पुराना स्कूल कैसा लगता था?
उत्तर – राजू को उसका पुराना स्कूल अत्यंत प्रिय था। वहाँ सभी शिक्षक और छात्र उसे पसंद करते थे। उसे वहाँ पढ़ाई का अच्छा माहौल मिला था, और सभी मित्र उसके साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करते थे।
- राजू के प्रति नए स्कूल के साथियों का व्यवहार कैसा था?
उत्तर – नए स्कूल में राजू के साथियों ने उसे गाँव से आने के कारण नीचा दिखाने की कोशिश की। वे उसका मज़ाक उड़ाते, उसकी कमजोर टाँगों पर हँसते और उसे अपमानित करते थे। शिक्षक भी उसे अनदेखा करते थे और उसे पीछे बैठा देते थे।
- राजू ने अपने स्कूल को उपहार कैसे दिया?
उत्तर – राजू ने मेहनत और धैर्य से पढ़ाई कर परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया था। उसने यह साबित कर दिया कि गाँव का स्कूल किसी से कम नहीं होता, और यही उसकी ओर से अपने स्कूल के लिए सबसे बड़ा उपहार था।
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक पंक्ति में दीजिए –
प्रश्न – राजू अपने पुराने स्कूल में कैसा छात्र था?
उत्तर – वह एक मेधावी और सबसे आगे रहने वाला छात्र था।
प्रश्न – राजू को कौन-कौन सी किताबें पढ़ने का शौक था?
उत्तर – उसे कहानियों और सामान्य ज्ञान की पुस्तकें पढ़ने का शौक था।
प्रश्न – राजू की गणित में क्या विशेषता थी?
उत्तर – वह गणित में जादूगर था और अध्यापक के प्रश्न पूछने से पहले ही उत्तर दे देता था।
प्रश्न – राजू के नए स्कूल के बच्चे उसका मज़ाक क्यों उड़ाते थे?
उत्तर – राजू के नए स्कूल के बच्चे उसका मज़ाक उड़ाते थे क्योंकि वह गाँव के स्कूल से आया था और उसकी टाँगें कमजोर थीं।
प्रश्न – राजू ने अपने माता-पिता को स्कूल में हो रही परेशानियों के बारे में क्यों नहीं बताया?
उत्तर – राजू ने अपने माता-पिता को स्कूल में हो रही परेशानियों के बारे में नहीं बताया क्योंकि वह झूठ नहीं बोलना चाहता था और सब ठीक होने की उम्मीद कर रहा था।
प्रश्न – राजू ने अपने सहपाठियों और अध्यापकों की उपेक्षा से कैसे निपटा?
उत्तर – उसने हाथ उठाना बंद कर दिया और चुपचाप मेहनत से पढ़ाई करने लगा।
प्रश्न – राजू ने परीक्षा में क्या उपलब्धि हासिल की?
उत्तर – उसने कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
प्रश्न – राजू को अपने नए स्कूल को क्या साबित करना था?
उत्तर – राजू को अपने नए स्कूल में यह साबित करना था कि गाँव का स्कूल भी शहर के स्कूलों जितना ही अच्छा होता है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन पंक्तियों में दीजिए –
प्रश्न – राजू अपने पुराने स्कूल में सभी को क्यों पसंद था?
उत्तर – राजू एक होशियार और मददगार छात्र था। वह हर किसी से खुशी-खुशी मिलता और कठिनाई में दूसरों की सहायता करता था। इसलिए, उसके सभी मित्र और अध्यापक उसे पसंद करते थे।
प्रश्न – राजू के नए स्कूल के छात्र उसके साथ कैसा व्यवहार करते थे?
उत्तर – नए स्कूल में छात्र उसकी कमजोर टाँगों पर हँसते और उसे गँवार कहकर चिढ़ाते थे। वे उसकी उपेक्षा करते और उसे नीचा दिखाने की कोशिश करते थे।
प्रश्न – राजू ने अपने नए स्कूल में खुद को साबित करने के लिए क्या योजना बनाई?
उत्तर – उसने कक्षा में प्रश्नों के उत्तर देना बंद कर दिया ताकि लोग उसकी ओर ध्यान न दें। इसके बाद, उसने घर पर कठिन परिश्रम किया और परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया।
प्रश्न – राजू अपने परीक्षा परिणाम से इतना खुश क्यों था?
उत्तर – क्योंकि उसने अपनी मेहनत से यह साबित कर दिया कि गाँव का स्कूल किसी से कम नहीं था। यह उसकी सबसे बड़ी जीत थी।