Telangana, Class X, Sugandha -02, Hindi Text Book, Ch. 01, Barasate Baadal, Sumitranandan Pant, The Best Solutions,बरसते बादल (कविता) सुमित्रानंदन पंत

प्रश्न

  1. मीठे गीत कौन गाती है?

उत्तर – मीठे गीत कोयल गाती है।

  1. कोयल किसके लिए पानी माँगती है?

उत्तर – कोयल प्यासी धरती के लिए पानी माँगती है।

  1. बादल प्रकृति की शोभा कैसे बढ़ाते हैं?

उत्तर – बादल वर्षा करके प्रकृति की शोभा बढ़ाते हैं।

प्रकृति के प्रति काव्य रचनाओं के प्रोत्साहन के साथ-साथ सौंदर्यबोध पाना और मनोरंजन करना।

‘बरसते बादल’ कविता पाठ है। कविता भावनाओं को उदात्त बनाने के साथ-साथ सौंदर्यबोध को भी सजाती-सँवारती है। प्रस्तुत कविता नाद (ध्वनि) के साथ गेय योग्य है।

प्रकृति के बेजोड़ कवि माने जाने वाले सुमित्रानंदन पंत का जन्म सन् 1900 में अल्मोड़ा में हुआ। साहित्य लेखन के लिए इन्हें ‘साहित्य अकादमी’, ‘सोवियत रूस’ और ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ दिया गया। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं- वीणा, ग्रंथि, पल्लव, गुंजन, युगांत, ग्राम्या, स्वर्णकिरण, कला और बूढ़ा चाँद तथा चिदंबरा आदि। इन्हें चिदंबरा काव्य के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनका निधन सन् 1977 में हुआ।

विषय प्रवेश :

वर्षा ऋतु हमेशा से सबकी प्रिय ऋतु रही है। वर्षा के समय प्रकृति की सुंदरता देखने लायक़ होती है। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और मनुष्य खुशी से झूम उठते हैं। इसी सौंदर्य का वर्णन यहाँ प्रस्तुत किया गया है।

बरसते बादल

झम-झम-झम-झम मेघ बरसते हैं सावन के,

छम-छम-छम गिरती बूँदें तरुओं से छन के।

चम चम बिजली चमक रही रे उर में घन के,

थम-थम दिन के तम में सपने जगते मन के॥  

दादुर टर-टर करते झिल्ली बजती झन-झन,

‘म्यव-म्यव’ रे मोर ‘पीउ’ ‘पीउ’ चातक के गण।

उड़ते सोन बलाक, आर्द-सुख से कर क्रंदन,

घुमड़-घुमड़ गिर मेघ गगन में भरते गर्जन॥  

रिमझिम रिमझिम क्या कुछ कहते बूँदों के स्वर,

रोम सिहर उठते छूते वे भीतर अंतर।

धाराओं पर धाराएँ झरती धरती पर,

रज के कण-कण में तृण-तृण को पुलकावलि भर॥  

पकड़ वारि की धार झूलता है मेरा मन,

आओ रे सब मुझे घेर कर गाओ सावन।

इंद्रधनुष के झूले में झूलें मिल सब जन,

फिर-फिर आए जीवन में सावन मनभावन॥  

– सुमित्रानंदन पंत

शब्द

हिंदी अर्थ

तेलुगु अर्थ

अंग्रेज़ी अर्थ

झम-झम

बारिश की तेज़ आवाज़

జల్లు జల్లు శబ్దం

Sound of heavy rain

छम-छम

बूँदों के गिरने की मधुर ध्वनि

చినుకు చినుకు శబ్దం

Soft sound of raindrops

तरु

वृक्ष

వృక్షం

Tree

घन

बादल

మేఘం

Cloud

तम

अंधकार

చీకటి

Darkness

दादुर

मेंढक

కప్ప

Frog

झिल्ली

झींगुर (एक कीट जो संगीतमय ध्वनि निकालता है)

జీరి

Cricket (insect)

बलाक

सारस पक्षी

కొంగ

Crane

आर्द

गीला

తడి

Wet

क्रंदन

रोना या जोर से चिल्लाना

రోదనం

Crying/Lamenting

घुमड़-घुमड़

बादलों का गरजना

మేఘాల గర్జన

Roaring of clouds

रिमझिम

हल्की-हल्की वर्षा

చినుకు చినుకు వర్షం

Light drizzle

रोम सिहरना

रोमांचित होना

రోమాలు నిక్కబొడుచుకోవడం

Goosebumps

तृण

घास

గడ్డి

Grass

पुलकावलि

आनंद व रोमांच की अनुभूति

ఉల్లాసం

Ecstasy

वारि

पानी

నీరు

Water

इंद्रधनुष

सात रंगों का धनुषाकार प्रकाश

ఇంద్రధనస్సు

Rainbow          

कण-कण

बहुत छोटे-छोटे टुकड़े, परमाणु, कण

కణం, చిన్న చిన్న దాణాలు

Particle, Tiny specks, Atom

यह कविता वर्षा ऋतु के सौंदर्य और उसके प्राकृतिक प्रभावों का वर्णन करती है। वर्षा की झमझम आवाज़, वृक्षों से टपकती बूँदें, बिजली की चमक और बादलों की गर्जना—इन सभी का मनमोहक चित्रण किया गया है। मेंढकों की टर्राहट, झींगुरों की झनझनाहट और मोर-चातक के स्वर, वर्षा ऋतु की संगीतमयता को दर्शाते हैं।
बारिश की बूँदें धरती को सराबोर कर देती हैं, जिससे हर कण में ताजगी और उत्साह भर जाता है। अंत में कवि वर्षा का आनंद लेते हुए सभी को सावन के उल्लास में झूमने और जीवन में इस आनंदमयी ऋतु के बार-बार आने की कामना करता है।

प्रश्न

  1. मेघ, बिजली और बूँदों का वर्णन यहाँ कैसे किया गया है?

उत्तर – इस कविता में बादलों की गर्जना, बिजली की चमक और वर्षा की संगीतमय बूँदों का अत्यंत जीवंत वर्णन किया गया है। बादलों के लिए झम-झम और घुमड़-घुमड़ ध्वनि प्रभाव का वर्णन है, बिजली की चमक को ‘चम चम’ ध्वनि के माध्यम से दर्शाया गया है। वर्षा की हल्की-हल्की गिरती बूँदों की ध्वनि को ‘रिमझिम रिमझिम’ के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो मानो कुछ कहना चाहती हैं।

  1. प्रकृति की कौन-कौन सी चीजें मन को छू लेती हैं?

उत्तर – कविता में प्रकृति के विभिन्न तत्त्व, जैसे – बारिश की बूँदें, बादलों की गड़गड़ाहट, बिजली की चमक, पक्षियों की ध्वनियाँ, उड़ते सारस, धरती की सौंधी महक और इंद्रधनुष सब मिलकर मन को छू लेते हैं। ये सभी दृश्य और ध्वनियाँ मिलकर एक संगीतमय, आनंदमय और जीवंत वर्षा ऋतु का अनुभव कराती हैं।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया

(अ) घने बादलों का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर – घने बादल आकाश में झम-झम बरसते हुए सावन की मधुर धुन गा रहे हैं। वे घुमड़-घुमड़ कर पूरे गगन में भर गए हैं और अपनी गंभीर गर्जना से धरती को वर्षा का संदेश दे रहे हैं। इन बादलों के गर्भ में बिजली चम-चम कर रही है, मानो आकाश में कोई दीप जल उठा हो। इस बरसते बादल के सौन्दर्य से अभिभूत होकर मेंढकों की टर-टर, झींगुरों की झन-झन, मोरों की म्यव-म्यव, और चातक की पीउ-पीउ की ध्वनि जैसे एक संपूर्ण प्रकृति का संगीत रचती हैं। उनकी बरसात से हरियाली खिल उठती है, मिट्टी की सुगंध मन मोह लेती है और अंततः इंद्रधनुष धरती और आकाश के मिलन का सेतु बन जाता है।

(आ) वाक्य उचित क्रम में लिखिए।

  1. हैं झम-झम बरसते झम-झम मेघ के सावन।

उत्तर – सावन के मेघ झम-झम झम-झम बरसते हैं।

  1. गगन में गर्जन घुमड़-घुमड़ गिर भरते मेघ।

उत्तर – मेघ गगन में घुमड़-घुमड़ गिर गर्जन भरते।

  1. धरती पर झरती धाराएँ पर धाराओं।

उत्तर – धरती पर धाराओं पर धाराएँ झरती।

 

(इ) नीचे दिए गए भाव की पंक्तियाँ लिखिए।

  1. बादलों के घोर अंधकार के बीच बिजली चमक रही है और मन दिन में ही सपने देखने लगा है।

उत्तर – “चम चम बिजली चमक रही रे उर में घन के,

थम-थम दिन के तम में सपने जगते मन के॥”

  1. कवि चाहता है कि जीवन में सावन बार-बार आए और सब मिलकर झूलों में झूलें।

उत्तर – “इंद्रधनुष के झूले में झूलें मिल सब जन,

फिर-फिर आए जीवन में सावन मनभावन॥”

 

(ई) पद्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

बंद किए हैं बादल ने अंबर के दरवाजे सारे,

नहीं नज़र आता है सूरज ना कहीं चाँद-सितारे।

ऐसा मौसम देखकर, चिड़ियों ने भी पंख पसारे,

हो प्रसन्न धरती के वासी, नभ की ओर निहारे॥  

  1. किसने अंबर के दरवाज़े बंद कर दिए हैं?

उत्तर – बादलों ने अंबर या आकाश के दरवाजे बंद कर दिए हैं, जिससे सूरज, चाँद और सितारे दिखाई नहीं दे रहे हैं।

  1. इस कविता का विषय क्या है?

उत्तर – इस कविता का विषय घने बादलों से ढका आकाश और वर्षा ऋतु का सुंदर दृश्य है। इसमें बताया गया है कि बादलों के कारण आकाश में अंधकार छा गया है, जिससे सूरज, चाँद और सितारे नजर नहीं आ रहे। इस दृश्य को देखकर चिड़ियाँ भी उड़ने लगी हैं, और धरती के लोग प्रसन्न होकर आकाश की ओर निहार रहे हैं। 

अभिव्यक्ति- सृजनात्मकता

(अ) वर्षा सभी प्राणियों के लिए जीवन का आधार है। कैसे?

उत्तर – वर्षा प्रकृति का वरदान है, जो पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह न केवल मनुष्यों के लिए बल्कि सभी जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों और संपूर्ण पर्यावरण के लिए आवश्यक है।

  1. पेड़-पौधों के लिए –

वर्षा का जल पौधों की वृद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक है।

यह भूमि की उर्वरता बनाए रखता है और फसलों को पोषण प्रदान करता है।

घने जंगलों और वनस्पतियों की हरियाली वर्षा पर निर्भर करती है।

  1. पशु-पक्षियों के लिए –

वर्षा जलाशयों, नदियों और झीलों को भरकर पशुओं के लिए जलस्रोत उपलब्ध कराती है।

यह पर्यावरण में ठंडक और नमी बनाए रखती है, जिससे पशु-पक्षी गर्मी से राहत पाते हैं।

कई पक्षी और जीव-जंतु वर्षा ऋतु में प्रजनन करते हैं, जिससे उनकी संख्या बढ़ती है।

  1. मनुष्यों के लिए –

वर्षा से ही कृषि संभव होती है, जिससे अन्न, फल और सब्ज़ियाँ प्राप्त होती हैं।

यह जल स्रोतों को पुनर्भरण करती है, जिससे पीने के लिए स्वच्छ पानी उपलब्ध होता है।

वर्षा का पानी नदियों और झीलों को भरता है, जिससे जलविद्युत उत्पादन में सहायता मिलती है।

यह गर्मी को कम करके मौसम को सुहावना बनाती है।

  1. पर्यावरण और पारिस्थितिकी (Ecology) के लिए –

वर्षा से भूजल स्तर बढ़ता है, जिससे कुएँ, तालाब और झीलें जल से भर जाती हैं।

यह वायुमंडल को शुद्ध करती है और धूल-कणों को धोकर वायु को स्वच्छ बनाती है।

वर्षा के कारण नदियाँ, समुद्र और झरने जल से भरते हैं, जिससे जलीय जीवों का जीवन सुरक्षित रहता है।

 

(आ) ‘बरसते बादल’ कविता में प्रकृति का सुंदर चित्रण है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर – इस कविता में वर्षा ऋतु के मनोहर दृश्य को अत्यंत सुंदरता से चित्रित किया गया है। घने बादल आकाश में उमड़-घुमड़कर छा जाते हैं और झम-झम बरसते हुए सावन के आगमन की घोषणा करते हैं। वर्षा की छम-छम गिरती बूँदें जब वृक्षों से छनकर धरती पर गिरती हैं, तो यह दृश्य अद्भुत प्रतीत होता है। इसके साथ ही आकाश में चमचमाती बिजली काले बादलों के बीच चमकती है, जिससे वातावरण में एक रोमांचक सुंदरता उत्पन्न होती है। वर्षा के इस मौसम में पक्षियों और जीव-जंतुओं की चहचहाहट से प्रकृति की सरगम गूँज उठती है। मेंढकों की टर-टर, झींगुरों की झन-झन, मोरों की म्यव-म्यव और चातक पक्षियों की पीउ-पीउ की ध्वनि वर्षा की खुशी को दर्शाती है। धरती पर वर्षा की धाराएँ बहने लगती हैं, जिससे मिट्टी की सुगंध चारों ओर फैल जाती है। सूखी धरती फिर से हरी-भरी हो जाती है, खेतों में फसलें लहलहाने लगती हैं और नदियाँ जल से भर जाती हैं। इस मौसम की खूबसूरती को और अधिक मनमोहक बनाता है इंद्रधनुष, जो आकाश में सात रंगों के झूले की तरह दिखाई देता है।

(इ) प्रकृति सौंदर्य पर एक छोटी-सी कविता लिखिए।

उत्तर – हरियाली की चादर ओढ़े, मुस्काए धरती प्यारी,

कल-कल करती नदियाँ गाएँ, गीत सुरीले न्यारी।

सूरज की किरणें चमक रहीं, सोना बरसे खेतों में,

चाँदनी रातें झिलमिल करतीं, दीप जलें हैं आँगन में।

कोयल की मीठी तानें सुन, पवन चले सिर उठाए,

फूलों की खुशबू महके हा ओर, तितली रस में नहाए।

घने बादलों की छाँव तले, सावन में झूले डाले,

इंद्रधनुष के रंग बिखरते, सपने नयन सँभाले।

प्रकृति का यह अनुपम सौंदर्य, मन को खूब भाए,

हरियाली का संग बना रहे, यह जग सदा मुस्काए!

(ई) ‘फिर-फिर आए जीवन में सावन मनभावन’ ऐसा क्यों कहा गया होगा? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – सावन का महीना खुशहाली, प्रेम, उमंग और नई आशाओं का प्रतीक माना जाता है। वर्षा ऋतु के आगमन से चारों ओर हरियाली छा जाती है, नदियाँ-तालाब जल से भर जाते हैं, पेड़-पौधे नई ऊर्जा से लहलहा उठते हैं और संपूर्ण प्रकृति रमणीय हो जाती है। इस मौसम में झूले, त्योहार, गीत-संगीत, और उत्सवों की छटा चारों ओर बिखर जाती है। यह प्रकृति को नया जीवन देता है। खुशहाली और आनंद का संचार करता है। प्रेम और उत्साह का प्रतीक बनता है। इसलिए कवि चाहते हैं कि सावन बार-बार जीवन में लौटकर आए।

भाषा की बात

(अ) तरु, गगन, घन (पर्याय शब्द लिखिए।)

तरु – पेड़, पादप, वृक्ष

गगन – नभ, अंबर, आकाश

घन – बादल, वारिद, पयोधर

(आ) मेघ, तरु (वाक्य प्रयोग कीजिए।)

मेघ – आकाश में काले-काले मेघ छाए हुए हैं।

तरु – हमें तरु रक्षा हेतु सख्त कदम उठाने चाहिए।

(इ) इन्हें समझिए और सूचना के अनुसार कीजिए।

  1. बादल बरसते हैं। (रेखांकित शब्द का पद परिचय दीजिए।)

बादल – जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक।  

  1. पेड़-पौधे, पशु-पक्षी (समास पहचानिए।)

उत्तर – पेड़ और पौधे – द्वंद्व समास  

पशु और पक्षी– द्वंद्व समास  

(ई) शब्द-संक्षेप लिखिए।

  1. मन को भाने वाला – मनभावन
  2. मन को मोहने वाला – मनोहर

परियोजना कार्य

वर्षा, बादल, नदी, सागर, सूरज, चाँद, झरने आदि में किसी एक विषय पर प्रकृति वर्णन से जुड़ी कविता का संग्रह कीजिए। कक्षा में उसका प्रदर्शन कीजिए।

उत्तर – सहायतार्थ –

  1. मेघों की बारात

घने बादलों का दल आया,

घटा संग खुशबू ले आया।

झम-झम बूँदें गिरती जाएँ,

धरती का आँचल भीग जाए।

 

  1. नदिया का गीत

कल-कल करती बहती जाए,

पर्वत से मैदानों आए।

सबको जल से तृप्त करे,

हरियाली का रंग भरे।

 

  1. सूरज की किरणें

सुनहरी किरणें जब चमकें,

धरती सतरंगी सी दमकें।

सूरज जब मधुरिम मुस्काए,

सारा जग आलोकित हो जाए।

 

  1. चाँदनी रात

शीतल चाँद चमकता नभ में,

संग सितारे खेलें नभ में।

शीतलता का वंदन लाए,

अमृत रस सा जग में छाए।

 

  1. झरने का नृत्य

ऊँचे पर्वत से जब फूटे,

जलधारा संग राग छूटे।

कल-कल गाकर गाए गाने,

संग में झूमे सब अफसाने।

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

एक वाक्य प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1- सावन के आने पर मेघ कैसा व्यवहार करते हैं?

उत्तर- सावन के आने पर मेघ झम-झम बरसते हैं, गर्जना करते हैं और बिजली चमकाते हैं।

प्रश्न 2- वर्षा ऋतु में पक्षी और जीव-जंतु क्या करते हैं?

उत्तर- वर्षा ऋतु में मेंढक टर-टर करते हैं, झींगुर झन-झन की आवाज़ निकालते हैं, मोर नाचते हैं और चातक पक्षी पीउ-पीउ की ध्वनि निकालते हैं।

प्रश्न 3- कवि का मन सावन में कैसा अनुभव करता है?

उत्तर- कवि का मन सावन में झूम उठता है, वर्षा की धाराओं को पकड़कर झूलने की इच्छा करता है और आनंद से भर जाता है।

दो-तीन वाक्य प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1– वर्षा में प्रकृति का कौन-कौन सा सौंदर्य उभरकर आता है?

उत्तर- वर्षा में प्रकृति का सौंदर्य चारों ओर बिखर जाता है। घने काले बादल उमड़ते हैं, झमाझम बारिश होती है और बिजली चमकती है। पेड़-पौधे हरियाली से भर जाते हैं, पक्षी चहचहाने लगते हैं और धरती तृप्त हो जाती है।

प्रश्न 2– कवि ने वर्षा की बूदों को लेकर क्या भाव व्यक्त किए हैं?

उत्तर- कवि ने वर्षा की बूँदों को रिमझिम-रिमझिम स्वर में गाने वाली बताया है। जब वे धरती को छूती हैं, तो रोमांचित कर देती हैं और तृण-तृण में पुलक भर देती हैं। यह बारिश धरती और मन दोनों को सुकून देती है।

प्रश्न 3– कवि सावन के आने की कामना बार-बार क्यों करता है?

उत्तर- कवि सावन के आने की कामना इसलिए करता है क्योंकि यह ऋतु खुशहाली, हरियाली और आनंद का प्रतीक है। सावन में हर ओर हरियाली छा जाती है, पक्षी गाने लगते हैं, झूले पड़ते हैं और मन प्रसन्न हो जाता है। यह मौसम प्रेम, उत्सव और उमंग से भरा होता है, इसलिए कवि चाहता है कि सावन बार-बार आए।



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