Telangana, Class X, Sugandha -02, Hindi Text Book, Ch. 02, Eidgaah, Premchand, The Best Solutions, ईदगाह (कहानी) प्रेमचंद

  1. पथिकों को जलती दुपहर में सुख व आराम किससे मिलता है?

उत्तर – पथिकों को जलती दुपहर में सुख व आराम पेड़ों की छाया से मिलता है।

  1. खुशबू भरे फूल हमें क्या देते हैं?

उत्तर – खुशबू भरे फूल हमें सुगंध और नव फूलों की माला देते हैं।

  1. हम भी तो कुछ देना सीखें’ – कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा?

उत्तर – ‘हम भी तो कुछ देना सीखें’ – कवि ने यह कहा है क्योंकि वृक्ष निःस्वार्थ भाव से दूसरों को छाया, फल, फूल और शुद्ध हवा प्रदान करते रहते हैं। इसी तरह, हमें भी निःस्वार्थ भाव से दूसरों की भलाई के लिए सेवा कार्य और कुछ न कुछ दान अवश्य करते रहना चाहिए।

उद्देश्य

कहानी विधा से परिचित कराना। छात्रों में कहानी लेखन कला का विकास करना। उनमें त्याग, सद्भाव व विवेक जैसे संवेदनशील कर्त्तव्य बोध संबंधी गुणों का विकास करना।

विधा विशेष

‘कहानी’ शब्द ‘कह’ धातु के साथ ‘आनी’ कृत प्रत्यय जोड़ने से बना है। ‘कह’ का आशय ‘कहना’ से है। किसी घटना या बात का सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया जाना ही कहानी है।

लेखक परिचय – प्रेमचंद

प्रेमचंद का जन्म एक गरीब घराने में काशी में 31 जुलाई, 1880 को हुआ। इनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। इन्होंने ट्यूशन पढ़ाते हुए मैट्रिक तथा नौकरी करते हुए बी. ए. पास किया। इन्होंने लगभग एक दर्जन उपन्यास और लगभग तीन सौ कहानियों की रचना की। इन्हें ‘उपन्यास सम्राट’ भी कहा जाता है। इनकी कहानियाँ मानसरोवर शीर्षक से आठ खंडों में संकलित हैं। गोदान, गबन, सेवासदन, निर्मला, कर्मभूमि, रंगभूमि, कायाकल्प, प्रतिज्ञा, मंगलसूत्र आदि इनके प्रमुख उपन्यास हैं। इनकी प्रमुख कहानियों में पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, कफ़न आदि प्रमुख हैं। उनका निधन सन् 1936 में हुआ।

विषय प्रवेश

प्राचीन काल से ही नैतिक मूल्य भारतीय जीवन के प्रतिबिंब रहे हैं। इसका रूप हर भारतीय में समाया हुआ है। हम अपने बुज़ुर्गों (वयोवृद्ध) का बड़ा ध्यान रखते हैं। जैसे इस कहानी में दर्शाया गया है-

ईदगाह

रमज़ान के पूरे तीस रोज़ों के बाद आज ईद आई है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभात! वृक्षों पर कुछ अजीब हरियाली है। खेतों में कुछ अजीब रौनक़ है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कितना शीतल है! मानो संसार को ईद की बधाई दे रहा है ! ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं।

लड़के सबसे ज़्यादा प्रसन्न हैं। बार-बार जेब से खज़ाना निकालकर गिनते हैं। महमूद गिनता है, एक-दो, दस-बारह। उसके पास बारह पैसे हैं। मोहसिन के पास पंद्रह पैसे हैं। इनसे अनगिनत चीजें लाएँगे – खिलौने, मिठाइयाँ, बिगुल, गेंद और न जाने क्या- क्या …। और सबसे ज़्यादा प्रसन्न है हामिद। वह भोली सूरत का चार-पाँच साल का दुबला-पतला लड़का था। उसका पिता गत वर्ष हैज़े की भेंट हो गया और माँ न जाने क्यों पीली पड़ती गई और एक दिन वह भी परलोक सिधार गई। किसी को पता न चला कि आख़िर अचानक यह क्या हुआ।

अब हामिद अपनी दादी अमीना की गोदी में सोता है। दादी अम्मा हामिद से कहती है कि उसके अब्बाजान रुपये कमाने गए हैं। अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए बहुत सी अच्छी चीजें लाने गई हैं। आशा तो बड़ी चीज़ है। हामिद के पाँव में जूते नहीं हैं, सिर पर एक पुरानी टोपी है, जिसका गोटा काला पड़ गया है। फिर भी वह प्रसन्न है।

अभागिन अमीना अपनी कोठरी में बैठी रो रही है। आज ईद का दिन है और उसके घर में दाना तक नहीं है। लेकिन हामिद ! उसके अंदर प्रकाश है, बाहर आशा की किरण। हामिद भीतर जाकर दादी से कहता है- “तुम डरना नहीं अम्मा, मैं सबसे पहले आऊँगा। बिलकुल न डरना।

अमीना का दिल कचोट रहा है। गाँव के बच्चे अपने पिता के साथ जा रहे हैं। हामिद का अमीना के सिवा कौन है? भीड़ में बच्चा कहीं खो गया तो क्या होगा? तीन कोस चलेगा कैसे? पैरों में छाले पड़ जाएँगे। जूते भी तो नहीं हैं। वह थोड़ी दूर चलकर उसे गोदी ले लेगी, लेकिन यहाँ सेवइयाँ कौन पकाएगा? पैसे होते तो लौटते-लौटते सारी सामग्री जमा करके झटपट बना लेती। यहाँ तो चीजें जमा करते-करते घंटों लगेंगे।

गाँव से मेला चला। बच्चों के साथ हामिद जा रहा था। शहर का दामन आ गया। सड़क के दोनों ओर अमीरों के बगीचे हैं। बड़ी-बड़ी इमारतें – अदालत, कॉलेज-क्लब, घर आदि दिखाई देने लगे। ईदगाह जानेवालों की टोलियाँ नज़र आने लगीं। एक-से-एक भड़कीले वस्त्र पहने हुए हैं। सहसा ईदगाह नज़र आयी और उसी के पास ईद का मेला। नमाज़ पूरी होते ही सब बच्चे मिठाई और खिलौनों की दुकानों पर धावा बोल देते हैं। हामिद दूर खड़ा है। उसके पास केवल तीन पैसे हैं। मोहसिन भिश्ती खरीदता है, महमूद सिपाही, नूरे वकील और सम्मी धोबिन। हामिद खिलौनों को ललचाई आँखों से देखता है। वह अपने आपको समझाता है, “मिट्टी के तो हैं, गिरें तो चकनाचूर हो जाएँ।” फिर मिठाइयों की दुकानें आती हैं। किसी ने रेवड़ियाँ लीं, किसी ने गुलाबजामुन, किसी ने सोहन हलवा। मोहसिन कहता है, “हामिद, रेवड़ी ले ले, कितनी खुशबूदार है। ” हामिद ने कहा, “रखे रहो, क्या मेरे पास पैसे नहीं हैं?”

सम्मी बोला, “तीन ही पैसे तो हैं, तीन पैसे में क्या- क्या लोगे?” हामिद मौन रह गया।

मिठाइयों के बाद लोहे की चीज़ों की दुकानें आती हैं। कई चिमटे रखे हुए थे। हामिद को ख्याल आता है, दादी के पास चिमटा नहीं है। तवे से रोटियाँ उतारती हैं तो हाथ जल जाते हैं, अगर चिमटा ले जाकर दादी को दे दें, तो वह कितनी

प्रसन्न होंगी। फिर उनकी उँगलियाँ कभी नहीं जलेंगी। दादी अम्मा चिमटा देखते ही दौड़कर मेरे हाथ से ले लेंगी और कहेंगी- “मेरा बच्चा ! अम्मा के लिए चिमटा लाया है। हज़ारों दुआएँ देती रहेंगी। फिर पड़ोस की औरतों को दिखाएँगी। सारे गाँव में चर्चा होने लगेगी। हामिद चिमटा

लाया है। कितना अच्छा लड़का है। बड़ों की दुआएँ सीधे अल्लाह के दरबार में पहुँचती हैं और तुरंत सुनी जाती हैं। हामिद ने दुकानदार से पूछा, “यह चिमटा कितने का है?” छह पैसे क़ीमत सुनकर हामिद का दिल बैठ गया। हामिद ने कलेजा मज़बूत करके कहा, “तीन पैसे लोगे?” दुकानदार ने बुलाकर चिमटा दे दिया। हामिद ने उसे इस तरह कंधे पर रखा, मानो बंदूक हो और शान से अकड़ता हुआ संगियों के पास आया। दोस्तों ने मज़ाक किया, “यह चिमटा क्यों लाया पगले ! इसे क्या करेगा?”

घर आने पर अमीना हामिद की आवाज़ सुनते ही दौड़ी और उसे गोद में उठाकर प्यार करने लगीं। सहसा हाथ में चिमटा देखकर वह चौंकी।

“यह चिमटा कहाँ से लाया?”

“मैंने मोल लिया है अम्मा।”

“कितने पैसे में?”

“तीन पैसे दिये।”

अमीना ने अपने माथे पर हाथ रखा। वह अफ़सोस करती हुई, आह! भरती हुई बोली – “यह कैसा बेसमझ लड़का है कि दोपहर हुई, कुछ खाया न पिया। लाया क्या, चिमटा! सारे मेले में तुझे और कोई चीज़ न मिली, जो यह लोहे का चिमटा उठा लाया?”

हामिद ने अपराधी भाव से कहा, “तुम्हारी उँगलियाँ तवे से जल जाती थीं, यह मुझसे देखा न जाता था अम्मा ! इसलिए मैं इसे लिवा लाया।”

अमीना का क्रोध तुरंत स्नेह में बदल गया। यह मूक स्नेह था, मार्मिक प्रेम था जो रस और स्वाद से भरा। बच्चे में कितना त्याग, कितना सद्भाव और कितना विवेक है। दूसरों को खिलौने लेते और मिठाई खाते देखकर इसका मन कितना ललचाया होगा! वहाँ भी अपनी बुढ़िया दादी की याद बनी रही। अमीना का मन गदगद हो गया। आँचल फैलाकर हामिद को दुआएँ देती जातीं और आँसुओं की बड़ी-बड़ी बूँदें गिराती जाती थीं। हामिद इसका रहस्य क्या समझता !

 

शब्द

हिंदी अर्थ

तेलुगु अर्थ

English Meaning

मनोहर

सुंदर, आकर्षक

అందమైన, ఆకర్షణీయమైన

Beautiful, Attractive

रमज़ान

 

 

 

 

 

 

मुस्लिम समुदाय का पवित्र महीना जिसमें उपवास रखा जाता है

రమజాన్ – ముస్లింల పవిత్ర మాసం

Ramadan – Islamic holy month of fasting

रोज़ा

 

 

 

 

 

उपवास

ఉపవాసం

Fast (religious fasting)

भिश्ती

 

 

 

 

 

 

पानी पिलाने वाला व्यक्ति

నీరు తీసుకెళ్లే వ్యక్తి

Water carrier

गोटा

 

 

 

 

 

 

कपड़े की किनारी की सजावट

బట్టల అంచు అలంకరణ

Fabric border decoration

 

 

 

 

 

 

 

 

सुहावना

मनभावन, सुखद

మనోహరమైన, ఆనందదాయకమైన

Pleasant, Delightful

अजीब

अनोखा, विचित्र

వింతైన, ప్రత్యేకమైన

Strange, Unique

लालिमा

लाल रंग की छटा

ఎర్రటి వెలుగు

Reddish Glow

प्रभात

सुबह, सवेरा

ఉదయం

Morning

अल्लाह मियाँ

भगवान (इस्लाम धर्म में)

అల్లాహ్ దేవుడు

God (in Islam)

अभागिन

दुखी, दुर्भाग्यशाली

దురదృష్టవంతమైన, బాధితమైన

Unfortunate

कचोटना

दिल में टीस उठना

గుండె బాధ కలుగుట

To Feel Pain (Emotionally)

टोलियाँ

समूह

గుంపులు

Groups

भड़कीले

चमकीले, आकर्षक

ప్రకాశవంతమైన, ఆకర్షణీయమైన

Flashy, Bright

धावा बोलना

तेजी से आगे बढ़ना

దూసుకుపోవడం

To Rush, To Attack

ललचाई आँखें

इच्छापूर्ण दृष्टि

ఆశతో నిండిన చూపు

Greedy Eyes

चकनाचूर

टुकड़े-टुकड़े होना

ముక్కలు ముక్కలవడం

Shattered

रोटियाँ उतारना

पकाई गई रोटियाँ निकालना

చపాతీలు తీసే పని

To Take Off Roti from Tava

शान से

गर्व से, आत्मविश्वास से

గర్వంగా, విశ్వాసంతో

Proudly, Confidently

संगी

साथी, मित्र

స్నేహితుడు

Companion, Friend

मज़ाक करना

हँसी उड़ाना

ఆటపట్టించడం

To Make Fun Of

चौंकना

आश्चर्य होना, चकित होना

ఆశ్చర్యపడడం

To Be Surprised

 

कहानी का सार

रमज़ान के पूरे तीस रोज़ों के बाद ईद का दिन आता है। चारों ओर खुशी का माहौल है। बच्चे नए कपड़े पहनकर ईदगाह जाने के लिए उत्साहित हैं। लेकिन कहानी का नायक हामिद, जो केवल चार-पाँच साल का गरीब और माता-पिता के स्नेह से वंचित बालक है, उसकी स्थिति सबसे अलग है। उसके माता-पिता नहीं हैं, और वह अपनी दादी अमीना के साथ रहता है। अमीना बहुत गरीब है और उसके पास हामिद के लिए अच्छे कपड़े या जूते खरीदने के पैसे नहीं हैं। फिर भी हामिद बहुत खुश है और आशा से भरा हुआ है।

गाँव के सभी बच्चे अपने-अपने पिता के साथ ईदगाह जाते हैं। उनके पास पैसे हैं, वे मिठाइयाँ और खिलौने खरीद रहे हैं। हामिद के पास सिर्फ तीन पैसे हैं, लेकिन वह उन्हें सोच-समझकर खर्च करना चाहता है। रास्ते में वह मिठाइयों और खिलौनों की दुकानों को देखता है, लेकिन वह अपने पैसे किसी और चीज़ पर खर्च करने का निश्चय करता है। जब हामिद लोहे की चीज़ों की एक दुकान के पास जाता है, तो उसकी नज़र एक चिमटे पर पड़ती है। उसे याद आता है कि उसकी दादी अमीना तवे से रोटी उतारते समय अक्सर अपने हाथ जला लेती हैं। हामिद सोचता है कि अगर वह यह चिमटा खरीदकर दादी को दे दे, तो वह बहुत खुश होंगी और उनका हाथ भी नहीं जलेगा। वह अपने तीन पैसे देकर चिमटा खरीद लेता है। बाकी सभी बच्चे अपने-अपने खिलौने और मिठाइयाँ लेकर बहुत खुश हैं, लेकिन वे हामिद का मज़ाक उड़ाते हैं कि वह चिमटा लेकर आया है। हामिद को इस बात की कोई परवाह नहीं होती क्योंकि वह जानता है कि यह खिलौनों से कहीं अधिक उपयोगी चीज़ है। जब हामिद घर पहुँचता है और अपनी दादी को चिमटा देता है, तो वह पहले गुस्सा होती हैं कि उसने मिठाई और खिलौनों की जगह चिमटा क्यों लिया। लेकिन जब हामिद उन्हें समझाता है कि यह उनके लिए है ताकि उनका हाथ न जले, तो अमीना की आँखों में आँसू आ जाते हैं। वह भावविभोर होकर हामिद को गले लगा लेती हैं और उसे आशीर्वाद देती हैं।

प्रश्न

  1. ईद के दिन का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर – ईद का दिन खुशियों, उमंगों और उल्लास से भरा होता है। सुबह होते ही हर तरफ एक नई रौनक दिखाई देती है। सूरज की सुनहरी किरणें मानो धरती पर ईद की मुबारकबाद देने उतरती हैं। हरियाली से सजे खेत, खिले हुए फूल और ठंडी हवा मन को प्रसन्न कर देती है। लोग नए कपड़े पहनते हैं, घरों में स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं और बच्चे उत्साह से ईदगाह जाने की तैयारियाँ करते हैं। यह दिन सिर्फ उत्सव का नहीं, बल्कि प्रेम, भाईचारे और आपसी सौहार्द का प्रतीक होता है, जहाँ सभी एक-दूसरे की खुशियों में शामिल होते हैं।

  1. हामिद ग़रीब है फिर भी वह ईद के दिन अन्य लड़कों से अधिक प्रसन्न है, क्यों?

उत्तर – हामिद ग़रीब होने के बावजूद ईद के दिन अन्य लड़कों से अधिक प्रसन्न है क्योंकि उसके मन में आशा और संतोष की भावना है। उसे मेला घूमने की प्रबल इच्छा है। उसके पास अच्छे कपड़े, जूते, या अधिक पैसे नहीं हैं, फिर भी वह अपनी परिस्थिति से दुखी नहीं है। अपनी दादी अमीना से मिले तीन पैसों को बहुत महत्त्वपूर्ण मानता है। जब वह तीन पैसे से  अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदता है, तो उसे गर्व और खुशी महसूस होती है क्योंकि वह जानता है कि यह उनकी परेशानी को दूर करेगा।

  1. हामिद की खुशी का कारण क्या है?

उत्तर – हामिद की खुशी का कारण उसकी निःस्वार्थ भावना और संतोषी स्वभाव है। उसके पास अन्य बच्चों की तरह ज्यादा पैसे नहीं हैं, लेकिन वह अपनी दादी की जरूरत को सबसे पहले रखता है। जब वह मेले में खिलौने और मिठाइयाँ लेने की बजाय अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदता है, तो उसे इस बात की खुशी होती है कि अब उनकी उँगलियाँ रोटियाँ सेंकते समय तवे से नहीं जलेंगी। दादी की मदद करने और उनकी खुशी देखने का भाव ही हामिद के लिए सबसे बड़ी खुशी का कारण बन जाता है।

  1. हामिद चिमटा क्यों खरीदना चाहता था?

उत्तर – हामिद चिमटा खरीदना चाहता था क्योंकि उसने देखा था कि रोटियाँ सेंकते समय तवे से दादी की उँगलियाँ कभी-कभी जल जाया करती थीं। वह अपनी दादी की तकलीफ को दूर करना चाहता था, इसलिए खिलौनों और मिठाइयों की बजाय उसने अपने तीन पैसों से चिमटा खरीद लिया ताकि उसकी दादी आराम से रोटियाँ बना सकें और उनके हाथ न जलें।

  1. हामिद के हृदयस्पर्शी विचारों के प्रति दादी अम्मा की भावनाएँ कैसी थीं?

उत्तर – जब हामिद अपनी दादी अमीना के लिए चिमटा लेकर आया, तो पहले तो दादी हैरान रह गईं और सोचने लगीं कि वह मिठाइयों या खिलौनों की बजाय यह साधारण चीज़ क्यों लाया। लेकिन जब उन्हें एहसास हुआ कि हामिद ने उनके जलते हाथों की तकलीफ को महसूस करके यह चिमटा खरीदा है, तो उनका हृदय ममता और प्रेम से भर गया। उनकी आँखों में आँसू आ गए और उन्होंने हामिद को गले लगा लिया। दादी को हामिद के निःस्वार्थ प्रेम और समझदारी पर गर्व हुआ, और उन्होंने उसे ढेरों दुआएँ दीं।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया

(अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

  1. ईदगाह’ कहानी के कहानीकार कौन हैं? इनकी रचनाओं की विशेषता क्या है?

उत्तर – ‘ईदगाह’ कहानी के कहानीकार मुंशी प्रेमचंद जी हैं। इनकी रचनाओं की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

यथार्थवाद (Realism)

उनकी कहानियाँ और उपन्यास समाज की वास्तविकता को दर्शाते हैं। वे गरीबी, शोषण, सामाजिक अन्याय और मानवीय संवेदनाओं को गहराई से उकेरते हैं।

सामाजिक सुधार और नैतिकता –

प्रेमचंद की रचनाएँ समाज में व्याप्त बुराइयों जैसे जातिवाद, दहेज प्रथा, शोषण और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाती हैं। उनकी कहानियाँ मानवीय मूल्यों और नैतिकता को प्रोत्साहित करती हैं।

भावनात्मक गहराई –

प्रेमचंद की कहानियाँ पाठकों के दिल को छूने वाली होती हैं। वे पात्रों की भावनाओं को इतनी सजीवता से प्रस्तुत करते हैं कि पाठक उनके दुख-सुख से जुड़ाव महसूस करता है।

सरल और प्रभावशाली भाषा –

उनकी भाषा आम लोगों की भाषा होती थी, जिसमें हिंदी-उर्दू का सहज मिश्रण देखने को मिलता है। उनकी शैली प्रवाहमयी और प्रभावशाली होती है।

ग्रामीण जीवन का सजीव चित्रण –

प्रेमचंद की रचनाओं में भारतीय गाँवों का यथार्थपूर्ण चित्रण देखने को मिलता है। उनके पात्र आम किसान, मजदूर और गरीब तबके के लोग होते हैं, जिनकी समस्याओं और संघर्षों को वे प्रमुखता से दर्शाते हैं।

 

  1. बालक प्रायः अलग-अलग स्वभाव के होते हैं। कहानी के आधार पर बताइए कि हामिद का स्वभाव कैसा है?

उत्तर – बालक प्रायः अलग-अलग स्वभाव के होते हैं। मगर कहानी के आधार पर हम देख सकते हैं कि हामिद का स्वभाव अन्य बच्चों की तुलना में कहीं अधिक प्रौढ़ नज़र आता है। हमें उसमें निम्नलिखित चारित्रिक विशेषताएँ देखने को मिलती हैं।

  1. समझदार और परोपकारी

हामिद अपनी उम्र के अन्य बच्चों की तरह खिलौनों और मिठाइयों पर पैसा खर्च करने के बजाय अपनी दादी अमीना के लिए चिमटा खरीदता है। यह दर्शाता है कि वह स्वार्थी नहीं, बल्कि दूसरों की भलाई सोचने वाला बालक है।

  1. भावनात्मक रूप से परिपक्व

हामिद केवल चार-पाँच साल का बालक है, फिर भी वह अपनी माँ और पिता की मृत्यु के बाद अपने दुख को भूलकर सकारात्मक सोच रखता है। वह दादी के कहने पर मानता है कि उसके माता-पिता अच्छे उपहार लाने के लिए बाहर गए हैं।

  1. आशावादी और प्रसन्नचित्त

भले ही उसके पास अच्छे कपड़े, जूते या अधिक पैसे नहीं हैं, फिर भी वह पूरे जोश और उत्साह के साथ ईदगाह जाता है। उसकी संतोषी प्रवृत्ति और सकारात्मक सोच उसे अन्य लड़कों से अलग बनाती है।

  1. बुद्धिमान और व्यवहारिक –

जब उसके मित्र महँगे खिलौने और मिठाइयाँ खरीदते हैं, हामिद सोचता है कि ये चीज़ें क्षणिक सुख देंगी, लेकिन जल्दी टूट जाएँगी या खत्म हो जाएँगी। इसलिए, वह दादी के लिए उपयोगी वस्तु चिमटा खरीदता है, जिससे वह उनके कष्टों को कम कर सके।

  1. संवेदनशील और दयालु

हामिद की अपनी दादी के प्रति गहरी संवेदनाएँ हैं। वह जानता है कि रोटियाँ सेंकते समय उनकी उँगलियाँ जल जाती हैं, इसलिए वह चिमटा लाकर उनकी मदद करना चाहता है। यह दिखाता है कि वह दयालु और अपने परिवार के प्रति जिम्मेदार है।

 

(आ) हाँ या नहीं में उत्तर दीजिए।

  1. हामिद के पास पचास पैसे थे। (नहीं)
  2. अमीना हामिद की मौसी थी। (नहीं)
  3. मोहसिन भिश्ती खरीदता है। (हाँ)
  4. हामिद खिलौने खरीदता है। (नहीं)

(इ) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

  1. अमीना का क्रोध तुरंत स्नेह में बदल गया।
  2. क़ीमत सुनकर हामिद का दिल बैठ गया।
  3. हामिद चिमटा लाया।
  4. महमूद के पास बारह पैसे थे।

 

(ई) अनुच्छेद पढ़कर दो प्रश्न बनाइए।

बहुत समय पहले की बात है। श्रवण कुमार नामक एक बालक रहता था। उसके माता-पिता देख नहीं सकते थे। किंतु उन्हें इस बात का दुख नहीं था। उनका पुत्र सदैव उनकी सेवा में तत्पर रहता था। एक दिन माता-पिता ने अपने पुत्र से चारधाम यात्रा की इच्छा व्यक्त की।

प्रश्न – 01 – श्रवण के माता-पिता को किस बात का दुख नहीं था?

प्रश्न – 02 – श्रवण के माता-पिता अपनी कौन-सी इच्छा व्यक्त की?

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

अ) हामिद के स्थान पर आप होते तो क्या खरीदते और क्यों?

उत्तर – हामिद के स्थान पर अगर मैं रहता तो मैं निश्चित रूप से कोई ऐसी ही चीज़ खरीदता जिससे मेरे परिवार वालों के प्रतिदिन के काम में सहायता मिलती। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए मैं एक हसुवा खरीदता और अपने घर के आस-पास उग आने वाले अनचाहे घास-फूस को काट दिया करता।

आ) ‘ईदगाह’ कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर – प्रेमचंद द्वारा लिखित ईदगाह एक मार्मिक कहानी है, जो नन्हे हामिद के त्याग, संवेदनशीलता और समझदारी को दर्शाती है। हामिद बिन माँ-बाप का लड़का है, जो अपनी दादी अमीना के साथ रहता है। ईद के दिन गाँव के अन्य बच्चों की तरह वह भी मेले में जाता है, लेकिन उसके पास सिर्फ तीन पैसे होते हैं। जबकि उसके दोस्त खिलौने और मिठाइयाँ खरीदते हैं, हामिद अपनी दादी की तकलीफ़ को याद करके उनके लिए एक चिमटा खरीदता है, ताकि रोटियाँ सेंकते समय उनके हाथ न जलें। जब वह घर लौटता है, तो दादी पहले नाराज़ होती हैं, लेकिन जब उन्हें हामिद की भावनाओं का अहसास होता है, तो वे गद्गद् हो जाती हैं। यह कहानी प्रेम, त्याग और जिम्मेदारी की भावना को हृदयस्पर्शी तरीके से प्रस्तुत करती है।

(इ) हामिद और उसके मित्रों के बीच हुई बातचीत की किसी एक घटना को संवाद के रूप में लिखिए।

उत्तर – संवाद: (हामिद और उसके मित्रों के बीच मेले में हुई बातचीत)

(स्थान: ईदगाह का मेला, जहाँ सभी बच्चे खिलौनों और मिठाइयों की दुकानों के पास खड़े हैं।)

मोहसिन –  (भिश्ती का खिलौना दिखाते हुए) देखो हामिद, मैंने कितना शानदार भिश्ती खरीदा है! पानी से भरी मशक लिए चलता है, कितना मज़ेदार है न?

महमूद –  (सिपाही का खिलौना हिलाते हुए) और यह देखो, मेरा सिपाही! बंदूक ताने खड़ा है, असली सिपाही जैसा!

नूरे –  (वकील का खिलौना दिखाते हुए) मेरा वकील तो सबसे अच्छा है, देखो इसकी काली टोपी और सफ़ेद कोट!

सम्मी –  (हँसते हुए) और मेरा धोबिन! इसे देखो, कपड़े धो रही है। कितनी मज़ेदार चीज़ें हैं मेले में! हामिद, तुमने क्या खरीदा?

हामिद –  (चिमटा कंधे पर रखते हुए) मैंने यह चिमटा लिया है।

सभी बच्चे –  (आश्चर्य से) चिमटा? यह क्यों खरीदा? इससे खेलोगे कैसे?

हामिद –  (मुस्कुराते हुए) अरे पगलों! जब तुम्हारे खिलौने गिरकर टूट जाएँगे, तब रोओगे। लेकिन मेरा चिमटा नहीं टूटेगा। और सबसे बड़ी बात, मेरी दादी तवे से रोटियाँ उतारते समय अपना हाथ नहीं जलाएँगी!

मोहसिन –  (चिढ़ाते हुए) अरे, यह तो दादी का नौकर बन गया! हम मज़े करेंगे और यह चिमटे से खेल करेगा!

हामिद –  (गर्व से) हाँ, हाँ, तुम खिलौनों से खेलना, लेकिन यह चिमटा मेरी दादी के बहुत काम आएगा! जब वह इसे देखेंगी, तो कितनी खुश होंगी!

(ई) बड़े-बुज़ुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा और स्नेह भावनाओं का महत्त्व अपने शब्दों में बताइए।

उत्तर – बड़े-बुज़ुर्ग चाहे वे हमारे घर के हों या रिश्तेदार में हों या फिर समाज में, वे सदा से आदर, श्रद्धा और स्नेह के पात्र हैं क्योंकि उन्होंने समाज को सही दिशा-निर्देश देने में अपनी अहम् भूमिका निभाई है। साथ ही साथ परिवार को एकता, आत्मीयता और मधुर संबंध में जोड़े रखने का प्रयास भी वे सफलतापूर्वक प्रयास करते हैं। वे अनुभवों की खान होते हैं। उनके पास जीवन के विविध पहलुओं की सटीक जानकारी होती है। यह हर नई पीढ़ी की ज़िम्मेदारी भी है कि वह पुरानी पीढ़ियों का सम्मान करें उनका ख्याल रखें। यह हमारी संस्कृति और सभ्यता का अभिन्न अंग भी है।

भाषा की बात

(अ) कोष्ठक में दी गइ सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

  1. ईद, प्रभात, वृक्ष (पर्याय शब्द लिखिए।)

ईद – ईद-उल-फितर,  ईद-उल-अजहा, बकरीद

प्रभात – सुबह, प्रात – , प्रत्युष

वृक्ष – पेड़, विटप, पादप

  1. मिठाई, चिमटा, सड़क (वचन बदलिए।)

मिठाई – मिठाइयाँ

चिमटा – चिमटे

सड़क – सड़कें

(आ) सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

  1. बेसमझ, परलोक, निडर (उपसर्ग पहचानिए।)

बेसमझ = बे + समझ

परलोक = पर + लोक

निडर = नि + डर

  1. दुकानदार, ग़रीबी (प्रत्यय पहचानिए।)

दुकानदार = दुकान + दार
ग़रीबी = ग़रीब + ई

(इ) इन्हें समझिए और अभ्यास कीजिए।

हामिद ने कहा कि घर की देखरेख दादी ने की

उत्तर – उसने मुझसे ऐसे ढंग से बात की कि क्रोधित होने की बजाय मैं हँस पड़ा।  

राजेश ने देखा कि रमा की बहन हिन्दी की किताब पढ़ रही है।

(ई) पाठ में आए मुहावरे पहचानिए और अर्थ लिखकर वाक्य प्रयोग कीजिए।

उत्तर – भेंट होना – महामारी के दौरान कई लोग हैज़े की भेंट हो गए।

परलोक सिधारना – हमारे पड़ोसी दादाजी लंबी बीमारी के बाद परलोक सिधार गए।

दिल कचोटना – अनाथ बच्चों की हालत देखकर मेरा दिल कचोट उठा।

धावा बोलना – पुलिस ने अपराधियों के अड्डे पर धावा बोल दिया।

ललचाई आँखों से देखना – गरीब बच्चा मिठाइयों की दुकान को ललचाई आँखों से देख रहा था।

दिल बैठ जाना – परीक्षा का कठिन प्रश्न देखकर उसका दिल बैठ गया।

कलेजा मज़बूत करना – ऑपरेशन से पहले मरीज ने अपना कलेजा मज़बूत किया।

मूक स्नेह – माँ ने अपने बच्चे को मूक स्नेह से देखा।

मन गदगद होना – शिक्षक से पुरस्कार पाकर छात्र का मन गदगद हो गया।

गोदी में सोना – छोटा बच्चा थककर माँ की गोदी में सो गया।

हजारों दुआएँ देना – बूढ़ी औरत ने मदद करने वाले युवक को हजारों दुआएँ दीं।

चौंक जाना – अचानक दरवाजे की जोरदार आवाज़ सुनकर वह चौंक गया।

क्रोध स्नेह में बदल जाना – जब बच्चे ने अपनी गलती मान ली, तो माँ का क्रोध स्नेह में बदल गया।

बात बनाना – परीक्षा में फेल होने पर उसने घरवालों के सामने कई बातें बना दीं।

आह भरना – भूखे व्यक्ति को रोटी देखकर आह भरते हुए देखा गया।

रस और स्वाद से भरा – दादी की कहानियाँ बचपन की यादों में रस और स्वाद से भरी होती हैं।

बड़ी-बड़ी बूँदें गिराना – अपनी हार पर खिलाड़ी ने आँसुओं की बड़ी-बड़ी बूँदें गिराईं।

अफसोस करना – अपनी गलती का अहसास होते ही उसने अफसोस किया।

रहस्य समझना – बच्चे ने गणित की समस्या का रहस्य समझ लिया।

परियोजना कार्य

वरिष्ठ नागरिकों (वयोवृद्धों) के प्रति आदर-सम्मान की भावना से जुड़ी कोई कहानी ढूँढ़कर लाइए। कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करें

 

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

  1. एक वाक्य वाले प्रश्न और उत्तर –

प्रश्न – ईद का दिन कौन-से पर्व के बाद आता है?

उत्तर – ईद का दिन रमज़ान के पूरे तीस रोज़ों के बाद आता है।

प्रश्न – हामिद के माता-पिता कहाँ थे?

उत्तर – हामिद के माता-पिता का निधन हो चुका था।

प्रश्न – हामिद किसके साथ रहता था?

उत्तर – हामिद अपनी दादी अमीना के साथ रहता था।

प्रश्न – हामिद के पास कितने पैसे थे?

उत्तर – हामिद के पास केवल तीन पैसे थे।

प्रश्न – हामिद ने मिठाइयों और खिलौनों की जगह क्या खरीदा?

उत्तर – हामिद ने अपनी दादी के लिए एक चिमटा खरीदा।

प्रश्न – बच्चों ने हामिद का मज़ाक क्यों उड़ाया?

उत्तर – बच्चों ने हामिद का मज़ाक उड़ाया क्योंकि उसने खिलौनों की जगह चिमटा खरीदा था।

प्रश्न – अमीना हामिद से पहले गुस्सा क्यों हुई?

उत्तर – अमीना पहले गुस्सा हुई क्योंकि हामिद मिठाई और खिलौने लाने की बजाय चिमटा ले आया था।

प्रश्न – कहानी का मुख्य संदेश क्या है?

उत्तर – कहानी का मुख्य संदेश त्याग, निस्वार्थ प्रेम और सच्ची खुशी का महत्त्व है।

प्रश्न – ईदगाह कहानी के लेखक कौन हैं?

उत्तर – ईदगाह कहानी के लेखक मुंशी प्रेमचंद हैं।

प्रश्न – हामिद के माता-पिता कहाँ गए थे, ऐसा उसे क्या बताया गया था?

उत्तर – हामिद को बताया गया था कि उसके अब्बा रुपये कमाने गए हैं और अम्मी अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए अच्छी चीज़ें लाने गई हैं।

प्रश्न – मेले में बच्चों ने सबसे पहले क्या खरीदा?

उत्तर – बच्चों ने सबसे पहले मिट्टी के खिलौने खरीदे।

प्रश्न – हामिद के दोस्त मिठाई खाने के लिए उसे क्या कहते हैं?

उत्तर – हामिद के दोस्त उसे रेवड़ी और गुलाबजामुन खाने के लिए कहते हैं।

प्रश्न – हामिद ने अपने पैसे किस चीज़ पर खर्च किए?

उत्तर – हामिद ने अपने पैसे चिमटा खरीदने में खर्च किए।

प्रश्न – हामिद ने चिमटा कैसे पकड़ा था?

हामिद ने चिमटा इस तरह पकड़ा था जैसे कि वह एक बंदूक हो।

प्रश्न – बच्चों ने हामिद के चिमटे का मज़ाक क्यों उड़ाया?

उत्तर – बच्चों ने हामिद का मज़ाक इसलिए उड़ाया क्योंकि उन्होंने खिलौने और मिठाइयाँ खरीदी थीं, जबकि हामिद ने चिमटा खरीदा था।

प्रश्न – अमीना हामिद से पहले नाराज़ क्यों हुई?

उत्तर – अमीना पहले नाराज़ हुई क्योंकि उसे लगा कि हामिद मिठाई और खिलौने न खरीदकर बेकार की चीज़ ले आया।

प्रश्न – अमीना की आँखों में आँसू क्यों आ गए?

उत्तर – जब हामिद ने बताया कि उसने चिमटा इसलिए खरीदा ताकि उनकी उँगलियाँ न जलें, तो अमीना भावुक हो गईं और उनकी आँखों में आँसू आ गए।

 

दो-तीन वाक्य वाले प्रश्न और उत्तर –

प्रश्न – ईदगाह जाने के लिए हामिद के पास कौन-कौन से साधन नहीं थे?

उत्तर – हामिद के पास न तो अच्छे कपड़े थे, न जूते, और न ही ज़्यादा पैसे। फिर भी वह प्रसन्न था और ईदगाह जाने के लिए उत्साहित था।

प्रश्न – हामिद अपने दोस्तों से किस तरह अलग था?

उत्तर – हामिद अपने दोस्तों से अलग था क्योंकि बाकी बच्चे अपने माता-पिता के साथ आए थे और उनके पास ज़्यादा पैसे थे। वे मिठाइयाँ और खिलौने खरीद रहे थे, लेकिन हामिद ने अपने तीन पैसों से अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदा।

प्रश्न – चिमटा खरीदते समय हामिद के मन में क्या भावनाएँ थीं?

उत्तर – हामिद को लगा कि चिमटा उसकी दादी के लिए बहुत उपयोगी होगा, क्योंकि इससे उनकी उँगलियाँ नहीं जलेंगी। उसने सोचा कि जब वह चिमटा ले जाएगा, तो उसकी दादी बहुत खुश होंगी और उसे ढेरों दुआएँ देंगी।

प्रश्न – कहानी में ‘त्याग’ और ‘निस्वार्थ प्रेम’ कैसे प्रकट होते हैं?

उत्तर – हामिद के त्याग और निस्वार्थ प्रेम का उदाहरण तब दिखता है जब वह अपने लिए मिठाइयाँ और खिलौने खरीदने के बजाय अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदता है। वह अपनी इच्छाओं को छोड़कर अपनी दादी की खुशी के बारे में सोचता है, जो उसकी सच्ची महानता को दर्शाता है।

प्रश्न – कहानी ‘ईदगाह’ हमें क्या सीख देती है?

उत्तर – यह कहानी हमें त्याग, निस्वार्थ प्रेम और परिवार के प्रति जिम्मेदारी का महत्त्व सिखाती है। हामिद का व्यवहार यह दर्शाता है कि सच्ची खुशी केवल अपनी इच्छाओं को पूरा करने में नहीं, बल्कि अपनों की भलाई में है।

प्रश्न – हामिद के बाकी दोस्त मेले में क्या-क्या खरीदते हैं?

उत्तर – हामिद के दोस्त मेले में मिठाइयाँ, खिलौने, बिगुल और गेंद खरीदते हैं। वे खुश होकर अपने-अपने सामान का आनंद लेते हैं, लेकिन हामिद के पास सिर्फ तीन पैसे होते हैं, इसलिए वह सोच-समझकर खर्च करने का निर्णय लेता है।

प्रश्न – हामिद ने चिमटा क्यों खरीदा और उसकी क्या सोच थी?

उत्तर – हामिद ने चिमटा इसलिए खरीदा क्योंकि उसकी दादी अमीना रोटियाँ सेंकते समय तवे से रोटियाँ हाथ से उतारती थीं और उनका हाथ जल जाता था। उसे लगा कि चिमटा उनके लिए बहुत उपयोगी होगा और इससे वह बहुत खुश होंगी।

प्रश्न – अमीना ने चिमटा देखकर कैसी प्रतिक्रिया दी?

उत्तर – पहले तो अमीना हामिद से नाराज़ हुईं कि उसने मिठाइयों और खिलौनों की बजाय चिमटा क्यों खरीदा। लेकिन जब हामिद ने बताया कि उसने यह इसलिए खरीदा ताकि उनके हाथ न जलें, तो अमीना की आँखों में आँसू आ गए और उन्होंने प्यार से उसे गले लगा लिया।

प्रश्न – कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?

उत्तर – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची खुशी केवल खुद की इच्छाओं को पूरा करने में नहीं, बल्कि अपनों की भलाई के बारे में सोचने में है। हामिद का निस्वार्थ प्रेम और त्याग हमें संवेदनशीलता और परोपकार की शिक्षा देता है।

 

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