हमारे सामने अनेक ऐसे टॉपर्स के नाम सामने आते हैं जिन्होंने कोटा में रहकर पढ़ाई की और एम्स (AIIMS) तथा आईआईटी (IIT) जैसे सर्वोच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश प्राप्त किया। कहीं न कहीं यही इच्छा अन्य छात्रों में भी होती है और वे कोटा का रुख करते हैं। इसके विपरीत हमें कुछेक बार आत्महत्या से होने वाली मौतों के बारे में भी पता चलता हैं कि छात्र ने तनाव में आकर या अपने सपने को पूरा न कर पाने की स्थिति में जीवनलीला को समाप्त कर देने तक का फैसला ले लिया।
बावजूद जीत-हार और जीवन-मरण के इन खबरों के बीच आज के किशोर और युवा वर्ग जेईई (JEE) और एनईईटी (NEET) की प्रवेश परीक्षाओं के लिए कोटा ही जाना पसंद करते हैं। इसके पीछे का कारण है कोटा की कड़ी कोचिंग और सफलता का ट्रैक-रिकॉर्ड इसे जेईई और एनईईटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी का केंद्र बनाता है
राजस्थान में कोटा लंबे समय से कोचिंग संस्थानों के केंद्र के रूप में जाना जाता रहा है। हर साल, इंजीनियरिंग और मेडिकल शिक्षा के इच्छुक उम्मीदवार कम से कम एक या दो साल के लिए शहर को अपना घर बनाते हैं। वे आगे की कड़ी प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार होने के लिए जेईई (इंजीनियरिंग) और एनईईटी (मेडिकल) की तैयारी कक्षाओं में दाखिला लेते हैं।
कोटा में हाल ही में कई छात्रों की आत्महत्या से हुई मौतों के बावजूद, ऐसे कारण हैं कि वहाँ कोचिंग संस्थान छात्रों और उनके माता-पिता दोनों द्वारा प्रमुखता से पसंद किए जाते हैं। ये संस्थान उन्नत शिक्षण विधियों से सुसज्जित होते हैं और कोचिंग सेंटरों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा इन्हें अपने में सुधार, उन्नति, छात्र केन्द्रित अध्ययन पद्धति, आवासीय सुविधाओं आदि से भरपूर बनाता है जिसका सीधा-सीधा लाभ छात्रों को होता है। निर्धारित पाठ्यक्रम छात्रों को बढ़त देने के लिए संरचित होते हैं। साथ ही साथ ये संस्थान शिक्षा की गुणवत्ता में उस अंतर को भरने की कोशिश करते हैं जो अन्य राज्यों में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में नहीं होती है। ‘मोशन एजुकेशन’ के संस्थापक और सीईओ नितिन विजय बताते हैं, जो जेईई और एनईईटी की तैयारी के लिए पाठ्यक्रम प्रदान करता है। यह मत भूलिए कि ये संस्थान छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने के लिए आवश्यक प्रासंगिक और तार्किक समझ भी प्रदान करते हैं।
छात्रों के लिए ऑनलाइन करियर काउंसलिंग प्लेटफॉर्म ‘मिंडलर’ के संस्थापक और सीईओ प्रतीक भार्गव के अनुसार, कोटा एक लोकप्रिय और पसंदीदा विकल्प क्यों है, इसके कई कारण हैं। भार्गव कहते हैं, “इसे चलाने वाले खुद पढ़े-लिखे होते हैं, यहाँ सफलता का ट्रैक-रिकॉर्ड सबसे अधिक होता है, यहाँ अध्ययन और अध्यापन का माहौल एक दूसरे में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, विशेषज्ञता के साथ अनुभवी संकाय (टीचिंग फेकल्टी) भी बड़ी अहम भूमिका निभाती है, एक क्षेत्र में कोचिंग संस्थानों की एकाग्रता, प्रतिस्पर्धाओं से भरा माहौल और केंद्रित पाठ्यक्रम जैसे अन्य कारण भी शामिल हैं जो कोटा को शिक्षा का केंद्र कोटा बनती हैं।”
विशेषज्ञों का यहाँ तक कहना है कि माता-पिता भी बच्चे के सपने में अपना सपना देखने लगते हैं या कभी-कभी तो माता-पिता के सपने बच्चे पूरा करते हैं। यही कारण होता है कि कुछ अभिभावक खासकर के माँएँ अपने बच्चों के साथ कोटा में आकर रहने लगती हैं ताकि उन्हें न ही घर के खाने की कमी महसूस हो और न ही घर की। ऐसे वातावरण में बच्चे अच्छी तैयारी कर सकते हैं।
आज के दौर में यहाँ का वातावरण कुछ ऐसा हो चुका है जैसे मानो सभी को रोजगार के साधन मिल गए हों। बढ़ती कोचिंग सेंटरों की वजह से यहाँ पर तरह-तरह के उद्यमों को प्रश्रय मिला है। शायद इसलिए इसे ‘कोटा फेक्ट्री’ के नाम से भी जाना जाने लगा है।
भारत के जितने बड़े भी कोचिंग सेंटर हमारे जेहन में आते हैं वे यहाँ हमें मिलते हैं। फ़िजिक्स वाला, एलन, वाइब्रेंट, रेजोनेंस, बंसल, आकाश और न जाने कितने। हालाँकि यहाँ पर भी कुछ अनियमितताएँ पाई जाती हैं पर फिर भी ये अपने चरम पर है।
विज्ञान के क्षेत्र में उत्तरोत्तर अध्ययन के लिए बेहतरीन संस्थानों के लिए जाना जाने वाला कोटा छात्रों को अपने लक्ष्यों के लिए आक्रामक तरीके से काम करने के लिए अनुकूल वातावरण भी प्रदान करता है। गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण और कोचिंग की धारणा के अलावा, कोचिंग संस्थानों द्वारा कठोर तैयारी का भी विश्वास है।
इंटरनेट सूत्रों के अनुसार शिक्षण संस्थानों द्वारा कोटा में प्रतिवर्ष 1500 करोड़ का टर्नोवर होता है।