सेवा में
हिंदी भाषा-प्राण,
श्री राधकान्त मिश्र
आप ओड़िया जाति और हिंदू धर्म के सर्वस्व हैं। आपने इनकी अगणित सेवाएँ की हैं, कठिन से कठिन परिस्थिति में इनकी प्रतिष्ठा रखी है। दोषों से इनका परिष्कार किया है। आप हिंदू जाति के उज्ज्वल रत्न हैं। धर्म का जैसा ज्ञान आपको है वैसा भारत में शायद ही किसी व्यक्ति को है। भारत-विभूति की संज्ञा के योग्य अधिकारी इस ओड़िशा राज्य की भाषिक उन्नति के लिए आपने बहुत अधिक कार्य किए हैं। निरक्षरता की बेड़ियाँ काटने के लिए आपने अनेक प्रयत्न किए हैं। आप सरीखी महान् आत्माओं के परिश्रम का ही प्रसाद है कि हमारे ओड़िशा राज्य में इतनी जाग्रति आई है। आपका त्याग, आपका देश-प्रेम, धन्य है।
आपको इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पाकर हमारा भाग्य दुग्ध धवल हो गया है।
धन्यवाद