सेवा में
सच्चरित्र – शिरोमणि,
श्रीमती स्मरप्रिया मिश्र
आपके उत्कृष्ट गुणों और अनुपम सेवाओं को देखकर हमारे मस्तक स्वतः आपके लिए झुक जाते हैं। आपका पुनीत आचरण अनुकरणीय और वंदनीय है। इस वृद्धावस्था में भी आप बड़े परिश्रम से देश एवं समाज के कल्याण में संलग्न हैं। आपकी सौम्य मूर्ति, आपकी सरलता, आपकी शिष्टता, आपकी सच्चरित्रता धन्य है। महीयशी महिला के रूप में आपके चरित्र की व्याख्या कर मैं उसी प्रकार धन्य हो गया जिस प्रकार पानी चन्दन के संपर्क में आने पर हो जाता है। आपको आदर्श के रूप में अपने समक्ष देखना साक्षात् माता सरस्वती के दर्शन तुल्य है।
हम आपका हृदय से अभिनंदन करते हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह आपको चिरायु बनाए, जिससे आप चिरकाल तक हमारी भाषा, राज्य तथा देश का कल्याण करती रहें।
आपके विनीत शुभाकांक्षी
अविनाश रंजन गुप्ता व अन्य छात्रगण