West Bengal, Hindi Course A, Class XI, Dushyant Kumar – Kahan To Tay Tha Chiranga Harek Ghar Ke Lie,

कवि परिचय  – दुष्यंत कुमार

हर दौर में हर देश में अनेकों ऐसे महान कवि और कवयित्री हुए हैं, जिन्होंने मानव को सदैव सद्मार्ग दिखाया है। उन्हीं कवियों में से एक भारतीय कवि दुष्यंत कुमार भी हैं। दुष्यंत कुमार का जन्म 1 सितंबर 1933 को, उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद के राजपुर नवादा में हुआ था। इनके पिता का नाम भगवान सहाय और माता का नाम राम किशोरी देनी था। प्रारंभिक शिक्षा गाँव की पाठशाला में हुई। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम. ए. किया मुरादाबाद से बी. एड. करने के पश्चात् 1958 में दिल्ली आकाशवाणी से जुड़े। मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग में भी कुछ समय तक काम किया।

दुष्यंत कुमार एक लोकप्रिय हिंदी ग़ज़लकार थे। दुष्यंत कुमार जी का मूल नाम दुष्यंत कुमार त्यागी था। उन्होंने दसवीं कक्षा से ही कविताएँ लिखना शुरू कर दिया था।

उन्होंने ‘एक कंठ विषपायी’, ‘सूर्य का स्वागत’, ‘आवाजों के घेरे’, ‘जलते हुए वन का बसंत, काव्य संग्रहों तथा ‘छोटे-छोटे सवाल’ और ‘आंगन में एक वृक्ष’, ‘दूसरी जिदंगी उपन्यासों की रचना की।

आपातकाल के समय उनका कवि मन क्षुब्ध हुआ तब प्रतिक्रिया स्वरूप कवि का काव्य संग्रह साये में धूप प्रकाश में आया। यह एक गजल संग्रह था जिससे कवि को सबसे अधिक ख्याति प्राप्त हुई।

एक महान व्यक्तित्व वाले आशावादी कवि और ग़ज़लकार दुष्यंत कुमार जी मात्र 42 वर्ष की आयु में 30 दिसम्बर 1975 को सदा के लिए पंचतत्त्व में विलीन हो गये।

कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हरेक घर के लिए

कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हरेक घर के लिए,

कहाँ चिराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए।

यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है,

चलो यहाँ से चलें और उम्र भर के लिए।

न हो क़मीज़ तो पाँवों से पेट ढँक लेंगे,

ये लोग कितने मुनासिब हैं, इस सफ़र के लिए।

ख़ुदा नहीं, न सही, आदमी का ख़्वाब सही,

कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिए।

वे मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता,

मैं बेक़रार हूँ आवाज़ में असर के लिए।

तेरा निज़ाम है सिल दे जुबान शायर की,

ये एहतियात ज़रूरी है इस बहर के लिए।

जिएँ तो अपने बगीचे में गुलमोहर के तले,

भरें तो ग़ैर की गलियों में गुलमोहर के लिए।

शब्दार्थ

Word (Hindi)

Hindi Meaning

Bengali Meaning

English Meaning

कहाँ

किस स्थान पर, किधर

কোথায়

Where

तो

फिर, तब

তাহলে, তখন

Then, so

तय

निश्चित, निर्धारित

নির্দিষ্ট, স্থির

Decided, fixed, arranged

था

भूतकाल की सहायक क्रिया

ছিল

Was

चिराग़ाँ

बहुत सारे दीपक, रोशनी

অনেক প্রদীপ, আলোকসজ্জা

Lamps, illumination, lighting

हरेक

प्रत्येक, हर एक

প্রতিটি, প্রত্যেকটা

Every, each

घर

आवास, गृह

ঘর, বাড়ি

House, home

लिए

के वास्ते, हेतु

জন্য

For, for the sake of

मयस्सर

उपलब्ध, प्राप्त

উপলব্ধ, প্রাপ্ত

Available, obtained

नहीं

अभाव, न

না

Not, no

शहर

नगर, आबादी

শহর

City, town

यहाँ

इस स्थान पर

এখানে

Here

दरख्तों

पेड़ों के (बहुवचन)

গাছপালা (বহুবচন)

Trees (plural)

साये

छाया में

ছায়ায়

Shade, shadow

धूप

सूर्य का प्रकाश

রোদ

Sunlight

लगती है

महसूस होती है

লাগে, অনুভূত হয়

Feels, appears

चलो

आओ चलें

চলো

Let’s go

से

से, द्वारा

থেকে

From, by

और

तथा, एवं

এবং

And

उम्र भर

पूरे जीवन भर

জীবনভর, সারাজীবন

Lifelong, for a lifetime

न हो

यदि न हो

যদি না থাকে

If there isn’t

क़मीज़

कमीज, कुर्ता

শার্ট, জামা

Shirt

पाँवों

पैरों से (बहुवचन)

পা (বহুবচন)

Feet (plural)

पेट

उदर

পেট

Stomach, belly

ढँक लेंगे

ढक लेंगे, छिपा लेंगे

ঢেকে নেব

Will cover

ये

ये लोग

এরা, এই

These, these people

लोग

व्यक्ति, जन

লোক

People

कितने

कितने

কত

How many, how much

मुनासिब

उपयुक्त, सही

উপযুক্ত, সঠিক

Suitable, appropriate

इस

यह

এই

This

सफ़र

यात्रा

যাত্রা, সফর

Journey, travel

ख़ुदा

ईश्वर, भगवान

আল্লাহ, ঈশ্বর

God, Almighty

न सही

भले ही न हो

না হোক

Even if not

आदमी

मनुष्य

মানুষ

Man, human being

ख़्वाब

सपना, स्वप्न

স্বপ্ন

Dream

कोई

कोई भी

কোন

Any, someone

हसीन

सुंदर, खूबसूरत

সুন্দর

Beautiful, charming

नज़ारा

दृश्य, मंजर

দৃশ্য

Scene, view

ज़रूर

अवश्य, निश्चित रूप से

অবশ্যই, নিশ্চয়ই

Definitely, certainly

नज़र

दृष्टि, निगाह

দৃষ্টি, নজর

Sight, gaze, vision

वे

वे लोग

তারা

They

मुतमइन

संतुष्ट, आश्वस्त

সন্তুষ্ট, নিশ্চিন্ত

Satisfied, content

पत्थर

पाषाण

পাথর

Stone, rock

पिघल

गलना, द्रवित होना

গলে যাওয়া

Melt, dissolve

बेक़रार

बेचैन, अधीर

অস্থির, অধীর

Restless, anxious

आवाज़

ध्वनि, स्वर

আওয়াজ, শব্দ

Voice, sound

असर

प्रभाव, नतीजा

প্রভাব, ফল

Effect, impact

तेरा

तुम्हारा

তোমার

Your (informal)

निज़ाम

व्यवस्था, शासन

ব্যবস্থা, শাসন

System, regime

सिल दे

सील दे, बंद कर दे

সেলাই করে দাও, বন্ধ করে দাও

Seal, shut down

जुबान

ज़ुबान, भाषा

জিভ, ভাষা

Tongue, language, voice

शायर

कवि, लेखक

কবি

Poet

एहतियात

सावधानी, सतर्कता

সতর্কতা, সাবধানতা

Caution, precaution

ज़रूरी

आवश्यक, अनिवार्य

জরুরি, প্রয়োজনীয়

Necessary, important

बहर

छंद, काव्य का प्रकार

ছন্দ, কবিতার ধরন

Metre, poetic form

जिएँ

जीवन व्यतीत करें

বাঁচি

Live (as in, let us live)

अपने

स्वयं के

নিজের

Own

बगीचे

बाग, उपवन

বাগান

Garden

गुलमोहर

एक प्रकार का फूलदार पेड़

গুলমোহর (একটি ফুল গাছ)

Gulmohar (a type of flowering tree)

तले

नीचे

নিচে

Underneath

मरें

मर जाएं

মরি

Die (as in, let us die)

ग़ैर

पराया, दूसरा

পর, অন্য

Stranger, other

गलियों

गलियों में (बहुवचन)

গলি (বহুবচন)

Streets, lanes (plural)

‘कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हरेक घर के लिए’ का परिचय

यह ग़ज़ल दुष्यंत कुमार की एक प्रसिद्ध रचना ‘साए में धूप’ से ली गई हैं, जो उनकी सामाजिक चेतना, निराशा, आशा और विद्रोह की भावना को दर्शाती है। यह ग़ज़ल पारंपरिक शैली में लिखी गई है, जिसमें प्रत्येक शेर स्वतंत्र रूप से एक विचार प्रस्तुत करता है, लेकिन सभी शेर मिलकर सामाजिक और राजनीतिक आलोचना के साथ-साथ मानवीय भावनाओं का एक समग्र चित्र बनाते हैं। इस प्रत्येक गजल में अर्थ, प्रतीक और भावनात्मक गहराई को समझाया गया है।

‘कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हरेक घर के लिए’ का विश्लेषण

1.

कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हरेक घर के लिए,
कहाँ चिराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए।

अर्थ –
यह शेर ग़ज़ल की शुरुआत करता है और निराशा का स्वर स्थापित करता है। ‘चिराग़ाँ’ का अर्थ है दीपों की माला या बहुत सारे दीपक, जो आलंकारिक रूप से आशा, समृद्धि और प्रगति का प्रतीक है। कवि कहते हैं कि पहले यह वादा किया गया था कि हर घर में रौशनी होगी, अर्थात् हर व्यक्ति को सुख, समानता और प्रगति मिलेगी। लेकिन वास्तविकता यह है कि अब तो पूरे शहर के लिए भी एक दीपक उपलब्ध नहीं है। यह समाज और सरकार के उन वादों की विफलता को दर्शाता है, जो जनता को समृद्धि और न्याय का सपना दिखाते हैं।

विश्लेषण –

प्रतीक – “चिराग़” यहाँ ज्ञान, आशा और खुशहाली का प्रतीक है, जबकि उसका न होना अंधकार, निराशा और असमानता को दर्शाता है।

सामाजिक संदर्भ – यह शेर उन राजनीतिक और सामाजिक नेताओं की आलोचना करता है, जो बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन उन्हें पूरा नहीं करते।

भाव – कवि का स्वर व्यंग्यात्मक और निराशाजनक है, जो टूटे हुए सपनों की ओर इशारा करता है।

 

2.

यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है,
चलो यहाँ से चलें और उम्र भर के लिए।

अर्थ –
इस शेर में कवि अपने परिवेश से तंग आकर उससे पूरी तरह से मुक्ति की बात करता है। “दरख्तों का साया” सामान्य रूप से शांति, सुकून और प्रकृति की छाँव का प्रतीक होता है, लेकिन यहाँ कवि कहते हैं कि इस छाँव में भी धूप जैसी गर्मी और असहजता महसूस होती है। यह दर्शाता है कि समाज में अब कोई सुकून या राहत बाकी नहीं है। कवि अपने साथी (या पाठक) को आमंत्रित करता है कि इस दमघोंटू माहौल को हमेशा के लिए छोड़ दिया जाए। “उम्र भर के लिए” से स्थायी पलायन की भावना व्यक्त होती है।

विश्लेषण –

प्रतीक – “दरख्तों का साया” शांति और सुरक्षा का प्रतीक है, लेकिन यहाँ यह विडंबना बन जाता है। ‘धूप’ असहजता और दुख का प्रतीक है।

सामाजिक संदर्भ – यह शेर समाज की उन बिगड़ी हुई परिस्थितियों को दर्शाता है, जहाँ व्यक्ति को कहीं भी शांति नहीं मिलती। यह भ्रष्टाचार, अन्याय, या सामाजिक दबाव की ओर इशारा हो सकता है।

भाव – कवि का स्वर थकावट और विद्रोह का मिश्रण है। वह बदलाव की उम्मीद छोड़कर पूरी तरह से अलग होने की बात करता है।

 

3.

न हो कमीज़ तो पाँवों से पेट ढँक लेंगे,
ये लोग कितने मुनासिब हैं, इस सफ़र के लिए।

अर्थ –
यह शेर गरीबी, अभाव और मानव की सहनशक्ति पर टिप्पणी करता है। कवि कहते हैं कि अगर किसी के पास कमीज़ (कपड़ा) भी न हो, तो वह अपने पाँवों से पेट ढँक लेगा, अर्थात् अत्यंत गरीबी में भी लोग जीवित रहने का रास्ता निकाल लेते हैं। “ये लोग” समाज के हाशिए पर रहने वाले, गरीब और शोषित लोग हैं, जो कठिनाइयों के बावजूद जीवन की यात्रा (सफ़र) के लिए उपयुक्त हैं। “मुनासिब” शब्द में व्यंग्य है, क्योंकि यह उनकी मजबूरी को उनकी योग्यता के रूप में प्रस्तुत करता है। ऐसे ही लोग समाज में परिवर्तन ला सकने में असमर्थ होते हैं।

विश्लेषण –

प्रतीक – ‘कमीज़’ बुनियादी ज़रूरतों (जैसे कपड़ा, भोजन, आश्रय) का प्रतीक है। “पाँवों से पेट ढँकना” जीवित रहने की जद्दोजहद को दर्शाता है।

सामाजिक संदर्भ – यह शेर समाज में व्याप्त आर्थिक असमानता और गरीबों की लाचारी को उजागर करता है, साथ ही उनकी सहनशक्ति की प्रशंसा भी करता है।

भाव – कवि का स्वर व्यंग्यात्मक होने के साथ-साथ सहानुभूतिपूर्ण है। वह गरीबों की मजबूरी पर दुख व्यक्त करता है, लेकिन उनकी ताकत को भी सराहता है।

 

4.

ख़ुदा नहीं, न सही, आदमी का ख़्वाब सही,
कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिए।

अर्थ –
इस शेर में कवि दार्शनिक और मानवतावादी दृष्टिकोण अपनाते हैं। वह कहते हैं कि अगर ईश्वर का अस्तित्व नहीं है या ईश्वर ने दुनिया को छोड़ दिया है, तो कोई बात नहीं, लेकिन कम से कम इंसान के सपने तो जीवित रहें। “आदमी का ख़्वाब” मानव की आकांक्षाओं, आशा और बेहतर भविष्य की कामना का प्रतीक है। कवि यह भी कहते हैं कि दुनिया में कुछ सुंदर दृश्य तो होना चाहिए, जो आँखों को सुकून दे। यह शेर आशा और सौंदर्य की तलाश को दर्शाता है। साथ ही साथ राजनीति के माध्यम से आम जीवन की दशा और दिशा को सुधारना चाहता है।

विश्लेषण –

प्रतीक – ‘ख़ुदा’ ईश्वर या उच्च शक्ति का प्रतीक है, जबकि “आदमी का ख़्वाब” मानव की आंतरिक शक्ति और आशावाद को दर्शाता है। “हसीन नज़ारा” सौंदर्य, आशा, या प्रेरणा का प्रतीक है।

सामाजिक संदर्भ – यह शेर धर्मनिरपेक्ष मानवतावाद को दर्शाता है, जहाँ कवि ईश्वर के बजाय इंसान की क्षमता और सपनों पर भरोसा करता है। यह निराशा के बीच भी आशा की किरण तलाशने की बात करता है।

भाव – कवि का स्वर चिंतनशील और आशावादी है। वह निराशा के बीच भी कुछ सुंदर और प्रेरणादायक खोजने की कोशिश करता है।

 

5.

वे मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता,
मैं बेचैकर हूँ आवाज़ में असर के लिए।

अर्थ –
इस शेर में कवि अपने क्रांतिकारी विचारों और कविता की शक्ति को व्यक्त करता है। ‘वे’ लोग जो  सत्ता में बैठे हैं और आम आदमी यह मानते हैं कि पत्थर को पिघलाना असंभव है, अर्थात् समाज की जड़ता या अन्याय को बदलना असंभव है। लेकिन कवि का यह दृढ़ विश्वास है कि अगर मनुष्य चाहे तो समाज की सूरत में अवश्य ही परिवर्तन ला सकता है।

प्रतीक –

‘पत्थर’ समाज की कठोरता, जड़ता, या अन्याय का प्रतीक है।

‘पिघलना’ परिवर्तन या सुधार की संभावना को दर्शाता है।

‘आवाज़’ कवि की कविता या क्रांतिकारी विचारों का प्रतीक है।

सामाजिक संदर्भ –
यह शेर उन लोगों की आलोचना करता है जो बदलाव को असंभव मानते हैं और साथ ही कवि की अपनी लेखनी के प्रभाव पर विश्वास को दर्शाता है। यह दुष्यंत कुमार की कविता की सामाजिक जागृति की कोशिश को उजागर करता है।

भाव –
कवि का स्वर विद्रोही और उत्साहपूर्ण है। वह समाज की जड़ता को चुनौती देता है और अपनी आवाज़ के प्रभाव में विश्वास रखता है।

 

6.

तेरा निज़ाम है सिल दे जुबान शायर की,
ये एहतियात ज़रूरी है इस बहर के लिए।

अर्थ –
इस शेर में कवि सत्ता के दमनकारी स्वरूप की तीखी आलोचना करता है। “तेरा निज़ाम” से तात्पर्य उस व्यवस्था से है जो शायर, कवि या बुद्धिजीवियों की आवाज़ को चुप कराना चाहती है। “सिल दे जुबान” एक शक्तिशाली बिंब है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने की कोशिश को दर्शाता है। कवि व्यंग्य के साथ कहते हैं कि यह ‘एहतियात’ अर्थात् सावधानी इस ‘बहर’ या सामाजिक व्यवस्था के लिए ज़रूरी है। नहीं तो सचमुच समाज में नया और सकारात्मक परिवर्तन आ जाएगा।

विश्लेषण –

प्रतीक –

“सिल दे जुबान” सेंसरशिप और दमन का प्रतीक है।

‘बहर’ कविता की लय और सामाजिक व्यवस्था दोनों का प्रतीक है।

सामाजिक संदर्भ –
यह शेर उन सत्ताओं की आलोचना करता है जो बुद्धिजीवियों और कवियों की आवाज़ को दबाने की कोशिश करती हैं। यह तानाशाही या दमनकारी शासन की ओर इशारा है।

भाव –
कवि का स्वर व्यंग्यात्मक और चुनौतीपूर्ण है। वह सत्ता की कमजोरी को उजागर करता है, जो सच से डरती है।

 

7.

जिएँ तो अपने बगीचे में गुलमोहर के तले,
भरें तो ग़ैर की गलियों में गुलमोहर के लिए।

अर्थ –
यह अंतिम शेर आशा और विद्रोह के साथ ग़ज़ल को समाप्त करता है। ‘गुलमोहर’ एक सुंदर, लाल रंग का पेड़ है, जो जुनून, सौंदर्य, सुविधा और जीवन का प्रतीक है। कवि कहते हैं कि अगर जीना है, तो अपने बगीचे में, अपनी शर्तों पर, गुलमोहर की छाँव में जिया जाए। लेकिन अगर हमें भटकना पड़े, तो दूसरों की गलियों में भी गुलमोहर (सौंदर्य, आदर्श, या क्रांति) के लिए भटका जाए। यह शेर आत्मसम्मान और अपने आदर्शों के प्रति निष्ठा की बात करता है।

विश्लेषण –

प्रतीक –

‘गुलमोहर’ जीवन, सौंदर्य और क्रांतिकारी आदर्शों का प्रतीक है।

“अपने बगीचे” व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आत्मसम्मान को दर्शाता है।

“ग़ैर की गलियाँ” समाज या दूसरों के बीच की जद्दोजहद को।

सामाजिक संदर्भ –
यह शेर व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर अपने मूल्यों के लिए जीने की प्रेरणा देता है। यह कवि की क्रांतिकारी भावना को दर्शाता है, जो समाज में बदलाव के लिए लड़ने को तैयार है।

भाव –
कवि का स्वर आशावादी और प्रेरणादायक है। वह निराशा के बीच भी अपने आदर्शों के लिए जीने और लड़ने की बात करता है।

‘कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हरेक घर के लिए’ से जुड़े बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. पहले शेर में ‘चिराग़ाँ’ शब्द किसका प्रतीक है?
A) अंधकार और निराशा
B) आशा, समृद्धि और प्रगति
C) गरीबी और संघर्ष
D) सेंसरशिप और दमन
सही उत्तर – B) आशा, समृद्धि और प्रगति
स्पष्टीकरण – शेर “कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हरेक घर के लिए” में “चिराग़ाँ” दीपकों की माला को दर्शाता है, जो आशा, समृद्धि और प्रगति का प्रतीक है, जो वादा तो किया गया था, लेकिन पूरा नहीं हुआ।

प्रश्न 2. शेर “यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है” में “छाया” और “धूप” के बीच का विरोधाभास क्या दर्शाता है?
A) प्रकृति की सुंदरता
B) सुकून और शांति की भावना
C) परिवेश की दमनकारी प्रकृति
D) समाज में रहने की खुशी
सही उत्तर – C) परिवेश की दमनकारी प्रकृति
स्पष्टीकरण – पेड़ों की छाया सामान्य रूप से सुकून का प्रतीक होती है, लेकिन यहाँ यह धूप जैसी असहजता देती है, जो दर्शाता है कि समाज में कोई राहत नहीं बची है।

प्रश्न 3. शेर “न हो कमीज़ तो पाँवों से पेट ढँक लेंगे” का स्वर क्या है?
A) आशावादी और उत्साहपूर्ण
B) व्यंग्यात्मक और सहानुभूतिपूर्ण
C) क्रोधित और विद्रोही
D) रोमांटिक और आशापूर्ण
सही उत्तर – B) व्यंग्यात्मक और सहानुभूतिपूर्ण
स्पष्टीकरण – यह शेर गरीबी के कारण लोगों की मजबूरी को व्यंग्य के साथ दर्शाता है, साथ ही उनकी सहनशक्ति के प्रति सहानुभूति भी व्यक्त करता है।

प्रश्न 4. शेर “ख़ुदा नहीं, न सही, आदमी का ख़्वाब सही” में “आदमी का ख़्वाब” किसका प्रतीक है?
A) धार्मिक आस्था
B) मानव की आकांक्षाएँ और आशा
C) भौतिक समृद्धि
D) राजनीतिक शक्ति
सही उत्तर – B) मानव की आकांक्षाएँ और आशा
स्पष्टीकरण – “आदमी का ख़्वाब” मानव की आकांक्षाओं, बेहतर भविष्य की कामना और आशा को दर्शाता है, जो धर्मनिरपेक्ष मानवतावाद को व्यक्त करता है।

प्रश्न 5. पाँचवें शेर में “पत्थर पिघल नहीं सकता” का क्या अर्थ है?
A) प्रकृति की सुंदरता
B) सामाजिक संरचनाओं की जड़ता
C) कवि की आवाज़ की शक्ति
D) परिवर्तन की आशा
सही उत्तर – B) सामाजिक संरचनाओं की जड़ता
स्पष्टीकरण – यह वाक्य उन लोगों की मान्यता को दर्शाता है जो मानते हैं कि सामाजिक बदलाव असंभव है, जैसे पत्थर को पिघलाना संभव नहीं है।

प्रश्न 6. शेर “मैं बेक़रार हूँ आवाज़ में असर के लिए” में कवि का दृष्टिकोण क्या है?
A) हारा हुआ और निराश
B) बेचैन और विद्रोही
C) संतुष्ट और तृप्त
D) उदासीन और तटस्थ
सही उत्तर – B) बेचैन और विद्रोही
स्पष्टीकरण – कवि अपनी कविता के प्रभाव के लिए बेचैन है और सामाजिक जड़ता के खिलाफ विद्रोही रुख अपनाता है।

प्रश्न 7. शेर “तेरा निज़ाम है सिल दे जुबान शायर की” में “सिल दे जुबान” किसका प्रतीक है?
A) कवियों को प्रोत्साहित करना
B) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश
C) काव्यात्मक अभिव्यक्ति की सुंदरता
D) कवि के शब्दों की शक्ति
सही उत्तर – B) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश
स्पष्टीकरण – “सिल दे जुबान” सेंसरशिप और कवियों की आवाज़ को दबाने की सत्ता की कोशिश का शक्तिशाली प्रतीक है।

प्रश्न 8. शेर “ये एहतियात ज़रूरी है इस बहर के लिए” में “बहर” किसे संदर्भित करता है?
A) समुद्र
B) काव्य की लय और सामाजिक व्यवस्था
C) संगीतमय ताल
D) राजनीतिक दल
सही उत्तर – B) काव्य की लय और सामाजिक व्यवस्था
स्पष्टीकरण – “बहर” का दोहरा अर्थ है, जो ग़ज़ल की काव्य लय और समाज की व्यवस्था दोनों को दर्शाता है, जिसे सत्ता बनाए रखना चाहती है।

प्रश्न 9. अंतिम शेर में ‘गुलमोहर’ किसका प्रतीक है?
A) गरीबी और कठिनाई
B) सौंदर्य, जुनून और आदर्श
C) दमन और संघर्ष
D) प्रकृति की उदासीनता
सही उत्तर – B) सौंदर्य, जुनून और आदर्श
स्पष्टीकरण – गुलमोहर, एक जीवंत पेड़, सौंदर्य, जुनून और कवि के आदर्शों का प्रतीक है, जो जीवन और संघर्ष के लिए प्रेरणा देता है।

प्रश्न 10. दुष्यंत कुमार की ग़ज़ल का समग्र विषय क्या है?
A) प्रेम और विरह
B) सामाजिक आलोचना, सहनशक्ति और आशा
C) प्रकृति की सुंदरता का उत्सव
D) धार्मिक भक्ति और आध्यात्मिकता
सही उत्तर – B) सामाजिक आलोचना, सहनशक्ति और आशा
स्पष्टीकरण – यह ग़ज़ल सामाजिक कमियों की आलोचना करती है, शोषितों की सहनशक्ति को दर्शाती है और कवि की आवाज़ और आदर्शों के माध्यम से आशा और विद्रोह को व्यक्त करती है।

‘कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हरेक घर के लिए’ से जुड़े अति लघूत्तरीय प्रश्न

 

  1. प्रश्न – पहले गज़ल में क्या वादा किया गया था?
    उत्तर – पहले गज़ल में हर घर में चिराग़ जलाने का वादा किया गया था।
  2. प्रश्न – कवि को शहर की क्या विडंबना खलती है?
    उत्तर – यह कि चिराग़ अब पूरे शहर को भी मयस्सर या उपलब्ध नहीं हैं।
  3. प्रश्न – “यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है” – इस पंक्ति का क्या अर्थ है?
    उत्तर – यहाँ राहत की जगह पर भी तकलीफ़ महसूस होती है।
  4. प्रश्न – कवि क्यों कहते हैं कि “चलो यहाँ से चलें”?
    उत्तर – क्योंकि वह इस झूठी और बेरहम जगह को छोड़ना चाहता है।
  5. प्रश्न – “न हो क़मीज़ तो पाँवों से पेट ढँक लेंगे” – इस पंक्ति में किस भावना को दर्शाया गया है?
    उत्तर – यह पंक्ति गरीबी में जीने की मजबूरी और जुझारूपन को दर्शाती है।
  6. प्रश्न – कवि किसे ‘मुनासिब’ कहता है इस सफ़र के लिए?
    उत्तर – उन लोगों को जो अभाव में भी जीने का जज़्बा रखते हैं।
  7. प्रश्न – कवि को खुदा की जगह किस चीज़ से तसल्ली मिलती है?
    उत्तर – कवि को खुदा की जगह आदमी के खूबसूरत ख्वाब और हसीन नज़ारे से।
  8. प्रश्न – “मैं बेक़रार हूँ आवाज़ में असर के लिए” – इसका क्या आशय है?
    उत्तर – कवि अपनी आवाज़ में बदलाव और प्रभाव की तड़प रखते हैं।
  9. प्रश्न – कवि शायर की ज़ुबान सिलने की बात किसके निज़ाम पर करता है?
    उत्तर – उस तानाशाही व्यवस्था पर, जो सच्ची बातों से डरती है।
  10. प्रश्न – गुलमोहर का प्रयोग कविता में किस प्रतीक के रूप में हुआ है?
    उत्तर – वह सौंदर्य, प्रेम और स्वतंत्रता का प्रतीक है – अपनेपन में जीने और परायों में मिटने का अंतर दर्शाने के लिए।

 

‘कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हरेक घर के लिए’ से जुड़े लघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1 – कवि ने शुरुआत में ‘चिराग़ाँ हरेक घर के लिए’ की बात क्यों की है और फिर ‘शहर के लिए’ चिराग़ न मिलने का ज़िक्र क्यों करते हैं?

उत्तर कवि ने यह विरोधाभास उम्मीद और वास्तविकता के बीच के अंतर को दर्शाने के लिए किया है। हर घर को रोशनी की उम्मीद थी, पर हकीकत में पूरे शहर में ही उजाला नसीब नहीं हुआ। यह व्यवस्था की विफलता और आम आदमी की निराशा को दर्शाता है।

 

प्रश्न 2 – ‘यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है’ का क्या अर्थ है और कवि यहाँ से ‘उम्र भर के लिए’ क्यों जाना चाहता है?

उत्तर इसका अर्थ है कि जहाँ सुरक्षा और आराम मिलना चाहिए, वहाँ भी कष्ट और परेशानी है। कवि ऐसी विपरीत परिस्थितियों से तंग आकर हमेशा के लिए ऐसे स्थान से दूर जाना चाहता है जहाँ उसे सुकून मिल सके।

 

प्रश्न 3 – ‘न हो क़मीज़ तो पाँवों से पेट ढँक लेंगे’ पंक्ति में समाज के किस वर्ग का चित्रण है और उनकी क्या विशेषता बताई गई है?

उत्तर यह पंक्ति उन गरीब और वंचित लोगों का चित्रण करती है जो अभाव में भी समझौता कर लेते हैं। उनकी विशेषता यह है कि वे अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी संघर्ष करते हैं और विपरीत परिस्थितियों में भी ढल जाते हैं।

 

प्रश्न 4 – ‘ख़ुदा नहीं, न सही, आदमी का ख़्वाब सही, कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिए’ से कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तर कवि का आशय है कि अगर ईश्वर का अस्तित्व न भी हो, तो कम से कम मनुष्य के सपने तो हैं। ये सपने और सुंदर कल्पनाएँ ही जीवन में देखने और जीने लायक कुछ उम्मीद देती हैं, भले ही वे केवल कल्पना मात्र हों।

 

प्रश्न 5 – ‘वे मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता, मैं बेक़रार हूँ आवाज़ में असर के लिए’ में ‘वे’ और ‘मैं’ कौन हैं और उनके विचारों में क्या अंतर है?

उत्तर ‘वे’ सत्ताधारी या शक्तिशाली वर्ग हैं, जो मानते हैं कि लोगों की मुश्किलें दूर नहीं होंगी। ‘मैं’ कवि है, जो अपनी बात या आवाज़ के प्रभाव से बदलाव लाने के लिए बेचैन है। यह शोषक और शोषित वर्ग के बीच का संघर्ष दर्शाता है।

 

प्रश्न 6 – शायर की जुबान सिलने की बात क्यों की गई है और ‘इस बहर के लिए’ इसकी क्या ज़रूरत बताई गई है?

उत्तर शायर की जुबान सिलने की बात इसलिए की गई है ताकि सत्ता के खिलाफ उठने वाली आवाज़ों को दबाया जा सके। ‘इस बहर के लिए’ (इस शासन व्यवस्था के लिए) यह सावधानी ज़रूरी बताई गई है ताकि व्यवस्था के खिलाफ कोई विरोध न कर सके।

 

प्रश्न 7 – कवि अंत में ‘जिएँ तो अपने बगीचे में गुलमोहर के तले, भरें तो ग़ैर की गलियों में गुलमोहर के लिए’ कहकर क्या संदेश देना चाहता है?

उत्तर कवि संदेश देता है कि जीना हो तो सम्मान और स्वतंत्रता से अपने ढंग से जिएँ। लेकिन यदि मरना पड़े तो दूसरों की भलाई या किसी बड़े उद्देश्य के लिए, भले ही वह दूसरों के लिए क्यों न हो। हमें साहसपूर्वक अपना जीवन स्वाभिमान के साथ ही जीना चाहिए।

‘कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हरेक घर के लिए’ से जुड़े दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. ‘चिराग़ाँ’ शब्द पहले शेर में किसका प्रतीक है और यह क्या दर्शाता है?
उत्तर – ‘चिराग़ाँ’ दीपकों की माला को दर्शाता है, जो आशा, समृद्धि और प्रगति का प्रतीक है। शेर “कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हरेक घर के लिए” में कवि टूटे वादों की बात करता है, जहाँ हर घर को रौशनी का वादा था, लेकिन पूरे शहर को भी यह नसीब नहीं हुआ, जो सामाजिक और राजनीतिक विफलता को उजागर करता है।

प्रश्न 2. शेर “यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है” में छाया और धूप का विरोधाभास क्या दर्शाता है?
उत्तर – यह शेर समाज में व्याप्त असहजता को दर्शाता है। पेड़ों की छाया, जो सुकून का प्रतीक है, यहाँ धूप जैसी असहजता देती है। यह सामाजिक और राजनीतिक दमन या अन्याय की ओर इशारा करता है, जहाँ शांति की उम्मीद भी निराशा में बदल जाती है। कवि इस माहौल से हमेशा के लिए पलायन की इच्छा व्यक्त करता है।

प्रश्न 3. “न हो कमीज़ तो पाँवों से पेट ढँक लेंगे” में कवि का स्वर कैसा है?
उत्तर – इस शेर में कवि का स्वर व्यंग्यात्मक और सहानुभूतिपूर्ण है। यह गरीबी और अभाव की स्थिति को दर्शाता है, जहाँ लोग कपड़े के बिना भी जीवित रहने का रास्ता निकाल लेते हैं। “मुनासिब” शब्द में व्यंग्य है, जो गरीबों की मजबूरी को उनकी योग्यता के रूप में प्रस्तुत करता है, साथ ही उनकी सहनशक्ति की प्रशंसा करता है।

प्रश्न 4. “आदमी का ख़्वाब” शेर में क्या दर्शाता है और इसका संदेश क्या है?
उत्तर – “आदमी का ख़्वाब” मानव की आकांक्षाओं, आशा और बेहतर भविष्य की कामना का प्रतीक है। शेर “ख़ुदा नहीं, न सही, आदमी का ख़्वाब सही” में कवि कहते हैं कि अगर ईश्वर न हो, तो भी मानव के सपने जीवित रहें। यह धर्मनिरपेक्ष मानवतावाद को दर्शाता है, जो निराशा में भी आशा और सौंदर्य की तलाश का संदेश देता है।

प्रश्न 5. “पत्थर पिघल नहीं सकता” में कवि किसकी आलोचना करता है?
उत्तर – इस शेर में कवि उन लोगों की आलोचना करता है जो मानते हैं कि सामाजिक बदलाव असंभव है। ‘पत्थर’ समाज की जड़ता और अन्याय का प्रतीक है। कवि अपनी कविता के प्रभाव के लिए बेचैन है, जो सामाजिक परिवर्तन की इच्छा को दर्शाता है। यह सत्ता और उदासीन समाज की निष्क्रियता के खिलाफ कवि के विद्रोही रुख को उजागर करता है।

प्रश्न 6. “सिल दे जुबान शायर की” में कवि किस समस्या की ओर इशारा करता है?
उत्तर – इस शेर में कवि सत्ता द्वारा कवियों और बुद्धिजीवियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने की समस्या की ओर इशारा करता है। “सिल दे जुबान” सेंसरशिप और दमन का प्रतीक है। कवि व्यंग्य के साथ कहते हैं कि यह ‘एहतियात’ या सावधानी सत्ता की व्यवस्था (“बहर”) के लिए ज़रूरी है, जो दमनकारी शासन की आलोचना करता है।

प्रश्न 7. अंतिम शेर में ‘गुलमोहर’ किसका प्रतीक है और इसका संदेश क्या है?
उत्तर – ‘गुलमोहर’ सौंदर्य, जुनून और कवि के आदर्शों का प्रतीक है। शेर में कवि कहते हैं कि जीवन अपनी शर्तों पर या दूसरों के लिए आदर्शों की स्थापना और रक्षा के खातिर ग़ैर की गलियों में जिया जाए। यह आत्मसम्मान और सामाजिक बदलाव के लिए संघर्ष का संदेश देता है, जो आशा और विद्रोह को प्रेरित करता है।

 

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